सोण-सामण
 
धारम्यक-मानता
 
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!!!......ईस्स बैबसैट पै जड़ै-किते भी "हरियाणा" अर्फ का ज्यक्र होया सै, ओ आज आळे हरियाणे की गेल-गेल द्यल्ली, प्यश्चमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड अर उत्तरी राजस्थान की हेर दर्शावै सै| अक क्यूँ, अक न्यूँ पराणा अर न्यग्र हरियाणा इस साबती हेर नैं म्यला कें बण्या करदा, जिसके अक अंग्रेज्जाँ नैं सन्न १८५७ म्ह होए अज़ादी के ब्य्द्रोह पाछै ब्योपार अर राजनीति मंशाओं के चल्दे टुकड़े कर पड़ोसी रयास्तां म्ह म्यला दिए थे|......!!!
थाह्मे उरे सो: देहळी > तामझाम > धारम्यक मानता
आर्य समाज अर गाम के देई-द्योता

न्यडाणा नगरी म्ह धार्मय्क मानता के मूळ स्यधांत:
  1. गाम म्ह घनखरे माणस भगवान की एक सूरती म्ह मान राखणिये सें अर मानता सै अक भगवान् बजाये किसे लोहे-कंक्रीट की बंद च्यारद्वारी के, माणस की रूह म्ह बसै सै, आत्मा म्ह हो सै| अर इसे ब्यस्वास के कारण घन्खरा गाम मूर्ती अर बुत पूजा म्ह कोए श्रद्धा नी राख्दा|

  2. गाम-राम धर्म के नाम पै बेहुद्दी अर ढोंगीपण की करतूतां तैं तीखी नफरत करैं सें|

  3. न्यडाणा नगरी पाखंडी मोड्याँ नैं सांड छोड़ राखी सै| क्यूँ अक जयब भी वें गाम म्ह आकें कोए भी पाखंड आळआ, जनता नैं भुकाण आळआ काम करदे तो गाम-राम उनकी खाल तार ल्यन्दा| तो इस बात का उन्नें कोए पार ना पाया तो गाम म्ह बड़णा छोडगे| मतलब गाम सांड छोड दिया, अक भाई यू गाम म्हारी भुकाईयाँ म्ह कोनी आण का, काबू तैं बाहर का सै, न्यूं-ए ज्यूकर आच्छा सुरडाया होया सांड होया करै| तो छोड दिया मोड्याँ नैं भी न्यडाणा सांड|

  4. गाम आळयां नैं पाखंड अर ढोंग के रोळ-झोळ सच्चाई अर बरतेवे पै परखण की ब्याण सै अर जयातें इह्से मामल्याँ म्ह इनकी पैनी पकड़ सै|

  5. गाम धर्म के ना पै करण जाण आळी हर उस आहुति के ख्य्लाफ सै, जुणसी के भळएखै गाम के याणे-स्याणे छोह्र्ट नशे-पते बरगी बैल-बायण म्ह फैह ज्याँ| अर इसे बात के कारण गाम म्ह कोए भी ढोंगी रात-बसेरै डटण की हिम्मत नी द्य्खा पांदा| पर इतणा हजूर सै अक जो सीधी नीत का, भक्ति का पोंह्च्यां होया साधू-महात्मा हो सै, गाम उसका आदर भी उतणा ए टूट कें करै सै| पर इह्सा साधू छीद्दा ए देख्या जो किमें-नैं-किमैं इह्सा खटेबा तारदा ना पाया हो अर फेर जिस्तें खुदंक खा गाम नैं अपणा रीकार्ड ना दुहराणा पड्या हो| इह्सा मोडा छीद्दा ए देख्या जो गाम म रात-बसेरै डटया हो अर सांगो-पांग रात काट ग्या हो| आज लग तो न्यूं सुणी अक मोड्डा डटया पर इह्से कूच्चे बोंदा पाया अक, गाम नैं रातों-रांत उसका टंडीरा ठुवा दिया अर मोडा तो उ ज अर उ जा एडियाँ कै थूक लायें|

  6. खेती का कारोबार इह्सा हो सै अक इसमें कारोबारी का लेण-देण सीधा परमात्मा तैं हो सै| अक क्यूँ देगा तो वो राम, पैर म्ह पड़े नैं भी ठा लेगा तो ओ राम| को पराईबेट कम्पनी की नौकरी तो होंदी ना अक माल्यक की जी-हजूरी करी अर गाड्डी गयरड़ी रहगी| क्य्सान का तो माय्लक राम हो सै (इसे कारण तो क्यसानां के बाळकां नैं दफ्तर आळए मालय्कां की जी-हजूरी करण की बयाण इतणी सेल्ही ना पड़ण पांदी -अर खेताँ तैं ल्य्कड़ कें कोर्पोरेट म्ह जा नौकरी करणीये हर क्यसान के बाळक नैं पढ़ण तें भी जरूरी हो सै जी हजूरी करण सीखणा, अर इसे नैं उडै तमीज से पेश-आणा अर सुंदर व्यवहार करणा कह्या जा सै, सो ज्ञान-व्यवहार अर अपणे आप नैं दफ्तरी राजनीती तैं जो बचाणा सीख ज्या समझो ओ पार गया) देगा तो ओ, खोसैगा तो ओ| अर ज्यब लेणिया-देणिया राम बरगा माय्लक हो तै उसके दरबार म्ह माणसां आळी जी-हजूरी कोन्या चाल्दी| उसके दरबार म्ह तो खसम जितणी सीधी अर नेक नीत का होगा, राम जी उत्णी ए बरकत देगा| इसे लागै इन्नें आपणे काम म्ह वफ़ादारी अर ब्यना किसे लाग-लपेट तैं चालणा पडै सै|


