खेती-बाड़ी
 
बणी-बूटी अर पशु-पखेरू
agriculturehn.html
Agriculture.html
!!!......ईस्स बैबसैट पै जड़ै-किते भी "हरियाणा" अर्फ का ज्यक्र होया सै, ओ आज आळे हरियाणे की गेल-गेल द्यल्ली, प्यश्चमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड अर उत्तरी राजस्थान की हेर दर्शावै सै| अक क्यूँ, अक न्यूँ पराणा अर न्यग्र हरियाणा इस साबती हेर नैं म्यला कें बण्या करदा, जिसके अक अंग्रेज्जाँ नैं सन्न १८५७ म्ह होए अज़ादी के ब्य्द्रोह पाछै ब्योपार अर राजनीति मंशाओं के चल्दे टुकड़े कर पड़ोसी रयास्तां म्ह म्यला दिए थे|......!!!
थाह्मे उरे सो: देहळी > खेती-बाड़ी > बणी-बूटी अर पशु-पखेरू
डॉक्टर सुरेन्द्र दलाल कृषि-अर्थ सोधशाला 

गाम की बणी-बूटी, पशु-पखेरू अर हेर-स्यमाणे

गाम के पशु-पखेरू:


जंगली बिल्ली
भैंसा
मोर
नीलगाय
झाया

कय्स्म
 ढाळ
ज्नोर
चान्हा
चा
बलद, बैह्ड़का, सांड, घोड़ा, घोड़ी, कुत्ता, ब्य्ल्ली, सुस्सा
धार-डोका
म्हास, गां, बकरी
मांस
सूर, मुर्गा
ब्योपार
म्हास, झोटा, बलद, बैह्ड़का, भेड़, खच्चर, गधा, बांदर
जंगळी
खुन्नी
भेढा, जंगळी ब्य्ल्ली, बाहरला ब्य्ल्ला
दब्बू
सुस्सा, मुस्सा, रोज, हीरण, गादड़
घुन्ना
बांदर, सुणसुणिया
तबियत आला
झाया
जमीनी
जहरी
सांप, कानखजूरे, पाटड़ा-घो
कई टान्गा के
बिच्छु, मकोड़े, कीड़ी, चींटी, सुंडी, दीमक, केंचुआ, गजाई, छ्पकली, गंडोया, भूंड
खून चूसणिये
जोंक, ढेरे, जुएँ, नयोळ, चूरणे
उडारु
डंक मारणिये
भिरड़, माख्खी, माछर, डांस, चमगादड़
मन के चाहे
जुगनू, तितली, फटबिजना
लांबी मार के पखेरू
काग, बुगला, चील, चडिया, अळउ, ग्य्द, तोत्ता, टटीरी, कोतरी, खाती, कबूतर, काब्बर, तीतर, कठफौड़ा, बाज, शील
पाणी आळए
पाणी-जमीनी
बुगला, हंस, मुरगाई, बत्तख, जोंक, कछुआ, मंडक
पाणी
मच्छली




गाम की बणी-बूटी अर हेर-स्यमाणे:


कीकर
जाल
मंगल-वाला जोहड़
शीशम

कय्स्म
 ढाळ
बणी-बूटी
रूख
आज के बख्तां के
किक्कर, शिस्सम, नीम्ब, पीपळ, बड़, पोप्लर, केळआ, मरूद, आम्ब, स्तूत, तूतिये, झाड़-बोझड़े, पलपोटण, जामण, पाहडी किक्कर, बेरी, सफेदा, बढबेरी, बांस, पपीता, बकायन, अरंड
खत्म हो लिए कै होण आळए सें
गुल्यर, जंगळी-जलेबी, सुख्खी-जलेबी, जाळ, जांडी, सीरस, लह्सोड़े, कैर, पापड़ी, केंदु
लेट-डाबडे
आज के बख्तां के
डाबड़ा-लेट: गाम के चौगरदै हेर-स्यमाणां म ढूंग-ढूंग पै जंगळ होया करदे, जिइमे के बीच में तलाब अर उहके चौगरदे रूख-झाड़-बोझड़े-जड़ी-बूटी होया करदे| इनमें जंगळी ज्यनोर अर कीड़े-मकोड़े का बास होया करदा| इनतें गाम की कई ढाळ की जरूत पूरी होया करदी; ज्युकर चूल्हे खात्तर सूखी लाकड़ी, अचार घालण खात्तर टींड-निम्बू-आम, कई ढाळ के फळ, बैद अर सेहत खात्तर कई ढाळ की जड़ी-बूटी, डांगर-ढोर खात्तर पाणी, अर पर्यावरण खात्तर हरियाली| पर इब कित वें नज़ारे|

