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ढूह
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!!!......ईस्स बैबसैट पै जड़ै-किते भी "हरियाणा" अर्फ का ज्यक्र होया सै, ओ आज आळे हरियाणे की गेल-गेल द्यल्ली, प्यश्चमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड अर उत्तरी राजस्थान की हेर दर्शावै सै| अक क्यूँ, अक न्यूँ पराणा अर न्यग्र हरियाणा इस साबती हेर नैं म्यला कें बण्या करदा, जिसके अक अंग्रेज्जाँ नैं सन्न १८५७ म्ह होए अज़ादी के ब्य्द्रोह पाछै ब्योपार अर राजनीति मंशाओं के चल्दे टुकड़े कर पड़ोसी रयास्तां म्ह म्यला दिए थे|......!!!
उपरलियाँ का ढूह
एन. एच.ढूह - वैबसाइट के हरियाणवी प्रभाग्गां म्ह प्रकाश्यत् पराणे लेख अर क्यस्से

ब्यौरा: तळै वैबसाइट की देहळी (बारणे आळा पन्ना) पै १०/०६/२०१२ पाछै रळमा तारख्यां पै प्रकाश्यत लेख अर कस्सयां का ढूह|

     
आया मंगसर
हिन्दू कलेंडर के ह्यसाब तैं साल का नौमा मिन्हा सै मंगसर| चढ़दे जाडडे, झड़देपत्ते अर गहुँ म्ह पहली कौर देण, गंडे की
कटाई, जित हो रही हो उड़ै समझ लियो अक मंगसर चाल रह्या सै| गीता जयंती, महाभारत की लड़ाई इस मिन्हें की अयतिहास्यक काहणी सै| खोये के लाड्डू ...... आगै बाचो (21 - 17/11/2013)
 
कात्यक की रुत आ गई
"हीड़ो रै हीड़ो, आज ग्यरड़ी तड़कै द्यवाळी हीड़ो रै हीड़ो" - जै कात्यक के मिन्हें नैं हरियाणवी तीज-त्युहार, संस्क्रती-साहित्य अर खेती के काम-धंधे के ह्य्साब तैं देख्या जा तो इस मिन्हें नैं सारे मिन्ह्याँ का स्यरमोर कह्या जा सकै सै।
के त्युहार अर के खेत कमाणे सारे काम्माँ का जिह्सा स्यर कात्यक म्ह जुड्या हो सै, इसके सरूर अर धुन म्ह यु मिन्हा क्यूकर बीत ज्या इसका ज्यब-ए ...... आगै बाचो (20 - 30/10/2013)
 
"आस्सुज की आस, फसल फळऐ ख़ास"
आसुज्ज के मिन्हे की हरयाणे की संस्क्रती अर लोक-जीवन गेल बड़ी अल्लहड़ मारदी मौज हो सै| इस मिन्हे म्ह हरियाणवी संस्कृति की छटा सातमें असमान चढ़ ज्या सै। गाळआँ-गाळआँ अल्ल्हड़ छाळ मारदा हो सै, घर-घर बणदी सुतारयाँ-रंगां
की सांझी, गाम की गाळआँ म्ह सुवास्सणां के सांझी के गीत्तां की असमान चीरदी सुर-लहरी, गींड-खुळीया लाट्ठी गेल चाँद की भांदी-भांदी शीळक म्ह गाभरुँआँ की होंदी स्यरमेळी, गाम के गोरयां तैं गाभरूआँ की गींड नैं कब्जाण बाबत पड़दी खैडाँ के पेंचे, ...... आगै बाचो (19 - 05/10/2013)
 
"भादवे कै भळओखै, ज्यन्दगी रंग म्ह डबो-कै"
भादवे के मिन्हे की हरयाणे की संस्क्रती गेल आच्छी ठेलम-ठेल हो सै। किते घाम-छाँ का खेल हो सै तो किते गोफिये-पटासाँ के धमाक्याँ म्ह जन्यौराँ की फड़-फड़ाट, किते कृष्ण जी के जन्म की ख़ुशी तै किते धुर बागड़ म्ह गूगा-मेड़ी के मेंळए, किते डेरू-च्यमटा पै अलख जगांदे संवैये ...... आगै बाचो (18 - 25/08/2013)
 
