अभिशासन
 
सामाजिक पंचायतें
panchayathr-gram.html
Panchayat.html
!!!......अभिशासन ऐसा होना चाहिए जिसमें जनता की सीधी व् अधिकतम भागीदारी व् नियंत्रण हो| जिसमें समयबंधित व् जवाबदेही वाली न्याय प्रणाली व् जनसेवा सुविधा तंत्र स्थापित किया गया हो|......!!!
आप यहाँ हैं: दहलीज > अभिशासन > सामाजिक पंचायतें
निडाना के परिवेश में सामाजिक पंचायतों का वर्गीकरण

Note: As and in the meantime Hindi version of the article is under development, you may like to read the complete article in English by clicking here.


खाप वाले पृष्ठ से आगे चलते हुए, हम यहाँ सामाजिक पंचायतें जो कि सिर्फ निडाना ही नहीं बल्कि हरियाणा और उत्तरी भारत के खापलैंड कहे जाने वाले क्षेत्रों में पाई जाती हैं उनको अनुक्रम में समझेंगे| यहाँ अनुक्रम निडाना गाँव का उल्लेख करते हुए बताई गई हैं| पूरे विश्व के सामाजिक तन्त्र को देखते हूँ तो पता हूँ कि मेरी सामाजिक संस्थाएं विश्व कि सबसे उत्तम सामाजिक प्रणाली हैं| वो कैसे उसके लिए आप इस विषय को नीचे तक पढ़िए:


आम सामुदायिक पंचायतें:



सर्व जातीय सर्व खाप पंचायत: खापलैंड के सामाजिक तन्त्र की सर्वोच्च सामाजिक संस्था, जहां खापलैंड के सम्बंधित क्षेत्रों और जातियों के समाज विज्ञानी और समाज कल्याणी एक साथ बैठ समाज सुधार और कल्याण के मुद्दों और उद्देश्यों पर चर्चा करते हैं और निष्कर्ष हेतु सामाजिक संज्ञान और निर्देश जारी करते हैं| आप सामाजिक न्याय के मद्देनजर भी सर्वोच्च संस्था मानी जाती हैं जो पूरे उत्तरी भारत जिसमें दिल्ली, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा से लगते राजस्थान एवं पंजाब और उत्तर प्रदेश एवं राजस्थान के बीच के मध्य-प्रदेश तक को संज्ञान में रख कार्य करती है और जन-कल्याण हित में फैसले लेती है और न्याय सुझाती है|

इनकी सामाजिक समता का सबसे बड़ा प्रमाण यही है कि ये किसी अन्य धर्म या सामाजिक संस्था की तरह ना ही तो एक व्यक्ति विशेष को मानती हैं और ना ही एक स्थान-विशेष को मान वहाँ अपना साथी पूजा स्थल या मान्यता केंद्र बनाती हैं| न्याय करने वाले पंच भी मौके और मुकदमे की प्रकृति की समझ के अनुसार ही निर्धारित किये जाते हैं जिसमें कि किसी एक छत्र महंत, गुरु या महाराज का कोई वर्चस्व नहीं होता| कोई भी आदमी अपनी योग्यता अनुसार अपने को योग्य बना इनमे पंच बन सकता है और इससे न्याय पक्षपात सुनाये जाने की संभावना बलवती रहती है|

इस पंचायत तक इसके नीचे आने वाली सभी पंचायतों के वो मुद्दे जो निचले स्तर पर सुलझाये नहीं जा सके, लाये जाते हैं| और क्षेत्र और जन-विश्वास को ध्यान में रख ही यह पंचायत निर्णय सुझाती है जिसमें फैसला या तो तुरंत बिना किसी खर्च के सामाजिक सद्भाव में हो जाता है अन्यथा अन्तुष्ट प्रार्थी के पास सरकारी अदालतों के रास्ते खुले रहते हैं|

सर्व जातीय सर्व खाप पंचायत के नीचे भिन्न-भिन्न खापें आती हैं जो जातीय और गोत्रीय आधार वर्गीकृत होती हैं| इनके बारे में आप नीचे के भाग में पढ़ते जाइए|

