खेती-बाड़ी
 
उपज अर खान-पान
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!!!......ईस्स बैबसैट पै जड़ै-किते भी "हरियाणा" अर्फ का ज्यक्र होया सै, ओ आज आळे हरियाणे की गेल-गेल द्यल्ली, प्यश्चमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड अर उत्तरी राजस्थान की हेर दर्शावै सै| अक क्यूँ, अक न्यूँ पराणा अर न्यग्र हरियाणा इस साबती हेर नैं म्यला कें बण्या करदा, जिसके अक अंग्रेज्जाँ नैं सन्न १८५७ म्ह होए अज़ादी के ब्य्द्रोह पाछै ब्योपार अर राजनीति मंशाओं के चल्दे टुकड़े कर पड़ोसी रयास्तां म्ह म्यला दिए थे|......!!!
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डॉक्टर सुरेन्द्र दलाल कृषि-अर्थ सोधशाला 

गाम की उजा-ज्यात अर जायके-मुक्हार

गाम की उजा-ज्यात:


गाम म खेती ज्यादती तौर पै जाट अर बाह्मणां का पेशा सै जो हरिजन मजदूरां की सेती करी जा सै|


कपास
सरसों
गेहूं
ईंख (गन्ना)
धान (चावल)

नाज/दाळ/रेश्शा/न्यार
फळ/बाग़
साग/सब्जी
फूल
सामणी: चौमासे म बोई जा सै अर जाडयाँ म कटाई
नाज: चौळ, ज्वार, बाजरा, मक्का
दाळ: मूंग, ढांचा-अरहड़, उड़द, मोठ
रेश्शा: कपास 
तैलीय: सूरजमुखी, तय्ल
न्यार: जुव्यार, गुवार

साढी: जाडयाँ म बोई जा सै आर गर्मियां लामणी करी जा सै 
नाज:गंहू, मेथी, जों
दाळ:चणा, लोबिया, मटर
तैलीय: सरसम, तोडिया
न्यार: सरसम-बरसम 

बारूं-मासी फसल: ईंख (गण्डा)
आम्ब, केळआ, बेर, बेरी, मरुद, शतूत, गुल्लर, शैद, तरबूज, शक्कर-गन्दी, पलपोटण, पपीता, लसोड़े, नम्बोळी, जंगळी-जलेबी
सलाद: गाजर, मूली, चुकंदर, प्याज, गोभी, टमाटर, ककड़ी, खीरा

सामान्य: आलू, फूल-गोभी, घिया, कद्दू, टिंडा, बेंगन, पेठा, लह्सोड़े

हरी-सब्जियां: तोरी, भिन्डी, पालक, मेथी, बथुआ, कुंद्रा, मड़कन, गंडल, मटर, मूंग की फली, मूली के पत्ते

मसाले: धनिया, लहसुन
सूरजमुखी, सरसों, गेंदा, चमेली, गुलाब




गाम के जायके:


गाम के खाणे, जायके अर मुक्हार का ब्यौरा


चूरमा
हरी सब्जियां
लस्सी-छाज
अचार
घर के खोये के लड्डू

ढाळ
जायके-मुक्हार
चटनियाँ
कचरी, मेथी, आलू, सिंगरा, हरी-मिर्च, मटर, छोलिये, लाल-मिर्च, टमाटर-प्याज, मेथी-अदरक, आलू-लस्सी, हरा-धनिया,

वर्तमान: इमली-टमाटर, नारियल
घरेलु हरियाणवी मिठाइयाँ
लड्डू (खोया, मूंग, तिल, बेलगिरी), गूंद, कसार, चूरमा, बर्फी, पेडे, तिलकुटा, बूरा, खांड, गुलगुले-सुहाली, माल पूड़ा, साधारण पूड़ा, घी-बूरा, गुड़, घी-शक्कर, खीर, खोया-खीर, पंजीरी, हलवा, सूखा हलवा, जलेबी, सामकिया खीर, मीठे चावल

