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                | “दहेज़ ना लें” |  |  
                | यह लिंग असमानता क्यों? |  
                | मानव सब्जी और पशु से लेकर रोज-मर्रा की वस्तु भी एक हाथ ले एक हाथ दे के नियम से लेता-देता है फिर शादियों में यह एक तरफ़ा क्यों और वो भी दोहरा, बेटी वाला बेटी भी दे और दहेज़ भी? आइये इस पुरुष प्रधानता और नारी भेदभाव को तिलांजली दें| - NH  |  |  |  | 
          
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                | “लाडो को लीड दें” |  |  
                |  कन्या-भ्रूण हत्या ख़त्म हो! |  
                | कन्या के जन्म को नहीं स्वीकारने वाले को अपने पुत्र के लिए दुल्हन की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए| आक्रान्ता जा चुके हैं, आइये! अपनी औरतों के लिए अपने वैदिक काल का स्वर्णिम युग वापिस लायें| - NH  |  |  |  | 
          
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                | “परिवर्तन चला-चले” |  |  
                |  चर्चा का चलन चलता रहे! |  
                | समय के साथ चलने और परिवर्तन के अनुरूप ढलने से ही सभ्यताएं कायम रहती हैं| - NH |  |  |