न्यडाणा की खाप:
खापलैंड (हरयाणा अर पड़ोस्सी राज्यां खात्तर मिडिया आल्याँ का समानांतर संबोधन) के दूसरे गामाँ की ढाळ, न्यडाणा गाम की भी खाप सै| गठ्वाळआ खाप गाम की सबतैं बड्डी समाजिक संस्था सै| गठ्वाळआ खाप म्हारे हिंदुस्तान की भी सबतैं बड्डी खाप सै| गठ्वाळआ खाप की नींम, म्हारे अमर-आदरणीय स्वर्गीय दादा चौधरी घास्सी राम जी मलिक नै सोनीपत ज्य्ल्ये के उल्हाणा गाम तैं धरी थी| महान जाट महाराज हर्षवर्धन (खापें महाराजा गैल कई लड़ाई अर सम्मान जित्तण म्ह साझीदार रही सें) के जम्माने तैं ले का आज तान्हीं खाप नै न्यडाणा के इसके वंशजों की आस्था, सम्मान अर आदर बणया होया सै| गठ्वाळआ खाप के १० लाख तैं भी घणे वसंज उत्तर प्रदेश के मेरठ-सहारनपुर-शामली-अलीगढ-गाजियाबाद, हरयाणा के करनाळ-कैथळ-पाणीपत-सोनीपत-रोहतक-जींद-ह्य्स्सार अर द्य्ल्ली, पंजाब अर राजस्थान के कई ज्य्ल्याँ म्ह बस्स रेह सें|
गठवाळआ खाप अर कलानौर रयासत पै चढ़ाई: मुगलां के जमाने की बात सै, उस बख्त, आज का कलानौर शहर (रोहतक-भयाणी आळए राह पै) उनकी रयासत होया करदी| तै उस बख्त के रयासत के शास्कां नै अह्यंदु अर श्य्ख धर्मां की सारी ज्यातां पै "कोळआ पूजण" का फ़तवा थौंपा था अक सारी नई-ब्याहियाँ नै आड़े कोळआ पूज्जें पाछे हे सुसराड़ जाणा| या बात गठवाळआ खाप के गळए ना उतरी, सो इस फतवे तैं खुंदक-खाएं बैठी खाप नै, आपणी दूसरी खापाँ गेल बात करी अर फैसला होया के इब हद हो ली सै लाताँ के भूतां नै कद-लों बातां मनावांगे, कलानौर पै हमला करो अर काड़ दो रड़क| फेर के था कलानौर पै खापाँ की इतणी भारी धाड़ पड़ी अक रयासत की चूळ ह्ल्या दी अर सब काहें का मळइया-मेट कर कें छोड्डया| अर इस तरियां समाज नै रयासत आल्याँ के राक्षसी चुंगळ अर डर तैं सुख की सांस मली| न्यूं कह्या जा स अक जो काम उस बख्त के उत्तर-पश्चम के पंजाब म श्य्ख रात के बारहा बजे हमले करकें करया करदे, खाप ओ हे काम खाप-लैंड की धरती पै खुल्लम-खुल्ला दनं-धोळी करया करदी| यो खाप्पां के इसे गौरव भरे अय्तिहाश, सुच्ची नीत अर समाज भलाई के करमां का ए फळ स अक आज लग भी न्यडाणे म खाप सबतें उपरली संस्था मानी जा सै| अर इन सब कारणां की सौगात सै अक खाप के फैसले (जो सदा तैं समाज सुधार, एकता, सुरक्षा और भलाई के हों सें) साब्ते गाम म बड़े सम्मान तैं देखे जा सें|
गठवाळआ खाप के भले मकसद: -
आपणे वंशजां के गामां के समाजिक मुद्दे सुलझाणा|
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It settles high risk disputes of either of descendent village (which could become a danger to existence and brotherhood of village) on call. Recent example was seen during the Jat reservation movement held between 19th February to 12th March 2012, where Khaps were called to mediate between movement’s activists and Haryana government. Khaps put the concern to problems arising to other society people due to unexpectedly becoming longer agitation. Though initially they also faced oppose from already infuriated community but finally settled the matter.