न्यडाणा नगरी के धर्म अर देई-द्योते:

धर्म: गाम म्ह दो धर्म के बासिन्दे बसैं सें, एक ह्यन्दु अर दूजे मुसल्यम| 95 तैं 97% लोग ह्यन्दु सें अर 3 तैं 5% मुसल्यम| लुहार अर कुम्हार दो इह्सी ज्यात सें जिन्में दोनूं धरमां के लोग सें| डूम अर तेल्ली ज्यातां म्ह स्यरफ मुसलमान-ए सें|

दोनूं धरमां की सबतैं चुच्कारण जोगी क्यताब माभारत, रमाण, भगवद गीत्ता अर कुरान के वेब-ल्यंक साईट e-Library भाग के Study Center म्ह उपलब्ध सें|


गाम के साझळए देई-द्योते:

दादा नगर खेड़ा (बडा बीर): गाम का सबतैं पराणा, सुच्चा अर बड्डा तीरथ| वा मढ़ी जडै कदे ज्यब गाम बस्या था तो गाम के पुरखयां नैं गाम की नीम का पाथर टेक्या था| इसमैं कोए मूरत निः, को बुत निः, कोए पाखंड निः, कोए बाब्बा/पुजारी नहीं| बस श्यांत महाकाळ सा खड्या सै, गाम के बसण तैं ले अर आज लग की काह्णी लियें|

गाम का हर ब्याह्न्दड़ केसुहड़ा चढ़ आपणे धुर लग के पुरख्याँ की माय्नं करण अर उनका अशीष लेण, दादा बड़े बीर थारी पैड़ी जरूर धोक्कण आया करै| न्युएँ ज्यब नई बंदड़ी ब्याह कें गाम म्ह आवै तो उसकी ज्यन्दगी की गाम की पह्ल्डी सबेर न्यरणा-बास्सी वा भी आपणे मर्द के कुणबे की बड्डी लुगाइयाँ गेल दादा बीर धोक आपणे पुरख्याँ की मान म धोळआ चादरा चढ़ा, उनकी धोक मारया करै| दोनूं बीर-मरदां की धोक लुवाएँ पाछै जाळ की काम्ड़ियाँ गैलाँ सोळआ-सोळआ खेल खेल्या करें अर खूब हांसी-ठयठोळी कर उनकी ज्यन्दगी नैं एक हान्सदी-गांदी होई शरुआत दादा बीर के स्याह्मी दी जाया करै| गाम का बडा बीर गाम के मैदान तैं द्यक्षण नैं चढ़दी गाळ (इस गाळ नैं बडे बीर आळी गाळ भी बोल्या करैं) म्ह आगै जा कें, गुहड़ी आळए जोहड़ के छ्यप्दे काय्नां सै|
दादा नगर खेड़ा (बडा बीर)


आर्य समाज: ज्युंके वेबसाइट के अय्तिहास आळए ह्यस्से म अर इब ऊपर भी व्यचारा गया अक गाम के लोग परमात्मा के एक सरूप नैं मानणिये अर अयन्सानी रूह नैं इसका बास मानणिये सें अर क्युंके आर्य समाज भी न्यूं-ए कहवै सै तो ज्यांते गाम आळयां नैं आर्य समाज धर्म प्रणा राख्या सै| न्यडाणा धुर दयन तैं आर्य समाज की मानता का छांट कें अग्रणी गामां म्ह रह्या अर दूर-दूर लग आपणी इस छवि खाय्त्तर जाणया गया| जय्ब 1905 म्ह अखिल भारतीय जाट महासभा नैं आर्य समाज की ज्योत प्रणाई उसे दयन तैं न्यडाणे नैं भी प्रणा ली थी अर आज लग भी सबतें ज्यादा आर्य समाज ए गाम म्ह मान्या जा सै|

चुच्कारण जोया सत्यार्थ प्रकाश अर बेद: आर्य समाज की सबतें चुच्कारण जोई क्यताब "सत्यार्थ प्रकाश" के वेब-ल्यंक साईट e-Library भाग के Study Center म्ह उपलब्ध सें|


गाम के टोळयां खस्मान्नी देई-द्योते (आपणे-आपणे):

