इ-चुपाय्ल
 
त्यजणा-संजोणा
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!!!......ईस्स बैबसैट पै जड़ै-किते भी "हरियाणा" अर्फ का ज्यक्र होया सै, ओ आज आळे हरियाणे की गेल-गेल द्यल्ली, प्यश्चमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड अर उत्तरी राजस्थान की हेर दर्शावै सै| अक क्यूँ, अक न्यूँ पराणा अर न्यग्र हरियाणा इस साबती हेर नैं म्यला कें बण्या करदा, जिसके अक अंग्रेज्जाँ नैं सन्न १८५७ म्ह होए अज़ादी के ब्य्द्रोह पाछै ब्योपार अर राजनीति मंशाओं के चल्दे टुकड़े कर पड़ोसी रयास्तां म्ह म्यला दिए थे|......!!!
थाहमें उरै सो: देहळी > इ-चुपाय्ल > त्यजणा-संजोणा
त्यजणा होगा - संजोयें रहणा होगा

चेतावनी: म्हारे समाज अर म्हारे हरयाणे की बरसां-सदियाँ पराणी गर्व करण जोग्गी सांस्कृतिक व्यरासत, परम्परावा अर ल्य्हाज-शर्म आलए सुरण-खम्ब म्ह तः समाज पै कोढ़ बणन आळी बातां म्ह तें कुणसी जाणी चहिये अर कुणसी सुधार करकें राखणी चहिये अर कुणसी न्यूं-की-न्यूं रह सकें सें, इनपै च्यन्तन तान्ही यू सोप्पा खोला गया सै| इस करकें इस ह्य्स्से नैं वो हे म्हारे समाज की बुराई करण जरिया बणावै जिसमें म्हारे समाज की चौड़े म छात्ती ठोक कें सराहण की कूबत भी हो, ज्युकर म्हारी इस साईट के दुसरे ह्य्स्सयाँ म्ह हमनें खुद वें सुथरी अर चौड़ी छात्ती करकें चालण की समाज की बात बताई सें जो किसे भी समाज की बुराई करण तैं पहल्यां जाणनी जरूरी हों सें| जो यू ना कर सकदा हो वो आड़े-ए-तें इस साईट नैं बंद कर दे अर दुज्जा बारणा ब्यह्सा ले, धन्वाद|



इब मुद्दे की बात या सै:


म्हारे समाज की इह्सी प्रथा जुणसियां नैं तजण का बख्त आ लिया सै अर इह्सी प्रथा जिन्नें संजो कें राखणा सदा म्हारी श्यान रह्व्गी|

म्हारे गामाँ म्ह इतणा सांस्कृतिक खज्जान्ना ब्यखरया सै अक संसार का पेट भरण की लगन म क्य्सान नैं उसनें संजोण का बख्त भी घाय्ट पड़दा आया| इह्सा लागै जाणु पेट भरण की जद्दोजहद म्ह समाज म कुण्से संस्कार तै रहने चहियें अर कुण्से सुधारणे, इसकी सारी तरकार किते राह-ब्यचाळए छूटगी| इस ह्य्स्से पै समाज के इन्हें मुद्द्यां चौपाल ब्यठाण की तैयारी सै|

मोटा गोळन की बात या सै अक म्हारे समाज म दो ढाळ की प्रथा सें, एक वें जुणसी मर्द-बीर के बीच मर्द-प्रधानगी अर बीर ज्यात नैं छोटा रखण बाबत अर दूसरी जुणसी धर्म-ज्यात कै नाम पै समाज नै ख्यंडायें खात्तर घड़ी गई सें| इनपै चर्चा अर इनकी छंटणी करणा ए इस सल्सले का बड्डा नेम होगा|


बीर-मर्द म भेद खड्या करण आळी प्रथा अर परम्परा:
  1. “कोढयण कूण?" जाम्मण आळी अक जाम्मी-इ पै मोहअर लाणिये? वाह रे अन्सानिय्त के ठेकेदार पुरुष-प्रधान समाज, छोरा जम्मै तै पीळीया देणा च्यान्दण म अर छोरी जाम्मै तै अंधेर म| लुगाई जै इतणिये मनहूस हो सै तो इसकी कोख तैं जन्म लेणा क्यूँ नीह त्यज द्यन्दे| कोए इस बात पै भी नीह सोचदा अक इह्से ताकियानूसी रय्वाज चलाये क्यूँ गए थे, चाहे वें मजबूरी म चाल्लें हों, ढोंग म फेर चाहे ख़ुशी म, पर इब तो यें छोडडें काम चल्ले| कद लग आपणी जननी की इतनी माट्टी पिटोगे?