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It ensures justice for the victims of traditions and vices of society like dowry, unwanted money power use, discrimination against women etc.
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Khap leads and motivate its people to abstain from unnecessary show off during marriage ceremonies, Mrityu Bhoj (Kaaj) etc. even dictates its people to abstain from such social evils.
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It promotes events and investments by which social unison and welfare gets benefitted.
गठवाळआ खाप कद्दे नि देख्खी: ना तो किसे नै मौत का फरमान सुनांदी अर नाहे आदेश देंदी फेर चाहे किसा ए मुद्दा खाप के प्रकाश म्ह ल्याया गया हो|
के न्यडाणे म्ह प्रेम-ब्याह संभव सै: ऊँ तै पूर्ण रूप तैं यो एक ज्यादती मामला सै अर प्यार करण आल्याँ की आपसी अर उनके दोंनु काहन के कुणबे अर रस्तेदारां की समझ पै नर्भर करै सै पर जब बात समाज की आवे सै तो "हाँ" न्यडाणे म्ह प्रेम-ब्याह करणे की इजाज्ज्त सै बशर्ते जै गाम अर खाप की समाजिक प्रमाण अर आदर्शों की सीमा म्ह रह कै करया जा तो| इस्स मामले म्ह याड़े दो ढाळ की समाजिक मानता सें:
न्यडाणा की आंतरिक समाजिक वैवाहिक मांता:
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गाम की श्यान्ती अर आंतरिक भाई-चारे नै बणाए रहण खात्तर गाम की छत्तीस ज्यात-वर्ण-धर्म की हर छोरी गाम के हर छोरे की बेब्बे, माँ-बाप की पीढ़ी आल्याँ की बेटी-भतीजी अर दादा-दादी की पीढ़ी आल्याँ की पोत्ती मानण का समाजिक बिधान सै| सो गाम की गाम म्ह ब्याह निषेध सै|
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गाम की चौगरदे की सीम कै लागते गुव्हांड म्ह न्यडाणा की समाजिक मांता ब्याह करण तैं निषेधित सै चाहे फेर गौत-ज्यात अर धर्म भी न्यारे क्यूं ना हों| तो न्यडाणे के बाळकां का ढिगाणा, भैरों-खेड़ा, लुदाणा, ललित-खेड़ा, भडताणा, चाबरी, खरक-रामजी, सिंधवी खेड़ा-निडाणी-पडाणा म्ह ब्याह होणा नहीं मान्या जाता|
गोत्र-वेवाहिक-सूत्र: माँ-पिता अर जो जिन्दा हो तो दादी के गोत्र म्ह शादी न्यडाणा म्ह समाजिक स्तर पै निषेध सै| गाम की हिन्दू धर्म की सारी जात्ति वेवाहिक निर्णयों म्ह इसे सधांत की पालना करैं सें|
न्यडाणा की बाह्य समाजिक वैवाहिक मांता: हालांकि समाजिक तौर पै जाति-धर्म तैं बाहर ब्याह की अनुमित सै पर फेर बात उलटी बच्चों के परिवारों की आपसी समझ अर ब्च्यारधारा पै निर्भर सै|
ब्य्शेष: The measurements written above refer to the village major beliefs practiced in real and are mentioned here just to present the village cultural beliefs and norms. So it is suggested that if one decides for love marriage or loving someone by staying out of marriage then please decide so in consultation with your family, and could be affective relatives. Please don’t make this article or website a reference for any such purpose.
ऑनर-किलिंग का कस्सया: The decisions of killing or exiling loving couples are driven under the greed of personal benefits or revenges and are believed personal to families or associated family groups. For example: If you are five sibling brothers and you are father of girls only or one or two sons; overall making it weaker in muscle power, then your brothers would intend to take-over your property and land (such are countable cases otherwise sibling brotherhood is the backbone of social system). And if tomorrow either your son or daughter wish to with their choice, it gives a scope to them to hinder you from your own property by manipulating false social norms. They gather some people of their choice, form and launch themselves as a self-style social Panchayat, announcing exile to your daughter or son in the hope of hidden agendas for grabbing your property and land.
