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भारतीय नागरिक के मूलभूत अधिकार एवं कर्तव्य व् हमारे राष्ट्रीय चिन्ह एवं गौरव

जानिये कि एक भारतीय को भारत के सविंधान ने क्या मूल-भूत अधिकार दिए हैं और बदले में आपका सविंधान आपसे अपने राष्ट्र के प्रति कोनसे मूल कर्तव्य निभाने की अपेक्षा रखता है|



एक भारतीय नागरिक के मौलिक कर्तव्य:



भारतीय संविधान की सवेंधानिक धारा 51A के अनुसार अपनी राष्ट्र और राष्ट्रवाद की दिशा में एक भारतीय नागरिक के निम्नलिखित ग्यारह मौलिक कर्तव्य हैं:

  1. सविंधान का पालन करे और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र गान का आदर करे;

  2. स्वतन्त्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोंलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोये रखे और उनका पालन करे;

  3. भारत की प्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करे और उसे अक्षुण रखे;

  4. देश की रक्षा करे और आह्वान किये जाने पर राष्ट्र की सेवा करे;

  5. भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भ्रातृत्व की भावना का nirman करे जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग पर आधारित सभी भेदभाव से परे हो, ऐशी प्रथाओं का त्याग करे जो स्त्रियों के सम्मान के है;

  6. हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझे और उसका परिक्षण करे;

  7. प्राकृतिक पर्यावरण की, जिसके अंतर्गत वन, झील, नदी और वन्य जीव हैं, रक्षा करे और उसका संवर्धन करे तथा प्राणी मात्र के प्रति दयाभाव रखे;

  8. वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करे;

  9. सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखे और हिंसा से दूर रहे;

  10. व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की और बढ़ने का सतत प्रयास करे, जिससे राष्ट्र निरंतर बढ़ते हुए प्रयत्न और उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को छू ले;

  11. यही माता-पिता या संरक्षक है, छह वर्ष से चौदह वर्ष तक की आयु वाले अपने, यथास्थिति, बालक या प्रतिपाल्य के लिए शिक्षा के अवसर प्रदान करे|



एक भारतीय नागरिक के मौलिक अधिकार:



भारतीय संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त आपके सात मौलिक अधिकार इस प्रकार हैं:

  1. समानता का अधिकार: जिसमें कानून के समक्ष समानता, धर्म, वंश, जाति, लिंग या जन्म की जगह के आधार पर भेदभाव का निषेध, रोजगार के मामले में अवसर की समानता, अस्पृश्यता का उन्मूलन और उपाधि का उन्मूलन शामिल हैं;

  2. स्वतंत्रता का अधिकार: सभी नागरिकों को भाषण और अभिव्यक्ति का अधिकार,शांतिपूर्वक और निरायुध सम्मेलन का अधिकार, संगठन या संघ बनाने का अधिकार, भारत के राज्यक्षेत्र में सर्वत्र अबाध संचरण का अधिकार, भारत के राज्यक्षेत्र के किसी भी भाग में निवास करने और बस जाने का अधिकार, कोई वृति, उपजीविका, व्यापार या कारोबार करने का अधिकार, अपराधों के लिए दोषसिद्धि के सम्बन्ध में सरंक्षण का अधिकार, प्राण और दैहिक स्वतन्त्रता के संरक्षण का अधिकार;

  3. शोषण के विरुद्ध अधिकार: मानव के दुर्व्यापार और बलातश्रम का प्रतिषेध, कारखानों आदि में बालकों के नियोजन का प्रतिषेध;

  4. धर्म की स्वतन्त्रता का अधिकार: अंत:करण की और धर्म की अबाध रूप में मानने, आचरण और प्रचार करने की स्वतन्त्रता, धार्मिक कार्यों के प्रबंध की स्वतन्त्रता, किसी विशिष्ट धर्म की अभिवृद्धि के लिए करों के संदाय के बारे में स्वतन्त्रता, कुछ शिक्षा संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा या धार्मिक उपासना में उपस्थित होने के बारे में स्वतन्त्रता;

  5. संस्कृति और शिक्षा सम्बन्धी अधिकार: अपनी संस्कृति, भाषा और लिपि के संरक्षण का अधिकार, अल्पसंख्यक-वर्गों के हितों का सरंक्षण, शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन करने का अल्पसंख्यक-वर्गों का अधिकार, सम्पत्ति का अनिवार्य अर्जन;

  6. सांविधानिक उपचारों का अधिकार: प्रदत्त अधिकारों को प्रवर्तित कराने के लिए उपचार का अधिकार

  7. शिक्षा का अधिकार: छह साल से चौदह साल तक के बच्चों को शिक्षा का अधिकार|


विशेष: राष्ट्रीय चिन्हों व् गौरवों के बारे जानकारी जल्द ही डाली जाएगी, तब तक इन बारे इंग्लिश में जानकारी लेने हेतु यहां क्लिक करें|


जय दादा नगर खेड़ा बड़ा बीर  


लेखक: पी. के. मलिक

प्रकाशन: निडाना हाइट्स

प्रथम संस्करण: 15/06/2012

प्रकाशक: नि. हा. शो. प.

उद्धरण:
  • नि. हा. सलाहकार मंडल

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