  2. घूंघट एक बोझ सै: शर्म तो आख्याँ की बताई, परदे की के शर्म| घूंघट म्हारी बीर-बानियाँ नै ब्देसी हमलागरों अर लुटेरों तैं बचाण बाबत दसमीं तैं ले उन्नीसमीं सदी के बख्तां मजबूरी म चलाया गया था| पर इब ज्यब वें जा लिए तो यूँ घूँघट भी तै जाणा चहिये| बख्त आ लिया सै अक इब आपणी बीर-बानियाँ का इस मजबूरी तैं पैंडा छुड़ाया जा|

  3. कन्या बचाओ-संस्कार बचाओ: आग्गा देखो! घटदा लिंग-अनुपात, करैगा ताहरे संस्कारा का मळीया-मेट| जूण आज बच्चियां नैं मरवा दे सें, वें तड़कै छोरियां की कमी होण पै आपणे बछेरा नै लव-मेरिज के नाम आड़ म एक-गोत म्ह ए बंदड़ी टोहण की अर इसी ए दूसरी समाजिक मानताओं नै तोड्न ताहीं क्यूँ नहीं उक्सावेंगे? रै जो आपणे खून की हत्या तैं ना डरया ओ तडके संस्कारा नै खूँटी पै टांगण तै डरेगा के? देश-लयकाडा देणा हो अर चै नकेल घालणी हो तो इनके घालो, समाज के ढाँचे की असली दीमक तो येहें सें|

    कै तो सम्भळ कें आस-पड़ोस अर समाज की ज्यम्मेदारी ठा ल्यो, नहीं तै ओ द्यन दूर नहीं इब ज्यब, छोरियां की मारो-मार (कमी म), छोरयाँ आळए ताहरी छोरी नैं पुचकारण ताहरे घरां निः सीधे छोरी के स्कूल जाया करेंगे अर ताह्म्नै तै सीधा न्यूं ए बेरा लागैगा अक स्याह्मी आळए तै छोरी नैं पहल्यां ए पुचकारें बैठे सें| अर या बात याड़े बयना आधार नहीं ब्यल्क इह्से क्य्स्से सुणन अर देखण म्ह आये सें ज्यांत माँ-बाप्पा अर समाज के बुद्धिजिवियाँ नैं चेताण तान्ही ल्यखी सै|

    इह्सी मरोड़ भी किस काम की अक, झूठी मरोड़ ना जाणी चाहिए चाहे बेटां खात्तर बंदड़ी बिह्साणी पड़ो बीस बै| झूठी मरोड़ कोन्या छोडां चाहे दहेज़ लेण की जगहाँ देणा पड़ो बीस बै (दूसरे राज्यां त बहु खरीदनैं तान्ही)| झूठी मरोड़ नैं आंच नी आणी चहिये चाहे ज्युकर पह्ल्ड़े जमान्याँ तै दहेज़ कठ्ठा करण म छोरी आळऐ की जो रे-रे माट्टी होंदी आई, इब बेसक म्हारी होणी शुरू ज्या बीस बै| किह्सी मती सै समाज की अक दहेज़ देण आळयाँ के करदार बदलणे मंजूर सें, पर समाज म्ह कन्या-भ्रूण हत्या अर इस दहेज़ पै लगाम लगाणी हाय्सल निः|

    मर्दानगी के नाम पै दूसरे मर्द के पायाँ आपणी पगड़ी कै ठोकर मार उछळवाण की नौटंकी मंजूर सै पर नारी नैं बरोबर देख्या जा इह्से कदम ठाणे हजूर निः|