खाप पंचायत: सर्व जातीय सर्व खाप पंचायत के बाद नीचे के कर्म में दूसरे दर्जे की जातीय पंचायत खाप पंचायत होती है| ये पंचायतें जातीय और गोत्र तन्त्र के तहत बनी होती हैं और उत्तरी भारत में जहां-जहां तक इनके वंशज बसते हैं वहाँ तक इनकी सामाजिक मान्यता और प्रभाव होता है| उदहारण के तौर पर जाट जाति के सबसे बड़े गोत्र मलिक की खाप पंचायत; जिसके बारे में विस्तार से आपने वेबसाइट के "खाप" पृष्ठ पे भी पढ़ा|

जो मुद्दे या झगडे खाप के स्तर पर नहीं सुलझ पाते हैं वो फिर सर्व खाप में ले जाने का सामाजिक तन्त्र का प्रावधान है| इसमें अधिकतर वही मुद्दे ऊपर की पंचायत में ले जाए जाते हैं जो अंतर खापीय यानी दो खापों के बीच सुलझ नहीं पाते हैं| और क्योंकि दो खापों के मुद्दे एक तो इन दोनों के अपने-अपने वंश फैलाव और दूसरा सामाजिक सवेंदन-शीलता के चलते सम्पूर्ण सामाजिक सोहार्द में हल किये जाते हैं| और सर्व खाप के लिए यह किसी अग्नि परीक्षा की तरह होता है| समाज की शांति, भलाई, सवेंदन-शीलता और सोहार्द ही इनकी न्याय प्रणाली के वो अहम मापदंड हैं जिनके बूते पर १२०० साल से भी लम्बा स्वर्णिम इतिहास लिए ये आज भी खड़ी हैं| वरना इनके आगे कितने तुर्क, अफगान, मुग़ल से ले डच, पुर्तगाली, फ़्रांसिसी और अंग्रेज आये, हुए और चले गए, कितने राजे-रजवाड़े इनके आगे बने, उभरे और मिट गए, पर आज भी ये जिन्दा है तो शायद इन्ही मापदंडों की वजह से|

आज के परिवेश पर ये कितनी प्रासंगिक बनी रह सकती हैं ये तो खुद खापों के मुखिया जानें या इनके वंशज, परन्तु यहाँ यह कहना अति अनिवार्य हो जाता है कि अगर ये खापें भारत के सारे गुलामी के दोरों से गुजरते हुए भी अपनी पहचान कायम रख पाई तो उसका कारण इनका समान्तर सुदृढ़ सामाजिक दुर्ग होना ही था जो कि जन-जन की पहुँच में था और इनके प्रभाव क्षेत्र तक जाने से पहले हर लुटेरे शासक या एक भले शासक तक को भी इनकी कसौटी पर खरा उतरना पड़ता था अन्यथा इनका विद्रोह झेलना पड़ता था, जिसके कुछ उदहारण "खाप" पृष्ठ पर आपने पढ़े भी होंगे|

इसलिए खापें अपने क्षेत्र का कवच बनके रही हैं| एक राजा की प्रणाली में इन्होने कभी विश्वास नहीं किया इसलिए इनके प्रमुख समय-समय पर बदल दिए जाते हैं क्योंकि इनके तन्त्र में जनता का सीधा हस्तक्षेप रहता था|

खाप विषय को यहीं विराम देते हुए हम इसके नीचे के स्तर की पंचायतों की तरफ बढ़ते हैं|

तपा पंचायतें: खाप पंचायत के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र और गांवों को ४ से १० गांवों के समूह में बांटा होता है और इन तपों के अंतर-तप मुद्दे सुलझाने हेतु खाप पंचायते होती हैं| तपा पंचायतें इनके अंतर्गत आने वाले गांवों के मुद्दों को सुलझाती हैं और सामाजिक सद्भावना, शांति और समन्वय को बनाए रखने की ध्वजा-रोहिणी होती हैं| तपा पंचायतों के मुखिया जनता के निर्देशों पर खाप मुखिया और पंचों के द्वारा नियुक्त किये जाते हैं|