So I believe that once you come to know the real root-causes behind such misdeeds like these fraud groups, hardly you will find any involvement of Khap (I can say at least for Gathwala Khap). If to say as overview then it is all about “Sada rahi sain sada rahengi jhagde ki jad teen –Jar, Joru aur Jameen” i.e. from ages and for ages there were and will always be three reasons behind or after family disputes or quarrel (sometimes behind some wars like “Troy of France” and many local epics and sagas to name), which are money, woman and land. This proverb can be different for different societies but till date not only my village but throughout India, it is male dominance so this proverb mentions “money-woman-land” else it could be “money-man-land” or just “money-land” in a society seen with equal social status for both sexes anywhere on earth? Anyway useless to say that money, marriages and land were and are still counted as individual interests until or unless caught by above mentioned fraud groups. Thus “Khap” title can’t be pledged or referred on every here and there instantly launched or bubbled personal interest groups or so called self-styled Panchayats.
Khap for its followers is like a shrine of Harminder Saahib to a Sikh, Har ki Poudi to a Hindu, Jeruslam to a Yahudi, Rome to a Christian and Makka-Madina to a Muslim; also and same time these comparisons doesn’t mean that Khap is a separate religion but a unique identity group within Hindu religion like any other social fellowship under Hinduism.
स्वयंभू - एक दोहरी मानसिकता: It is very important to understand that when it comes to self-styled, it should be meant self-styled only, otherwise one’s such propagation could be seen in one way or the other as a try to put all kinds of religions, entities and social beliefs worldwide as self-styled and can be questioned for every this or that including the propagator’s own social belief and identity. So self style word should be put for self rather than for census and, most importantly no religion or social belief has global, national or even state level (especially when comes to India) recognition or approval. If to talk socially then none is self-styled or otherwise all are self-styled.
Further for one who has little understanding and half-baked knowledge on types of Panchayats, they should first know the real functionality and structure of each type of panchayat. To know in detail on Panchayats and its types from perspective of Nidana please read on “Panchayats & Admins” section of the website.
गठवाळा खाप की चौधर:
गठवाळआ खाप के वर्तमान प्रधान is his highness dada Baljeet Singh Malik. Khap’s headquarter is at “Ulhana” village in Sonipat district and head building is “Malik House” at Gohana. A complete saga and lineage detail will soon be made available on establishment and complete history of Khap.
महामान्य दादा घासी राम जी की जन्म-जयंती: हर साल की तरह इस साल भी दादा जी की जन्म-जयंती १९ फरवरी को मनाई गई| इस मौके पर गठ्वाला खाप की गण्यमान्य हस्तियों ने साथ मिलकर उनको श्रद्धा-सुमन अर्पित किये| दाईं ओर की तस्वीर में महामान्य दादा जी की तस्वीर पर श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हुए सफ़ेद पगड़ी में वर्तमान खाप अध्यक्ष दादा बलजीत सिंह जी, उनके आगे सोनीपत से वर्तमान सांसद श्री जितेंदर सिंह मलिक, मूर्ती के दाईं ओर पूर्व मंत्री ओर सोनीपत ही से सांसद रह चुके श्री धर्मपाल मलिक जी ओर उनके आगे एक दम दायें वाले हरियाणा विधान-सभा के पूर्व सभापति ओर वक्ता श्री कुलबीर सिंह मलिक एवं अन्य गण्यमान्य हसित्यां|
गठ्वाला खाप सर्व-साधारण संस्था है: भूतकाल से ही खाप की समिति खाप में मुख्य सदस्यों को कड़े-मानदंडो के आधार पर परख कर जरूरी बदलाव करती आई है, जैसे कि अगर कोई किसी मुद्दे पर गलत निर्णय या समाज और समुदाय की भलाई और शांति के खिलाफ कार्य करता है तो उसको समिति से हटा नए विस्वसनीय सदस्यों को मनोनीत किया जाता है| खाप की वर्तमान विस्तृत कार्य-प्रणाली पर जल्द ही जानकारी एकत्र कर यहाँ डाला जायेगा | |