साम्मण उतरया - म्हारे हो अंगणा
रय्म-झ्य्म की न्यरोळी झड़ी, पीन्घां की चरड़-मरड़, कोथळीयों के लारों-लंगारों के संग-संग बाहणों की पोहंचियों के संदेशों-वचनों का मिहना - 'साम्मण'| साम्मण के मिहने का हरयाणे की संस्क्रती अर लोक-जीवन म्ह साल के बाकी के
मिह्न्याँ तैं सबतें घणा अर ऊँचा महत्व सै| इस मिहने गेल हरयाणे की खेती, त्यौहार, गीत-संगीत अर भक्ति का न्यारा-ए-मेळ सै| ...... आगै बाचो (17 - 02/08/2013)
 
मुड़ आया बड़ का पंछी
गाम के बीच मैं खड़्या वो बड़ का दरख़त अपने आप मैं एक इतिहास था।
गाम बसण तै पैहल्यां, अर आज तक बेरा ना कितनी दुनिया नै अपणी छां मैं आराम करवा चुक्या होगा, अर कितने लाख पंच्छियां का बसेरा रह्या होगा वो दरखत? गाम के अगले पिछले हर राज के राजदार उस बड़ की मौत का इंतजार पिछले तीन ...... आगै बाचो (16 - 12/07/2013)
 
पढ़े-लि्खे जन्यौर
एक ऐसी लघु-नाटिका जो बताती है कि लड़कियों की कमी, भ्रूण-हत्या और उस पर टी. वी., सिनेमा द्वारा लगते अवास्तविक
एवं धरातलीय संस्कृति से दूर बनाए जाने वाले कार्यकर्मों के तड़के (छोंक) नें कैसे समाज को अनैतिक ...... आगै बाचो (15 - 24/03/2013)
 
गाम आळा झोटा
यू एक इह्से हय्के का ज्यक्र सै जो आज भी याद आ ज्या सै तो म्यरी रूह राम तैं जा मय्लण की आस करण लाग ज्या सै| एक इह्सी काह्णी जो हरियाणवी संस्कृति
के पह्लुवां नैं-ए न करेळदी ब्यल्क इसके समाज्यक अर भावनात्मक मर्म के अर्श नै भी बाळक की ढाळ रोळ कें लिकडै सै| ...... आगै बाचो (14 - 24/03/2013)
 
फल्यम सम्य्क्षा
बॉलीवुड म्ह हरियाणा अर हरियाणवी का किह्सा प्रयोग हो रह्या सै, न्यडाणा हाइट्स अपणे इस भाग के जरिये उसकी समीक्षा करया-करैगी| म्हारी कोशश रहगी अक हम स्यर्फ समीक्षा ना करें ब्ल्यक जो सराहण ...... आगै बाचो (13 - 12/01/2013)
 
एक गाँव निराला देखा रे
समैण - एक गाँव जो सिखाता है कि कैसे अपनी धरोहर-संस्कृति को संभाल के रखा जाता है| इस गाँव को देखकर समझ में
आता है कि क्यों हरियाणा का नाम सुनते ही इस बात का अहसास होता है कि ...... आगै बाचो (12 - 16/12/2012)
 
गाम के देई-द्योते
पढिये न्यडाणा नगरी की धार्मय्क मानता अर चुचकारण जाण आळए देई-दयोतां की टेर का ब्यौरा| गाम म्ह आर्य-समाजी व्यचारधारा धुर दयन तैं सब मान्ताओं तैं
ऊँची रही सै ...... आगै बाचो (11 - 26/11/2012)
गाम का मोड़
एक हरियाणवी लघु-नाटिका - बीर-मर्द की मर्याद, ल्याज-शर्म के ओळएं-कोळएं मंडरांदी, समाज के भुंडे-सुथरे, स्य्वाये-नयाऊ की उह्ळ-पेळ पै मग्ज करदी एकांकी ...... आगै बाचो (10 - 21/11/2012)
 
कहावतां की मरम्मत
म्हारी खात्तर भी जातिगत कनून बणाओ, जिसतें अक यें तळए बतळआये होए
सम्बोधनां पै हामें भी भों किसे नैं कोर्ट मह जा खड़ा कर दयां बेशक हामें बुरा निः मानदे पर इब ज्यब कनून की बात सै तोम्हारी खात्तर भी बणाओ| ...... आगै बाचो (9 - 01/11/2012)
 
