शक्ष्या अर क्रांति:
पराणा सरकारी ब्दाल्ला (खेताँ आळआ बड्डा स्कूल): भ्याणी बोरड तैं मानता हासल सन १९३५ म बणाया गया, गाम की पढाई-लखाई का सबतें बड्डा सरोकार| ब्दाल्ला गाम के उत्तर-पूरबी शोर-शराबे अर प्रदूसण तैं मुक्त हेर के हरये-भरे खेताँ की गोद म बण रह्या सै| मेरे पयत्या, बड्डे-बढेरे अर पूर्वज सारे इस बदाल्ले तैं पढ़ कें ल्यकड़े होए सें अर आज के दयन भी यो ब्दाल्ला गाम की शक्ष्या सेवा म तल्लीन खड्या सै| पराणे जमान्ने म इसमें छोरे-छोरी दोनूं पढ्या करते, आज के दयन यो सर्फ छोरयां खात्तर सै| यू ब्दाल्ला क्यूकर बणया, इसकी स्थापना की कहाणी भी किसे क्रांतिकारी कस्सये तैं कम नीह, जिसके बारे म थाम तळए पढ़ सको सो|
नया छोरियां आळआ सरकारी स्कूल (कन्या पाठशाळआ): भ्याणी बोरड तैं मानता हासल यो स्कूल गाम की फयरणी की उत्तर-पूरबी ढूंग म इसके बहरली ओड़ नै जींद-ढग्याणा सरड़क पै बण रह्या सै| पहल्यां यू पाचमी लग का होया करदा, फेर एक गाम के मसीहा नै इसमें गुरुकुल खोलण बीड़ा ठाया, अर एक इह्सा आन्दोलन छेड़ा जिसने देखण बाबत तो देबी-देवता भी तरस ज्यां| क्यूकर ओ आन्दोलन शरू होया अर परवान चढ्या अर क्यूकर इस स्कूल नै एक काल्लज बनण की राह पकड़ी अर फेर क्यूकर या काहणी दसमीं लग का स्कूल बणन पै आकें थमी, इसका पूरा ब्यौरा तळए पढ़िए| |
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गाम की कन्या पाठशाळा का ठेल बारणा |
अगेती टंडवाळ: इस पन्ने पै काम चाल रह्या सै, तोले-तैं-तौला थारी सेवा म हाज्जर करया जागा|