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बाएं से दूसरे श्री जितेंदर मलिक, पूर्व एम. पी. सोनीपत, बाएं से तीसरे वर्तमान खाप प्रधान दादा बलजीत सिंह जी (सफेद पगड़ी में), बाएं से चौथे श्री धर्मपाल मलिक पूर्व एम. पी. सोनीपत व् मंत्री, एकदम दायें श्री कुलबीर मलिक पूर्व मंत्री-स्पीकर हरयाणा सरकार, बीच में रखी दादा जी की प्रतिमा को पुष्प भेंट करते हुए| |
विशेष: इस अध्याय में प्रकाशित की गई जानकारी गठ्वाला खाप के शौर्यशाली इतिहास और गौरवपूर्ण सामाजिक योगदान पर प्रकाश डालने हेतु हैं, जो किसी व्यक्ति-विशेष या समूह की विचार-धारा से भिन्न हो सकती है| परन्तु हमारा परम-उद्देश्य खाप की ऐतिहासिक महानता और वर्तमान में इसकी महत्ता को आपके सम्मुख रखना है और हमारी यह कोशिश तब तक जारी रहेगी जब तक कि इसको परिपूर्णता तक न पहुंचा दें|
सर्व-खाप:
यहाँ पर ऐसी ऐतिहासिक तारीखों के बारे में बताया गया है जो सर्व-खापों के नाम और गौरव को सार्थक और साबित करती हैं:
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सन १३९८ AD में तिमूर पर सर्व-खाप का आक्रमण हुआ जिसको जोगराज सिंह गुजर, (जो कि सहारनपुर के बड़े जमींदार थे) सर्व-खाप सेना के सेनापति की अगुवाई में लड़ा गया और तिमूर को मुहं की खानी पड़ी|
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मुहम्मद गौरी के खिलाफ बारहवीं शताब्दी में लड़ी गई तरावडी की लड़ाई|
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तेरहवीं सदी में भारी करों से मुक्ति पाने और निजी-समाज के मामलों में राज के दखल के तिरस्कार हेतु हिंडन और काली नदी के संगम पर अल-उ-दीन-खिलजी के खिलाफ खापों की लड़ाई|
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५६४ विक्रमी सवंत हूणों के खिलाफ मुल्तान (आज पाकिस्तान में) में लड़ी गई लड़ाई|
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१७६१ की पानीपत की तीसरी लड़ाई की हार के बाद सदाशिवराव भाऊ (जिसने कि शुरू में इसी लड़ाई को जाट और मराठा सेना के एक साथ लड़ने के प्रस्ताव को नजरअंदाज कर दिया था), ने सांघी गाँव में खाप की छत्रछाया में शरण ली| भाऊ की पूरी घायल सेना को खाप-लैंड के हर गाँव-घर से खुले दिल से चिकित्सा और भोजन सहायता मिली, जिसने भारत की दो योद्धा-जातियों में भाई-चारे की अमिट स्थापना की| यह भाईचारा मुगलों से अपने रिश्ते खराब करने की कीमत पर बनाया गया था|
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गठ्वाला खाप के नेतृत्व में हिन्दू धर्म की मान और प्रतिष्ठा की रक्षा हेतु कलानौर रियासत का पतन, जिसके बारे में आपने ऊपर भी पढ़ा|
Positive social verdicts by Khap Panchayats in current arena: With more than 1200 years of existence itself is a testimony to Khap authoritativeness in society. Khaps have been the flag bearers of establishing modern education system in India, many time to time social reforms and farmer revolutions. Recent examples of few of such occasions can be read from this link:
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अब ‘लाडो’ के संदेश से शुरू होगी पंचायतों की कार्रवाई
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खाप-पंचायतों के सामाजिक हित के निर्णयों के उदहारण
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कन्या-भ्रूण हत्या पर महिलाओं की सभा का पालन करें - खापें
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खापों ने कन्या-भ्रूण हत्या को कत्ल ठहराया - १४ जुलाई २०१२ का ऐतिहासिक दिन
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कन्या-भ्रूण हत्या के खिलाफ महिला-खाप महापंचायत, बीबीपुर-जींद: नगों और सरकारी तौर पर खुली हुई सामाजिक संस्थाएं जो काम पैसे, बिजनेस और रूतबे के लिए करती हैं वो खापों ने एक झटके में कर दिया| क्या कोई टी वी शो या प्रोग्राम वाला सामाजिक हित पे इतनी बड़ा जन-समर्थन जोड़ सन्देश दे सकता है?....शायद ही कोई...और कोई करेगा भी तो पहले पैसे मांगेगा...और यहाँ देखो हर कोई सिर्फ एक बुलावे मात्र पे दौड़ा चला आया....वाह री खापो और महिलाओं!....एक साथ आई तो धमाल मचा दिया....दुनिया के हर कोने में चर्चा है आपका| ये नगों और सामाजिक ट्रस्ट वाले तो भोचक्के रह गए होंगे....कि जिनको वो जिंदगी का ध्येय बना के चलते हैं....रोजगार के नाम पे समाज के ठेकेदार बनते हैं जब खापें और महिलायें मिलके मैदान में आई तो सब धरे के धरे रह गए...इसे कहते हैं सौ सुनार की एक लुहार की| हरिभूमि कवरेज