वर्तमान: जलेबी, गज्जक, पनीर के लड्डू, नारियल की लड्डू, आटे के लड्डू, खीर (मटर की, सामकिये की, चावल की, पनीर की), हलवा (आलू का, बादाम का, बेसन का) 
दूध
पनीर, जलेबी, बर्फी, खोये के लड्डू, पनीर के लड्डू, दूध, मख्खन, घी, दही, अध्-बिलोई लस्सी, लस्सी, गोज्जी, रायता (गाजर, घिया, कद्दू, मूली, बथुआ,बूंदी), पनीर के परांठे, खीर, रसगुल्ले, मावे की बर्फी
नमकीन
पकोड़े (प्याज, आलू, गोभी, पनीर, बैंगन, मटर), भुजिया, ब्रेड-पकोड़ा, मठ्ठी, मटर, दलीय, खिचड़ी, नमकीन चिल्ला, परांठे,  घिया-कोफ्ते, कढी-कोफ्ते, छोले-भठूरे, समोसे
अनाज
चावल (सादे, नमकीन, मीठे), रोटी (गेहूं, बाजरा, चना), खिचड़ी (मूंग-चावल, चना-बाजरा) गेहूं का दलिया, नमकीन चने-बाकली, हलवा, परांठे, पूड़े, पूरी, सामकिये
हरा-साग
बथुआ, कुंद्रा, पालक, गंडल, मेथी, मूंग की फली, मूली के पत्तों की भुज्जी
अचार
पुराने जमाने से: आम, हरी-लाल मिर्च, निम्बू, टींड

वर्तमान:गाजर, गोभी, लहसुन, खट्टा-मीठा नीम्बू, कमल-ककड़ी
दालें
पुराने जमाने से: मूंग, चने, उड़द, मोठ

वर्तमान: राजमा, छोले, सोयाबीन, लोबिया, अरहर, पीली दाल, दाल मखनी 
मसालें
पुराने जमाने से: हरी-लाल मिर्च, कचरी, सूखी मेथी, अजवायन, धनिया, नमक, जीरा, हल्दी, लहसुन

भूतकाल व् वर्तमान: बूंदी रायता, गरम मसाले, चना-छोले-मसाला, आमचूर चूर्ण, पाक चूर्ण, काली मिर्च, जल-जीरा  
दादी माँ के घरेलु नुस्खे
देशी-नुस्खे
अंदरूनी चोट के लिए हल्दी का दूध, काडा (दूध-खांड-छुवारे-लॉन्ग), देशी फाकी, चोट से तवचा छिल जाने पे मोम-हल्दी-सरसों के तेल के मिश्रण का लेप, नीम की पपड़ी का लेप, गूलर का फल, हल्दी-तेल का मिश्रण, सरसों के दिये पे पलते से काजल बनाना, दाड़ दर्द के लिए लॉन्ग कर रस, पेट में दर्द के लिए अजवायन-नमक का मिश्रण, दूध-घी-हल्दी मिला के पीना, जुकाम के लिए छुवारे-लॉन्ग-इलायची-काली मिर्च-अदरक-तुलसी दाल के पीना, खांसी के लिए शहद-काली मिर्च का मिश्रण


ध्यान म देण की: बख्त की गेल इसमें और भी जानकारी घाली जान्दी रहगी|


जय दादा नगर खेड़ा बड़ा बीर  


लेखक्क: पी. के. म्यलक

छाप: न्यडाणा हाइट्स

छाप्पणिया: न्य. हा. शो. प.

ह्वाल्ला:
  • न्य. हा. सलाहकार मंडळी

आग्गै-बांडो
 
मींह-बादळ का ब्योंत-मय्जाज

जानकारी पट्टल - खेती-बाड़ी
खेती-बाड़ी अर जमीन के काम तैं जुड़ी वेबसाइटा के ब्योरे बाबत, कट्ठी करी होई ताहरे काम की| NH नियम और शर्ते लागू|
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न्य. हा. - बैनर अर संदेश
“दहेज़ ना ल्यो"
यू बीर-मर्द म्ह फर्क क्यूँ ?
साग-सब्जी अर डोके तैं ले कै बर्तेवे की हर चीज इस हाथ ले अर उस हाथ दे के सौदे से हों सें तो फेर ब्याह-वाणा म यू एक तरफ़ा क्यूँ, अक बेटी आळआ बेटी भी दे अर दहेज़ भी ? आओ इस मर्द-प्रधानता अर बीरबानी गेल होरे भेदभाव नै कुँए म्ह धका द्यां| - NH
 
“बेटियां नै लीड द्यो"
कन्या-भ्रूण हत्या ख़त्म हो!
छोरी के जन्म नै गले तैं तले ना तारणियां नै, आपणे छोरे खात्तर बहु की लालसा भी छोड़ देनी चहिये| बदेशी लुटेरे जा लिए, इब टेम आग्या अक आपनी औरतां खात्तर आपणे वैदिक युग का जमाना हट कै तार ल्याण का| - NH
 
“बदलाव नै मत थाम्मो"
समाजिक चर्चा चाल्दी रहवे!
बख्त गेल चल्लण तैं अर बदलाव गेल ढळण तैं ए पच्छोके जिन्दे रह्या करें| - NH
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