आज के दयन तो एक-आधा ए बच्या सै नहीं तै बख्त की मार अर माणस के लालची सुभा नै घनखरे ए लील लिए| जुणसे एक-दो बचे सें उनकी जाणकारी भी लागे हाथां धर द्यूं सूं आड़े ए:

बाहमणां आळआ डाबड़ा: धन्य हो गाम के बाहमण जिननें यू डाबड़ा आज भी सांगोपांग बणायें राख्या सै| यो डाबड़ा गाम के सारे दाबड़याँ तैं घणा अर गहरा सै| च्यार किल्याँ म पसरा यो डाबड़ा रूख-बणी-बूटी तैं भरपूर सै|

बाग्गा आळआ डाबड़ा: अनुमानन यो एकला ए इह्सा डाबड़ा बच्या से जो जाटां नै संभाळ कै राख-राख्या सै| पराणे बख्तां म दस तैं भी घणे इह्से दाब्दे होया करदे पर आज सही-सलामत तो एक यू अर एक बाह्मणां आळआ ए बचे सें| छह किल्याँ म पसरा होया यो डाबड़ा भी रूख-बणी-बूटी तैं आज भी भरपूर सै|

न्यडाणी काहन आळआ डाबड़ा: यो डाबड़ा न्यडाणे अर न्यडाणी की सीम पै पड़े सै|
खत्म हो लिए कै होण आळए सें
सांझरण आळआ डाबड़ा, डहरां आळी लेट, टोवे आळी लेट
जोहड़-पोखर-गोरे
ब्यौरा
जोहड़ गाम की संस्कृति अर डांगर-ढोर पाळण खात्तर सबतें जरूरी साधन हो सें| ज्यूकर हरियाणे का कोए सा भी गाम था ल्यो न्यूं ए न्यडाणे म भी जोहड़ गाम की फयरणी के लागते इसके भीतरली ओह्ड़ नैं खोद्दे होए सें| बख्त-बख्त पै इनकी खुदाई खात्तर ल्हास (जीवन-शैली आळए पन्ने पै पढो अक ल्हास क्यां नै कह्य करें) करी जाया करें अर फेर न्यू ए इनमें पाणी भरण खात्तर भी ल्हास बलाई जाया करें| आज के बख्तां म्ह तै कुए-ट्युबल-नळकूप अर घर-घर पाणी खात्तर टोंटी हो रही सें, पर पराणे बख्तां म एक जोहड़ इह्सा राख्या जाया करदा जिसका पाणी सर्फ गोउ-बलद अर माणस बरता करदे| बाकी पशु अर जन्दोरा खात्तर न्यारे जोहड़ होया करदे|