समाज नैं ज्यात-पात के नाम पै खंडया कें राख्ण आळी परम्परा अर ढोंग: म्हारे देश राजनीति रही हो च्ये समाजिक मंशा, दोनुवाँ नैं सदा तें समाज नैं ख्यंडा कें राखण के बीज बोये:
  1. मंदरा म्ह धोक्कंण बाबत ज्यात-नश्ल का जुर्म: एक ओड़ तो धर्म के ज्ञानी भगवान का एक रूप बतावें अर दूजी ओड़ उन्हें भगवान् के बन्द्याँ नैं धर्म के नाम पै छूत-अछूत के नाम पै ख्यंडावें| धर्म तो माणस नैं माणस तें जोडण का ना बताया फेर तोड़ना क्यूँ सीख्या अर स्य्खाया? जै आज इस इक्कस्मी सदी म्ह भी यु हे लच्छन रहेंगे तै देश का के राह हो? जयांतें इब इस नश्ल-भेद नैं काडडो आपणे ब्य्चाळए तें|

  2. हरियाणा जाट बनाम गैर-जाट क्यूँ बणन दे रे सो?: दिल्ली में तीन योजनाओं से शीला दीक्षित मुख्यमंत्री है, मध्यप्रदेश में दो योजनाओं से शिवराज सिंह मुख्यमंत्री है, बिहार में नितीश कुमार दो योजनाओं से मुख्यमंत्री है, गुजरात में नरेंदर मोदी की तीसरी योजना की तैयारी है, सेण्टर में दो योजनाओं से मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री है, इनपे तो किसी जाट ने ऑब्जेक्शन नहीं उठाई कि ये लोग दो या तीन योजनाओं से क्यों जमें हुए हैं? जबकि सब जानते हैं कि प्रधानमंत्री और दिल्ली की सी.एम्. की पार्टी को तो जाटों ने दिल खोल के समर्थन दे रखा है? तो फिर क्यों किसी से एक पंजाब और हरियाणा में जाट सी.एम्. नहीं सुहाते? जिसको देखो उसनें इन दोनों राज्यों को जाट वरसेस गैर-जाट का अखाड़ा बना के खड़ा कर दिया है? यहीं से पता चलता है कि जाट कितना शांतिप्रिय और शहनशील है| ये जाति-पाति का जहर इतना क्यों और वो भी एक ख़ास जाति को ले के? जो आपकी पोषक है, आपके तन के लिए वस्त्र देने वाली है और रक्षक है, उसी से इतनी नफरत आखिर क्यों? येंह तो लच्छन अंग्रेजां के थे अक पाड़ो अर राज करो, यें न्यूं की न्यूं राही इब इन म्हारे नेताओं नैं पकड़ ली सें? अर जनता भी इतणी बोळी अक उसनें सदियाँ का सोहार्द अर समाजिक ताना-बाना तोडदें हांण रत्ती भर भी बार न लाग्दी| यें जातिगत स्वार्थां नैं हजार साल तो ब्देशियाँ के गुलाम राखे हाम अर उस बख्त तें इबी सीख निः ले रे, अर पिसे जाण लाग रे सां समाज के सुख-चैन नैं इस भटकदी सोच म्ह फह कें|

धर्म अर टूणे-टोटक्यां के नाम पै लूट-खसोट के कारोबार: उदाहरण तोळए जोड़े जांगे

बीर-मर्द म भेद म्यटा, प्रेम बढ़ाण आळी प्रथा अर परम्परा: उदाहरण तोळए जोड़े जांगे

समाज नैं ज्यात-पात के नाम पै जोड़ कें एक राख्ण आळी परम्परा अर अय्तिहसिक मौके: उदाहरण तोळए जोड़े जांगे

धर्म अर कर्म के नाम पै समाज नैं जोड़ कें राखण आळए जरिये:
उदाहरण तोळए जोड़े जांगे


जय दादा नगर खेड़ा बड़ा बीर


लेखक्क: पी. के. म्यलक

छाप: न्यडाणा हाइट्स

छाप्पणिया: न्य. हा. शो. प.