बलात्कार अर ख्यन्डदा समाज
इस मुद्दे की तळी म्ह जाण तें पहल्यां एक बात कह द्यूं अक बलात्कारी, व्यभिचारी अर दुराचारी की कोए ज्यात-धर्म निः होंदा| अर ऊपर तें गेल जुल्म यो अक "घुन्नयाँ नैं खो दिए गाम अर उत्ताँ के नाम बदनाम"|...... आगै बाचो (8 - 12/10/2012)
 
त्यजणा-संजोणा
म्हारे समाज की बरसां-सदियाँ पराणी गर्व करण जोग्गी सांस्कृतिक व्यरासत म्ह तः समाज पै कोढ़ बनण आळी बातां म्ह तें कुणसी जाणी चहिये अर कुणसी सुधार करकें राखणी चहिये, इनपै च्यन्तन तान्ही...... आगै बाचो (7 - 20/09/2012)
 
हरियाणवी छण
सूरज ने पाणी दे,
जा न्यू सूरज सीला हो जा,
फेर क्यूँ इन्दर रूसर्या,
क्यूँ ना खेत बखत पे बू ज्यां ...... आगै बाचो (6 - 13/08/2012)
 
गाम की चेज्जी-च्यणाई
न्यडाणा म्ह एह्ली अर दरवाज्जे बनाण की कला उतणी ए पराणी सै, ज्यतणा पराणा गाम का अय्तिहास| पराणे जम्मान्ने की
 
गाम की बणी-बूटी, पशु-पखेरू अर हेर-स्यमाणे
देशी बोली म जोहड़-गोरे, हेर-स्यमाणे,
कल्लर-कौरे, बणी-बूटी, लेट-डाबडे, डांगर-ढोर के होँ सें इसका पूरा ब्यौरा आड़े पढ़िए ...... आगै बाचो (4 - 03/07/2012)
 
हरियाणवी कहावतें
वें 487 बड्डी कहावतें जो न्यडाणे म्ह ए नहीं, थोड़े से हेर-फेर गेल हरियाणवी ढूंग के हरियाणा अर इसकी गेल लागते पश्चमी उत्तर प्रदेश, दल्ली, राजस्थान,
पंजाब ....... आगै बाचो (3 - 24/06/2012)
गठ्वाळआ खाप
खापलैंड (हरयाणा अर पड़ोस्सी राज्यां खात्तर मिडिया आल्याँ का समानांतर संबोधन) के दूसरे गामाँ की ढाळ, न्यडाणा
गाम की भी खाप सै| गठ्वाळआ खाप गाम की ...... आगै बाचो (2 - 24/06/2012)
बसास्य्त अर बासिन्दे
गाम म्ह दो धर्मों के लोग बसें सें, एक हिन्दू अर दूसरे मुसलमान| हिंदुस्तान के जातीय ढाँचे के हसाब तैं गाम म्ह १५
जाति सें. गाम की जनसंख्या के हसाब तैं चार बड्डी जाति जाट, बाह्मण, कबीरपंथी अर रविदासी सें ...... आगै बाचो (1 - 11/06/2012)

जय दादा नगर खेड़ा बड़ा बीर


छाप: नि. हा. शो. प.

आग्गै-बांडो
न्य. हा. - बैनर अर संदेश
“दहेज़ ना ल्यो"
यू बीर-मर्द म्ह फर्क क्यूँ ?
साग-सब्जी अर डोके तैं ले कै बर्तेवे की हर चीज इस हाथ ले अर उस हाथ दे के सौदे से हों सें तो फेर ब्याह-वाणा म यू एक तरफ़ा क्यूँ, अक बेटी आळआ बेटी भी दे अर दहेज़ भी ? आओ इस मर्द-प्रधानता अर बीरबानी गेल होरे भेदभाव नै कुँए म्ह धका द्यां| - NH
 
“बेटियां नै लीड द्यो"
कन्या-भ्रूण हत्या ख़त्म हो!
छोरी के जन्म नै गले तैं तले ना तारणियां नै, आपणे छोरे खात्तर बहु की लालसा भी छोड़ देनी चहिये| बदेशी लुटेरे जा लिए, इब टेम आग्या अक आपनी औरतां खात्तर आपणे वैदिक युग का जमाना हट कै तार ल्याण का| - NH
 
“बदलाव नै मत थाम्मो"
समाजिक चर्चा चाल्दी रहवे!
बख्त गेल चल्लण तैं अर बदलाव गेल ढळण तैं ए पच्छोके जिन्दे रह्या करें| - NH
© न्यडाणा हाइट्स २०१२-१९