यह पंचायतें इनके अंतर्गत आने वाले गांवों के मुद्दों को हल करती हैं और जो मुद्दे इनसे नहीं सुलझ पाते उनके लिए फिर खाप पंचायत की चिठ्ठी फाड़ी जाती है| चिठ्ठी फाड़ने का मतलब खाप मुखिया और सम्बंधित गण्य-मान्यों के नाम पंचायत का निमन्त्रण भेजना|



सर्वजातीय ग्रामीण भाई-चारा पंचायतें: यह एक गाँव के स्तर की सबसे बड़ी सामाजिक पंचायत होती है जो गाँव के दो सामाजिक समूहों, अंतर-जातीय मसलों और झगड़ों को सुलझाने का कार्य करती हैं| इनमे गाँव के सामाजिक ढांचे के जानकार बैठ मसलों का निवारण करते हैं| इनके काबू से बाहर जो मसले हो जाते हैं वो फिर तपा पंचायतों के पास जाते हैं|



कृपया ध्यान दीजिये: जल्द ही तपा स्तर से नीचे की पंचायतों का सम्पूर्ण विवरण हिंदी में पूरा किया जा रहा है, तब तक आपसे अनुरोध है कि आप तप से नीचे की पंचायतों की जानकारी हेतु इसी पृष्ठ के अंग्रेजी संस्करण पे पढ़ें|

सतर्क: कोई भी सामाजिक तन्त्र दूसरे कि दृष्टि से शायद ही कभी परिपूर्ण रहा हो, इसलिए आप हमसे शत-प्रतिशत सहमत नहीं भी हो सकते| ऊपर दी गई व्याख्या हमारे स्थानीय तन्त्र की मान्यताओं और मापदंडों पर निर्धारित है जिसका उल्लेख करना हमारा कर्तव्य भी था और उद्देश्य भी|

Note: As and in the meantime Hindi version of the article is under development, you may like to read the complete article in English by clicking here.

Those who may like to extend their interest in revealing the history of SarvKhap, please refer to "Khap Smriti" and "Haryana Yoddhey" sub-section under "e-Choupal" (Hindi Version) section directly accessible from main menu of homepage of this website.


जय दादा नगर खेड़ा बड़ा बीर  


लेखक: पी. के. मलिक

प्रकाशन: निडाना हाइट्स

प्रथम संस्करण: 17/06/2012

प्रकाशक: नि. हा. शो. प.

उद्धरण:
  • नि. हा. सलाहकार मंडल

साझा-कीजिये
 
जानकारी पट्टल - अभिशासन
Governance InfoDesk facilitates you with best public uitlity weblinks of International, National and State trade and governing bodies and organizations. NH terms & conditions applied.

International Organizations
Decisions taken in these organizations put both direct as well as indirect impacts on Indian System. These are not observed at such a discrete level of village with so much attention but their decisions play major role in our Political, Economical as well as Social Policy makings. These are:
Global Organizations
 
International Regional Organizations
Governance and Admin Related Links
Indian National Government
Haryana State Government
 
District Jind Councils
Block Committee
नि. हा. - बैनर एवं संदेश
“दहेज़ ना लें”
यह लिंग असमानता क्यों?
मानव सब्जी और पशु से लेकर रोज-मर्रा की वस्तु भी एक हाथ ले एक हाथ दे के नियम से लेता-देता है फिर शादियों में यह एक तरफ़ा क्यों और वो भी दोहरा, बेटी वाला बेटी भी दे और दहेज़ भी? आइये इस पुरुष प्रधानता और नारी भेदभाव को तिलांजली दें| - NH
 
“लाडो को लीड दें”
कन्या-भ्रूण हत्या ख़त्म हो!
कन्या के जन्म को नहीं स्वीकारने वाले को अपने पुत्र के लिए दुल्हन की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए| आक्रान्ता जा चुके हैं, आइये! अपनी औरतों के लिए अपने वैदिक काल का स्वर्णिम युग वापिस लायें| - NH
 
“परिवर्तन चला-चले”
चर्चा का चलन चलता रहे!
समय के साथ चलने और परिवर्तन के अनुरूप ढलने से ही सभ्यताएं कायम रहती हैं| - NH
© निडाना हाइट्स २०१२-१९