जलवायु: हमारा गाँव बहुत ही जलवायु परस्त है, यहाँ बसंत-गर्मी-बरसात-सर्दी का ऋतु-चक्र हर वर्ष अपनी छटा बिखेरता है और गाँव को अपनी भिन्नता भरे आक्रसन से भाव-विभोर बनाए रखता है| हालांकि गांव का रिहायसी इलाका एक वक्राकार उभार पर स्थित है पर गाँव के खेत पड़ोस और आस-पास के सभी गाँवों से गहरी-तलहटी में होने की वजह से जब भी बाढ़ आती है तो खेतों में उसकी मार ज्यादा और लम्बे समय तक रहती है | अधिक जानकारी के लिए
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संस्थागत संदर्भ:
संवैधानिक संदर्भ: हमारे गाँव की तहसील एवं जिला मुख्यालय जींद शहर में और राज्य खंड इकाई कार्यालय हिसार शहर में हैं | निडाना, हरियाणा राज्य विधानसभा के जुलाना और भारतीय राष्ट्रीय संसद के सोनीपत निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत आता है| गाँव का जिला न्यायालय मुख्यालय जींद शहर में, राज्य न्यायालय मुख्यालय राज्य की राजधानी चंडीगढ़ में एवं माननीय सर्वोच्च न्यायलय देश की राजधानी दिल्ली में हैं| अधिक जानकारी के लिए
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व्यावसायिक संदर्भ: गाँव के व्यवसायिक रिश्तों में कहीं भी "नौकर-मालिक" जैसा विधान नहीं है| अगर मेरे घर पर कोई नौकरी करता है या मैं किसी के घर नौकरी करता हूँ तो दोनों तरफ एक दूजे को
"सीरी-साझी" माना जाता है बजाय नौकर-मालिक के
("सीरी-साझी" का मतलब दिनचर्या के साथी, खाने से ले के खेती तक, ख़ुशी से ले के गम तक)| गाँव का व्यवसायिक रिश्तों के लिए यही सर्वमान्य विधान है परन्तु फिर भी किसी अपवाद से इंकार नहीं किया जा सकता क्योंकि ऐसा न हो तो फिर न्यायलय, पंचायत और थाने धरती से ऊठ जायेंगे|
सामाजिक संदर्भ: धार्मिक एवं जातीय मान्यताओं को छोड़कर, गाँव में ऐसा कोई भी सर्वमान्य सामाजिक विधान नहीं है जो किसी एक वंश, विरासत या राजा/अम्मा बनाम गरीब-लाचार जनता जैसा रिश्ता/शासन/शक्ति या किसी ऐसी ही दूसरी घोषणा
(जो किसी भी आचार-व्यवहार में देखी गई हो या किसी संचार माध्यम के द्वारा दिखाई गई हो) को स्वीकृत या अधिकृत करता हो| और गाँव में ऐसा भी कोई सर्वमान्य सिद्धांत या विचार नहीं है जो किसी को जातीय भेदभाव, रंग-भेद या नश्लवाद की इजाजत देता हो| गाँव में वंशीय प्रणाली के तहत हर एक रिश्ते का स्तर निर्धारित है, जिसके अंतर्गत अगर आप चाचा लगते हैं तो जाति की परिधि से बाहर भी आपको चाचा ही बुलाये जाने का सामाजिक विधान है और ऐसे ही अन्य दूसरे सभी सामाजिक रिश्तों के लिए| गाँव की प्रत्येक लड़की गाँव की सामाजिक प्रकाष्ठा पर गाँव की बेटी मानी जाती है और उसके मान-सम्मान की रक्षा करना गाँव के हर व्यक्ति का नैतिक कर्तव्य है|
मान्य स्थल एवं प्राकृतिक छटा: सामुदायिक स्थल - परस (चौपाल) सामुदायिक स्थल: परसें गाँव की पंचायतें, राजनितिक रैलियाँ, अकस्मात आगंतुकों और अंजान यात्रियों द्वारा एक धर्मशाला, बारात-घर, आँगन-वाड़ी और प्रोढ़-शिक्षा केंद्र के लिए प्रयोग में आती हैं| ये लोक-कलाकारों द्वारा उनके संगीत और एक्कल-नाटकों के लिए रंग-भूमि की तरह भी प्रयोग किये जाते हैं| गाँव में भिन्न-भिन्न स्थलों पर निम्न-लिखित पांच चौपालें हैं:
गाम के धार्मिक मोड़: गाँव में दो प्रकार के धार्मिक विश्वास हैं, एक सर्व-सम्मत और दूसरे सामूहिक|
- सर्व-सम्मत: दादा नगर खेड़ा, देवी माई और आर्य समाज
- सामूहिक: दादा सत् सही निरंकार (दादा रामजी), दादी चोरदे, गूगा पीर, सय्यद, कबीरपंथियों की देवी और कई अन्य
इन पर और अधिक विस्तार से पढने हेतु, कृपया
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शैक्षणिक स्थल: गाँव में पांच विधालय हैं उनमे से दो सरकारी और तीन निजी हैं| इन पर विस्तृत जानकारी हेतु
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प्रकृतिक स्थल: गाँव में प्रचुर मात्र में वनस्पति, पशु-धन एवं प्राकृतिक संसाधन हैं, जिनके बारे में आप विस्तार से
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विशेष: वक्त के साथ इस विषय पर और जानकारी जोड़ी जाती रहेगी|