ह्वाल्ला:
  • न्य. हा. सलाहकार मंडळी

आग्गै-बांडो
 
ई-चुपाय्ल म्ह बतळाए गए मुद

न्यडाणा हाइट्स के इ-चुपाय्ल बहोळ म्ह आज लग बतळआए गये मसले अर मामले| के अंतर्गत आज तक के प्रकाशित विषय/मुद्दे| प्रकाशन वर्णमाला क्रम म सूचीबद्ध करे गये सें|

इ-चुपाय्ल:


Articles in English:
    General Discussions:

    1. Farmer's Balancesheet
    2. Original Haryana
    3. Property Distribution
    4. Woman as Commodity
    5. Farmer & Civil Honor
    6. Gender Ratio
    7. Muzaffarnagar Riots
    Response:

    1. Shakti Vahini vs. Khap
    2. Listen Akhtar Saheb

हिंदी में लेख:
    विषय-साधारण:

    1. वंचित किसान
    2. बेबस दुल्हन
    3. हरियाणा दिशा और दशा
    4. आर्य समाज के बाद
    5. विकृत आधुनिकता
    6. बदनाम होता हरियाणा
    7. पशोपेश किसान
    8. 15 अगस्त पर
    9. जेंडर-इक्वलिटी
    10. बोलना ले सीख से आगे
    खाप स्मृति:

    1. खाप इतिहास
    2. हरयाणे के योद्धेय
    3. सर्वजातीय तंत्र खाप
    4. खाप सोशल इन्जिनीरिंग
    5. धारा 302 किसके खिलाफ?
    6. खापों की न्यायिक विरासत
    7. खाप बनाम मीडिया
    हरियाणा योद्धेय:

    1. हरयाणे के योद्धेय
    2. दादावीर गोकुला जी महाराज
    3. दादावीर भूरा जी - निंघाईया जी महाराज
    4. दादावीर शाहमल जी महाराज
    5. दादीराणी भागीरथी देवी
    6. दादीराणी शमाकौर जी
    7. दादीराणी रामप्यारी देवी
    8. दादीराणी बृजबाला भंवरकौर जी
    9. दादावीर जोगराज जी महाराज
    10. दादावीर जाटवान जी महाराज
    11. आनेवाले
    मुखातिब:

    1. तालिबानी कौन?
    2. सुनिये चिदंबरम साहब
    3. प्रथम विश्वयुद्ध व् जाट

हरियाणवी में लेख:
  1. त्यजणा-संजोणा
  2. बलात्कार अर ख्यन्डदा समाज
  3. हरियाणवी चुटकुले

NH Case Studies:

  1. Farmer's Balancesheet
  2. Right to price of crope
  3. Property Distribution
  4. Gotra System
  5. Ethics Bridging
  6. Types of Social Panchayats
  7. खाप-खेत-कीट किसान पाठशाला
  8. Shakti Vahini vs. Khaps
  9. Marriage Anthropology
  10. Farmer & Civil Honor
न्य. हा. - बैनर अर संदेश
“दहेज़ ना ल्यो"
यू बीर-मर्द म्ह फर्क क्यूँ ?
साग-सब्जी अर डोके तैं ले कै बर्तेवे की हर चीज इस हाथ ले अर उस हाथ दे के सौदे से हों सें तो फेर ब्याह-वाणा म यू एक तरफ़ा क्यूँ, अक बेटी आळआ बेटी भी दे अर दहेज़ भी ? आओ इस मर्द-प्रधानता अर बीरबानी गेल होरे भेदभाव नै कुँए म्ह धका द्यां| - NH
 
“बेटियां नै लीड द्यो"
कन्या-भ्रूण हत्या ख़त्म हो!
छोरी के जन्म नै गले तैं तले ना तारणियां नै, आपणे छोरे खात्तर बहु की लालसा भी छोड़ देनी चहिये| बदेशी लुटेरे जा लिए, इब टेम आग्या अक आपनी औरतां खात्तर आपणे वैदिक युग का जमाना हट कै तार ल्याण का| - NH
 
“बदलाव नै मत थाम्मो"
समाजिक चर्चा चाल्दी रहवे!
बख्त गेल चल्लण तैं अर बदलाव गेल ढळण तैं ए पच्छोके जिन्दे रह्या करें| - NH
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