गोरे: जोहड़ के चारों और खाली-पड़ी जमीं जो की पशुओं को बैठाने-ठहराने के लिए होती है, उसको गौरा कहते हैं| पाळी अपणे डंगर-ढोर को सुबह खेतों म ले जाणे तैं पहल्यां आड़े बैठाया करें, जब सारे कट्ठे हो ज्यां तो फेर डांगराँ नैं खेताँ काहन बोल दिया करें, हांक दिया करें|
आज के बख्तां के
लाधवा-आळआ, नाई-आळआ, नागा-आळआ, मंगल-आळआ, देब्बी की जोहड़ी, ज़िडाणा
खत्म हो लिए कै होण आळए सें
बाख्खा, गुहड़ी
बणी
ब्यौरा
बणी गाम की बसासत के चौगरदै अर खेताँ के स्यमाणां म छोटे-छोटे जंगळआ नै कह्य करें| जिसमें घनखरे रूख छोटी रयास के झाड़-बोझड़े, जांड-जांडी यें होया करें| गाम की बढती आबादी अर इस कारण रिहायस के बढते दायरे नैं घनखरी ए बणी लील ली सें|
आज के बख्तां के
ब्यौरा तोळआ लाया जागा|
खत्म हो लिए कै होण आळए सें
ब्यौरा तोळआ लाया जागा|
स्यमाणे-हेर-कल्लर-कौरे-हरियाले खेत
ब्यौरा
गाम कै चौगरदे पसरे न्यारे-न्यारे खेताँ के सय्माणां नै हेर-ढूंग कह्य करें| अर बन्या बोई अर बन्या रूख-कैरा की खाल्ली पड़ी बंजर धरती नै कल्लर-थळी कह्या करें|
आज के बख्तां के
मौजां-आळी, टोवा, कीकर-आळआ, लाध्वा-आळी, डहर, थळी, लाल-आळए, देबी-आळए, लेट-आळए, सांझरण-आळए
खत्म हो लिए कै होण आळए सें
ब्यौरा तोळआ लाया जागा|
पाळ-खाळ-ब्यद्रो
ब्यौरा
पाळ खेत म पाणी की ढाळ नै ढाळण खात्तर बांधी जाया करें| इसमें खेत की उपरली परत के उबड़-खाबड़ ह्यस्से की माटी कस्सी-गोड़ियाँ गेल एक कूणे म पहाड़ी सी के ह्य्साब म कट्ठी कर दी जाया करै| पाळ बाहर तैं आये बाढ़ के पाणी नै आगे ढाळण खात्तर भी बनाई जाया करें| ब्यद्रो इसे पाळ का एक नमूना सै, जिसमें एक काहन तो माटी की पाळ बाँधी जा अर दूजी काहन गहरा खाळ खोद्या जा, जिस्तैं के पाळ तो ढूंगे खेताँ म पाणी नै बडन तैं रोक दे अर खाळ उस पाणी नै आगे ड्य्गा दे|
आज के बख्तां के
तीन ब्यद्रो: ललत खेड़े काहन आळी, न्यडाणी काहन आळी, ढगाणे काहन आळी
खत्म हो लिए कै होण आळए सें
ब्यौरा तोळआ लाया जागा|


ध्यान म देण की: बख्त की गेल इसमें और भी जानकारी घाली जान्दी रहगी|


जय दादा नगर खेड़ा बड़ा बीर


लेखक्क: पी. के. म्यलक

तारय्ख: 18/06/2012

छाप: न्यडाणा हाइट्स

छाप्पणिया: न्य. हा. शो. प.

ह्वाल्ला:
  • न्य. हा. सलाहकार मंडळी

आग्गै-बांडो
 
मींह-बादळ का ब्योंत-मय्जाज

जानकारी पट्टल - खेती-बाड़ी
खेती-बाड़ी अर जमीन के काम तैं जुड़ी वेबसाइटा के ब्योरे बाबत, कट्ठी करी होई ताहरे काम की| NH नियम और शर्ते लागू|
कृषि संबंधी मुख्य लिंक्स
न्य. हा. - बैनर अर संदेश
“दहेज़ ना ल्यो"
यू बीर-मर्द म्ह फर्क क्यूँ ?
साग-सब्जी अर डोके तैं ले कै बर्तेवे की हर चीज इस हाथ ले अर उस हाथ दे के सौदे से हों सें तो फेर ब्याह-वाणा म यू एक तरफ़ा क्यूँ, अक बेटी आळआ बेटी भी दे अर दहेज़ भी ? आओ इस मर्द-प्रधानता अर बीरबानी गेल होरे भेदभाव नै कुँए म्ह धका द्यां| - NH
 
“बेटियां नै लीड द्यो"
कन्या-भ्रूण हत्या ख़त्म हो!
छोरी के जन्म नै गले तैं तले ना तारणियां नै, आपणे छोरे खात्तर बहु की लालसा भी छोड़ देनी चहिये| बदेशी लुटेरे जा लिए, इब टेम आग्या अक आपनी औरतां खात्तर आपणे वैदिक युग का जमाना हट कै तार ल्याण का| - NH
 
“बदलाव नै मत थाम्मो"
समाजिक चर्चा चाल्दी रहवे!
बख्त गेल चल्लण तैं अर बदलाव गेल ढळण तैं ए पच्छोके जिन्दे रह्या करें| - NH
© न्यडाणा हाइट्स २०१२-१९