तामझाम
 
चिणाई कला
 
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!!!......ईस्स बैबसैट पै जड़ै-किते भी "हरियाणा" अर्फ का ज्यक्र होया सै, ओ आज आळे हरियाणे की गेल-गेल द्यल्ली, प्यश्चमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड अर उत्तरी राजस्थान की हेर दर्शावै सै| अक क्यूँ, अक न्यूँ पराणा अर न्यग्र हरियाणा इस साबती हेर नैं म्यला कें बण्या करदा, जिसके अक अंग्रेज्जाँ नैं सन्न १८५७ म्ह होए अज़ादी के ब्य्द्रोह पाछै ब्योपार अर राजनीति मंशाओं के चल्दे टुकड़े कर पड़ोसी रयास्तां म्ह म्यला दिए थे|......!!!
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न्यडाणे की चेज्जी-चयणाई की कारीगरी अर अंजनरिंग के नमूने

न्यडाणा म्ह चेज्जी-चयणाई:


न्यडाणा म्ह एह्ली अर दरवाज्जे बनाण की कला उतणी ए पराणी सै, ज्यतणा पराणा गाम का अय्तिहास| थाहरे स्याह्मी पेश सै गाम की लाल अर भूरे रंग की छोटी ईंटा आळी एह्लियाँ अर दरवाज्याँ तैं ले नए जम्मान्ने की कोठियाँ अर मक्काना का सफरनामा| डाट-छ्ज्जयाँ-अटारियां-चुबारयाँ-सतीह्रां-कड़ियाँ अर गुम्ब्दां तैं ले आज-काय्ल की बालकनी अर बरांडयां लग की दास्तान| पराणे जम्मान्ने की पात्थर की चौखटा अर जाळीयां तैं ले लोह की जाळी अर कैंची गेट्टा लग की काहणी|


गाम का नक्शा: गाम का रहासी हेर एक पांच-भुजी घेरे का सै, जिसमें घनखरी गाळ अर सरड़क फयरणी पै खड़ी-कटाई पै काटें सें| भीतरली गाळआं म क्सुह्डा गाळ सबतें बड्डी अर भीतरली रह्यास की छल्ला गाळ सै| इस गाळ अर फयरणी नैं मीलाण आळी घनखरी गाळ भी खड़ी-कटाई पै काटें सें| इसकी साबत जनकारी साईट के e-Media > Village Map आळए पन्ने पै पड़ी सै|



गाम की पराणे जुग की रयहास चयनण की कला - बाहरली ओड़ की:

छज्जे-बारजे
सामुदायिक अयमारत चयनण की कला: पत्थर के बारजे, डाट आळए दरवाजे, पाथ्रां की झांकी-चौखट, अध्गोळी- अधायती जंगळए, क्यलेनुमे मंडेरे, भीतां पै पशु-पखेरुवाँ की च्यत्रकारी आळी बड्डी चुप्याल (पयरस)|
छोट्टी इंटा आळी एह्ली, सपाट-सीधी भींत, भींता कै उपरले ह्य्स्से पै बणी डयोड्डी|


अध्गोळी डाट, पैन्नी त्यकोणी छल्लादार कढाई, दोहरे दरवाज्जे (भीतर की ओड़ के लोह अर काठ के कुवाड़, बाहरली ओड़ के जाळी आळए कुवाड़) अर पात्थर के झुकदे छज्जे
पात्थर की छल्लेदार जाळी, एक-कै-एक लाग्दी खड़ी गोळ कुण्या आळी जाळीदार मंडेर, आयताकार गुबंद आळआ बारजा
घर कै आगै बणे ऊँचे चौतरे


गाम की नए जम्मान्ने की रयहास चयनण की कला - बाहरली ओड़ की:

आम अय्मारत का नवेला ढलमाँ-चकोर बारणा
अध्गोळी डाट आळआ सपाट हवादार जंगळआ
सयमट-इंटा की गाळ अर पाणी-काडण खात्तर बणी नाळी


आयती मकान कै बाहरली ओड़ तैं चढ़दी पैड़ी, झांकी कै उप्पर पैंताळीस डग्री पै झुके पात्थर के छज्जे अर दरवाज्जे कै दोनूं काहन बणी चौतरी
तीन मंजली छतरी आळी कोठी
नए ढाळ के जाळीदार मंडेरे, आग्गे कायन ल्य्कड़े होए छज्जे अर लोह के दरवाज्याँ आळआ मकान

गाम की नई रयहास म बनण लाय्ग रीह कोठी अर मकानां का एक शहर बरगी झलक द्य्खान्दा मनमोही नजारा


अगेती टंडवाळ: नई खोज अर बख्त की गेल इस पाठ म्ह नई जनकारी जोड़ी जांदी रहगी|


जय दादा नगर खेड़ा बड़ा बीर  


लेखक्क: पी. के. म्यलक

छाप: न्यडाणा हाइट्स

तारय्ख: 10/05/2012

छाप्पणिया: न्य. हा. शो. प.

ह्वाल्ला:
  • न्य. हा. सलाहकार मंडळी

आग्गै-बांडो
 
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“दहेज़ ना ल्यो"
यू बीर-मर्द म्ह फर्क क्यूँ ?
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“बेटियां नै लीड द्यो"
कन्या-भ्रूण हत्या ख़त्म हो!
छोरी के जन्म नै गले तैं तले ना तारणियां नै, आपणे छोरे खात्तर बहु की लालसा भी छोड़ देनी चहिये| बदेशी लुटेरे जा लिए, इब टेम आग्या अक आपनी औरतां खात्तर आपणे वैदिक युग का जमाना हट कै तार ल्याण का| - NH
 
“बदलाव नै मत थाम्मो"
समाजिक चर्चा चाल्दी रहवे!
बख्त गेल चल्लण तैं अर बदलाव गेल ढळण तैं ए पच्छोके जिन्दे रह्या करें| - NH
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