| 
 
 
        मंगसर का मिन्हा, हरयाणा अर अनुष्ठान-संस्कार:
 
 हिन्दू कलेंडर के ह्यसाब तैं साल का नौमा मिन्हा सै मंगसर| चढ़दे जाडडे, झड़दे पत्ते अर गहुँ म्ह पहली कौर देण, गंडे की कटाई,  जित हो रही हो उड़ै  समझ लियो अक मंगसर चाल रह्या सै| गीता जयंती, महाभारत की लड़ाई इस मिन्हें की अयतिहास्यक काहणी सै| खोये के लाड्डू, पंजीरी की गरमास अर गंडे के चूसण की मिठास इस मिन्हें नैं मय्ठास तैं भरया बणावें सैं|
 
 
 मंगसर के तीज अर त्यौहार:
 
 श्रीमद् भगवद गीता जयंती: शुक्ल पक्ष एकादशी, महाभारत पुराण के मुताब्य्क मंगसर की याहे वा ग्यास सै, ज्यब कुलछैय्त्र (कुरुक्षेत्र) के ज्योतिसर के रण बैयचाळे ज्यब अर्जन (अर्जुन) नैं युद्ध करण तैं ऐन मौके पै ना कर कर दी थी तो उसपै हथ्यार ठुवावण बाबत श्री कृष्ण भगवान नैं विश्व का सबतैं बड्डा ज्ञान दिया था; अक फेर जिसनैं सुण कें अर्जन की तमाम दुविधाओं के बादळ छंट-गे थे अर ओ युद्ध खात्तर तैयार हो ग्या था| तै उसे द्यन की याद म्ह मनाई जा सै गीता-जयंती|
 
 श्रीमद भगवद गीता के कुछ बड्डे श्लोक:
 
 यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ।
 अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥४-७॥
 
 परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् ।
 धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥४-८॥
 
 गीता-जयंती का सबतैं बड्डा उत्सव कुलछैय्त्र की धरती पै बरहम-सरोवर पै हो सै: आये साल शुक्ल पक्ष की ग्यास नैं कुरक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर पै गीता-जयंती मेळे का आयोजन हो सै| जिसमें अक महाभारत तैं जुड़ी हर कृति, कथा, परम्परा, प्रदर्शनी, शोधशाला, गोष्ठी सभा, झांकी अर नृत्य का गळमट्ठा जुड्या करै|
 
 महाभारत की लड़ाई का मिन्हा: शुक्ल पक्ष की ग्यास तैं शरू हो अर कृष्ण पक्ष की त्यास ताहीं पूरे अठारह द्यन चाल्या था महाभारत का युद्ध|
 
 
 
 
 | 
 
 |