दादा सत सही न्यराकार: 800 साल पराणा दादा मोलू राम जी का खेड़ा अर टिल्ला गुव्हांड खरक-राम जी म्ह सै| दादा जी नैं "राम जी" अर "दादा न्यराकार" के नां तैं भी पुकारया जा सै| थारी मानता हरयाणा अर जमना पार यू।पी।लग सै| मंदर म्ह कोए मूरत निह, बुत निह बस दादा की अमर-ज्योत आठूँ पहर बळएं जा सै|

फागण का मिहना दादा न्यराकार का सबतैं परोपकारी मान्या जा सै| इस मिह्ने की परणवासी यानी होळी के दयन दादा की सबतैं बड्डी धोक जुड्या करै| फेर होळी अर फाग दोनूं दयन टिल्ले पै अर खरक रामजी गाम म्ह खूब बड्डा मेळआ भरया करै अर कुश्तियां के दंगल जुड्या करें|

महंत सिद्ध श्री सुखबीर सिंह जी तीरथ के सर्वे-सर्वा सें| थाह्में 34 साल के युवा जोगी सो अर ज्यब तैं तीर्थ की बागडोर संभाळी सै, तीरथ का कती कायापलट करकें धर दिया|

दादा का टिल्ला 100 फुट तैं भी ऊँचा सै| एक औसत के ह्य्साब तें साल म्ह 1 लाख के लोवै धोक तीरथ पै चढ़ाई जां सें| टिल्ले के शंखनाद की इतणी पोहंच सै अक खरक राम जी गाम जड़े लग शंख का शुर जा, उस हेर म्ह जै ओळए भी पड़दे हों तै तुरत पाँ थम ज्यां|

दादी चौरदे: गाम के चेतु अर भन्ते आळए ठोळए की देब्बी माई, जिसकी ईंट कुछ-ए सालां पहल्यां न्यडाणी तैं ल्या गाम म्ह स्थापय्त करी गई थी|

सय्यद: गाम के मुसलमानाँ का सबतैं बड्डा पीर, जिसकी धोक अक ह्यन्दुआं लग म्ह लाई जा सै|

देब्बी माई: गाम के एक ठोळए की देई, न्यूं-ए ज्युकर दादी चौरदे सै| मिह्नें की हर आठम नै देई की धोक लाग्या करै| देई की मढ़ी, गाम के सबतें सुच्चा मान्ने जाण आळए जोहड़ पै सै| यह जोहड़ गुजरे जमानों म्ह इतणा पवित्र मान्या अर राख्या गया अक इसका पाणी घर के रसोई के काम-काज्जां म्ह अर कै बुळदां के पीण म्ह काम आया करदा| देब्बी माई गाम के छ्यप्दे नैं फ्यरणी के ऊप्पर, देब्बी आळए जोहड़ पै अर न्यडाणी आळी गोहर पै सै|

कबीरपन्थियाँ आळी मढ़ी: गाम की कबीरपंथी बस्ती म्ह भगमे रंग की मढ़ी, जिसपै गाम के धाणकां की धोक लाग्या करै|

बाखे आळी माता: गाम के जोहड़ बाखे पै माता की मढ़ी सै|

गूगा मेड़ी: उत्तर भारत की क्यसान जमात का सबतैं बड्डा द्योता| थामनै गाम का घंखरा माणस पूजै सै|





गाम के पुराणय्क देई-द्योते:
दादा मोल्लू राम जी का टिल्ला
दादी चौरदे
देब्बी माई



पुराणय्क भगवान
बाब्बा बजरंग बली
शयब्जी भोळा
राम जी
संतोषी माता
शनि माहराज
स्यद्ध जोगी-मुनि
बालम्यकी मुनि
बयश्वाम्यत्र मुनि
भारद्वाज मुनि
वयश्यष्ट मुनि
परशुराम मुनि


अगेती टंडवाळ: इस पन्ने पै काम चाल रह्या सै, तोले-तैं-तौला थारी सेवा म हाज्जर करया जागा|


जय दादा नगर खेड़ा बड़ा बीर  


लेखक्क: पी. के. म्यलक

छाप: न्यडाणा हाइट्स

छाप्पणिया: न्य. हा. शो. प.

ह्वाल्ला:
  • न्य. हा. सलाहकार मंडळी

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जानकारी पट्टल - संस्क्रति
संस्कृति जानकारी पत्र आपको संस्कृति और जमीन से सम्बंधित वेबसाइटें उपलब्ध करवाने हेतु है| NH नियम और शर्ते लागू|

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न्यडाणे के देई-द्योता - ६ फोटू
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“दहेज़ ना ल्यो"
यू बीर-मर्द म्ह फर्क क्यूँ ?
साग-सब्जी अर डोके तैं ले कै बर्तेवे की हर चीज इस हाथ ले अर उस हाथ दे के सौदे से हों सें तो फेर ब्याह-वाणा म यू एक तरफ़ा क्यूँ, अक बेटी आळआ बेटी भी दे अर दहेज़ भी ? आओ इस मर्द-प्रधानता अर बीरबानी गेल होरे भेदभाव नै कुँए म्ह धका द्यां| - NH
 
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बख्त गेल चल्लण तैं अर बदलाव गेल ढळण तैं ए पच्छोके जिन्दे रह्या करें| - NH
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