निडाना की जीवन-शैली के सम्बन्ध निर्माण और व्यावाहारिक पहलू:
गाँव की संस्कृति भाईचारा, कर्म ही पूजा है और वंश प्रणाली के सिद्धांतों पर चलती है (ऐसे ही अन्य सिद्धांत और पहलू समय के साथ-साथ उचित अन्वेषण और प्रसंग के अनुसार डाले जायेंगे)| निम्नलिखित विवरण ऊपर बतलाये गए निडाना जीवन शैली के सिद्धांतों पर रोशनी डालते हैं:
कर्म ही पूजा है: सर्वज्ञात, सर्वमान्य तथ्य है कि जो इंसान अपने कर्म को पूजा समझ उसको केन्द्रित हो करता है और साथ-साथ दूसरों के जीवन बसाने और जीवन-यापन साधन पाने हेतु मदद करता है वो पूरे गाँव में देर-सबेर, प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप में सर्वश्रेष्ठ सामाजिक और विश्वसनीय इंसान की तरह मान्य होता है| विश्वास किया जाता है कि ऐसा इंसान वो चाहे मर्द हो या औरत वो सिर्फ अपनी ही जिंदगी नहीं बनाता बल्कि गाँव में सार्वजनिक रूप से सामाजिक दिग्गज की गरिमा को प्राप्त होता है| अत: गाँव में सामाजिक भलाई की समर्पण भावना से कर्म करना ही निडाना की वांछनीय जीवन शैली है|
वंश प्रणाली: गाँव के लोग खून के रिश्तों और पूर्वज पदानुक्रम पद्दति में अटूट विश्वास रखते हैं, नतीजतन कई "पान्ने", "ढूंग", "ठोळऐ" और "बगड़" स्थानीय सामाजिक ढांचे में लंबे समय से परिभाषित हैं| वंश-प्रणाली की विस्तृत जानकारी हेतु "सामाजिक पंचायत" पृष्ठ पर पढ़ें|
भाईचारा: निडाना के सामाजिक ढाँचे और संस्कृति की रीढ़ की हड्डी|
- गाँव के किसान और मजदूर अपने कर्म और व्यवहार में मूलत: भोले और ईमानदार होते हैं|
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अगर आप ठेके पे खेती करते हैं और किसी प्राकृतिक आपदा जैसे की ओलावृष्टि, अकाल, बाढ़ वश आप की फसल नष्ट हो जाती है तो ऐसी परिस्थिति में जमीन-मालिक आपसे उस अरसे के अपने हिस्से का ठेका या धन छोड़ देता है ताकि प्राकृतिक आपदा से पहले से ही ग्रसित उस किसान की मुसीबतों का कुछ बोझ कम हो सके| गाँव में इसके कई उदहारण और किस्से चर्चित हैं| जल्द ही ऐसे उदहारण सम्बंधित बन्दों की अनुमति पे प्रस्तुत किये जायेंगे|
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अगर आप एक लाचार परन्तु अपने कर्तव्यों में जिम्मेदार और ईमानदार इंसान हैं तो गाँव के साधन-सम्पन्न लोग आगे बढ़कर आपके पारिवारिक समारोहों जैसे कि शादी में अपनी तरफ से सारा खर्चा वहन करते हैं जिस-पर कि अगर पैसा तर्क-संगत समय रहते लौटा दिया जाए तो वो ब्याज भी नहीं लेते हैं|
ऐसे ही अगर आप अपना जीवन-यापन स्थापन के लिए मदद के इच्छुक हैं और कोई रास्ता नहीं मिल रहा और ऐसे में गाँव का ही कोई आपकी मदद करने में सक्षम है और आपकी मंजिल का रास्ता जानता है तो वो आपको अपनी मंजिल तक पहुंचाने में हर संभव जैसे कि नैतिक और जितनी हो सके उतनी आर्थिक सहायता भी करता है| गाँव में इसके कई उदहारण और किस्से चर्चित हैं| जल्द ही ऐसे उदहारण सम्बंधित बन्दों की अनुमति पे प्रस्तुत किये जायेंगे|
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ढंगोसरा: यह स्थानीय स्तर पर सर्वाधिक अपनाए जाने वाला खेतों का कार्य मिलझुल कर करने हेतु दो किसानों के अंतर्गत किया हुआ ऐसा करार होता है जिसमें कि दोनों किसानों के परिवार दोनों के खेतों का काम मिलझुल कर करते हैं| इसमें दोनों तरफ के परिवारों का प्यार और सोहार्द तो दृड़ होता ही है साथ-साथ कार्य करने का माहौल भी खुशनुमा और रोचक बना रहता है|
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ल्हास: ल्हास गाँव स्तर पर किया गया एक ऐसा आयोजन होता है जिसमें कि गाँव के सार्वजनिक और सामाजिक हित के कार्य जैसे तालाब-खुदाई, जोहड़ों-तालाबों में पानी भरना, रजबाहों-खालों से मिटटी-गाद निकालना किये जाते हैं| वैसे तो ल्हासें सार्वजनिक श्रम-दान के सिद्धांत पे आयोजित होती हैं परन्तु अगर इसमें पैसे कि जरूरत पड़ती है तो हर कोई अपने सामर्थ्य अनुसार उसमे भी गाँव के आर्थिक तौर सम्पन्न लोग खासकर आगे आ पैसा लगाते हैं|
ये तो हुए फसलों-खेतों और पशुओं के लिए पीने के पानी हेतु प्रबंध करने जैसे कार्य, इसके अलावा ऐसे सामाजिक कार्य भी किये जाते हैं जो कि गाँव के मानव-विकास हेतु होते हैं| गाँव की कन्या पाठशाला, पीने के पानी का प्रबंधन और खेतों-वाला पुराना विधालय ऐसे ही कुछ उदहारण हैं|
विशेष: वक्त के साथ इस विषय पर और जानकारी जोड़ी जाती रहेगी|