ब्योंक
 
अर्थ-बंदोबस्त
 
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!!!......ईस्स बैबसैट पै जड़ै-किते भी "हरियाणा" अर्फ का ज्यक्र होया सै, ओ आज आळे हरियाणे की गेल-गेल द्यल्ली, प्यश्चमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड अर उत्तरी राजस्थान की हेर दर्शावै सै| अक क्यूँ, अक न्यूँ पराणा अर न्यग्र हरियाणा इस साबती हेर नैं म्यला कें बण्या करदा, जिसके अक अंग्रेज्जाँ नैं सन्न १८५७ म्ह होए अज़ादी के ब्य्द्रोह पाछै ब्योपार अर राजनीति मंशाओं के चल्दे टुकड़े कर पड़ोसी रयास्तां म्ह म्यला दिए थे|......!!!
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न्यडाणा गाम के कारोबारी जरिये

ब्य्शेष: जद ताहीं इस पन्ने का हरियाणवी रूपांतरण नहीं आता, यू अह्न्दी म लख्या गया सै| तौले तैं तौला इसका हरियाणवी रूपांतरण डाल्या जागा| सिंहावलोकन: निडाना की ७० % से ज्यादा अर्थव्यवस्था कृषि और सेवा कार्यों से उत्पादित प्राथमिक और माध्यमिक उत्पादों से चलती है| अर्थव्यवस्था का दूसरा सबसे बड़ा आय का साधन पशुपालन से आता है|


कृषि: गाँव में 2587 एकड़ जमीन, 318 पानी के पम्प (ट्यूब-वेल) और अलग-अलग ब्रांड के 58 से ज्यादा ट्रेक्टर हैं जबकि 1966 तक सिंचाई और खेत-जुताई हेतु गाँव में एक भी ट्रेक्टर व् ट्यूब-वेल नहीं था, उस जमाने में बैलों से खेती और रहटों से सिंचाई होती थी| जहां 1966 में गाँव में एक भी बोरा यूरिया खा प्रयोग नहीं होता था वहीँ आज के दिन औसतन 10000 यूरिया और 4500 डी.ए.पी. के बोरे प्रति-वर्ष प्रयोग किये जाते हैं| अगर खेती के कीटनाशकों और रसायनों के ऊपर होने वाले खर्च को 1500 रुपये प्रति-एकड़ प्रति-वर्ष ले के चला जाए तो गाँव में प्रति-वर्ष 38 लाख रूपये का खर्च इन दवाओं पे आता है| परन्तु इतना खर्च होने पर भी खेतों और खेती के कीट और बीमारियाँ किसान के काबू से बाहर रह हर वर्ष उसको चिढ़ाती रहती हैं|


पशु पालन: कृषि के बाद पशु-पालन गाँव का सबसे बड़ा सार्वजनिक आर्थिक पेशा है, इसके ऊपर जल्दी ही विस्तारपूर्वक जानकारी इसी जगह पर प्रकाशित की जाएगी|


गाँव की व्यवस्थित अर्थव्यवस्था: गाँव में बड़ी संख्या में लोग सरकारी, पेशेवर और निगमित (कॉर्पोरेट) नौकरियों में भिन्न-भिन्न पदों पर कार्यरत हैं| गाँव में कई छोटे-बड़े व्यापार हैं जिनमें मुर्गी-पालन, दुग्ध एवं भैंसों की बिक्री, और जमीन-जायदाद खरीदने-बेचने के पेशे प्रमुख हैं| घरेलु कला-शिल्प और हथकरघा के कार्य गाँव की महिलाओं के प्रमुख शौक और छोटी आय के साधन हैं| गाँव में तकरीबन 20 निजी खुदरा किरयाने और परचून की दुकानें हैं|

विशेष: समय-समय और नई जुटाई गई जानकारी के आधार पर इस विषय की जानकारी को और विस्तृत किया जाता रहेगा|


जय दादा नगर खेड़ा बड़ा बीर  


लेखक्क: पी. के. म्यलक

छाप: न्यडाणा हाइट्स

तारय्ख: 19/04/2012

छाप्पणिया: न्य. हा. शो. प.

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  • न्य. हा. सलाहकार मंडळी

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यू बीर-मर्द म्ह फर्क क्यूँ ?
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बख्त गेल चल्लण तैं अर बदलाव गेल ढळण तैं ए पच्छोके जिन्दे रह्या करें| - NH
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