Satymev Jayate episode on Honor Killing:
Aamir must have round-tabled one religious or social representative from and/or at least all major religions and their respective social groups:
1. Amir Khan should avoid such critical questions of authoritativeness because in Indian constitution no religious or social entity, body or group is authorized officially or legally.
No religious bodies like Temple, Mosque, Gurudwara, Church etc bear nationwide or even state level official approval. Similarly no social bodies like Akaal-Takht, Fatwa’s delivering bodies from Muslims, any Hindu cloister, Church monastery, Khaps, or any other equivalent entity is approved by Indian constitution. All these are society’s own-defined and believed systems. So Amir asking this question appeared going out of common understanding.
If he would have remained on line of discussing the prime issue of Honor Killing would have made better sense and could spread message of pure discussion rather like in this case it reflected the feel of targetting one particular group.
If he had to do so then he must have round-tabled one religious or social representative from and at least all above mentioned religions and their respective social groups, which could have given a better sense to this episode. But seems and it is seen as if Amir himself fears of his own religious or social bodies asking them such blunt question of authoritativeness.
2. By presenting the example of England, Khap wanted to put a reference that when we follow them in day to day life and fashion, then why not we follow them in their system of law formation for us. All of us know that laws of England are referenced on their local customs and values so similar thing can be borne in India too. But before Khaps could complete their part, Aamir Khan jumped on to another question. Here no body even cared to put a quench and this gave the feeling that show was not fairly judice. It happened knowingly or unknowingly but it happened as Khap representative didn't even get the time to put their part completely.
Analytics: Nidana Heights is against any kind of killing including honor killing and appreciate Amir' show but he should have avoided such straight questions to Khaps, especially when we all know the answer to such question would have been no; even if was asked from any other such entity. So it doesn't make any sense to us. The focus should have remained to topic. Asking the Khaps on what steps, modifications and/or measurements they have been taking or will take further to avoid or get rid of their society from this stigma, would have avoided this particular targetting feel.
Important points to be discussed:
1) This episode clears one thing that Khaps need good debaters with better argument intellect. For this Khaps require to talk directly with their community and representatives.
2) Khap representatives should also understand the strictness of their responsibility and should keep in sense that except Indian law and their own society, they are in no way liable to respond to/on/from any such platform or program. Even then if they want to respond then should prepare themselves before any such event and also make it assured that their points will be clearly listened from end to end.
ध्यान म लेण की: और भी बिंदु बख्त की गैल जोड़े जांगे| थारे तैं भी प्रार्थना सै के म्हारे इस हरयाणव की एक ढाल के अभिलेखन म्ह म्हारी मदद करें, थारे नाम को थारे सहयोग कै गैल द्खाय्या जावैगा|