- ना टूणे में किम्मे धरया,
ना पाथर में भगवान्,
ना घाल घालें घले,
ना बुझा में किम्मे ज्ञान|
- कोए जर जोड़ मुक्या,
कोए जर छोड़ मुक्या,
कोए कर जोड़ मुक्या,
कोए कर मरोड़ मुक्या||
- जात बिरादरी, गोत नात,
जाट होण का अभमान कर|
धी बेटी स तू म्हारी,
म्हारी पगड़ी का तू सम्मान कर||
- मेरे गोत की गाम-गुहांड की,
मेरी भाण से सुणल्यो भाई|
जरुर करिओ सम्मान इनका,
पुर्खयाँ ने या रीत बनाई||
- ना दर्शन कदे भूत के,
ना प्रेत चिपटया कोए,
ए - भोले माणसा,
यु धंधा, पेट भरण का होए|
- संसार चक्कर देखिये,
चारुं धाम पूज|
पोथी पाखण्ड तज दिओ,
पावन करम ना दूज||
- जीवे था जब भूखा मार्या,
इब्ब तू काग जीमावे स,
इहलोक सध्या कोणी,
क्यूँ परलोक में धिकावे स||
- में गुड भी, में भांखर भी,
में दिवा भी, में ताखर भी,
में मूरत भी, में पाथर भी,
में श्याही भी, में आखर भी||
- धरम हीन सें वे बन्दे,
जो माथा टेकें जा मजार,
मुर्दा पूजें जी की होज्या,
च्याणी कर ल्यो फेर घरबार||
- धन भी जावे, मान भी जावे,
उज्जड हो जा डेरा,
निरोगी शरीर ना आपणों,
पड़े करड़ाईयाँ का घेरा||
- जरूत पड़ी में आवे काम,
बोझडा हो चाहे केर का|
भीड़ पड़ी में समर भाई ने,
ध्यान ताज दिओ बैर का||
- तेरा नाँ लिखूं शहीदां में,
में गददी लह जाऊं,
तेरे बालक रेताँ रलें,
में तेरी मढ़ी पे फूल चढाऊं||
- बखत तें बड्डा ना गुरु कोए,
ना बखत तें बड्डा बलवान,
बखत पड़ें धनी हो ज्या ऋणी,
बखत पे गधा भी भगवान्||
- दीन हीन का जाट बन्या सहारा,
जमाने ने सदा शीश न्युवाया स,
तेरी कौम रही ऊँची सदा,
जुग-जुग तू सरहाया स||
- दुनिया का बड़ा झमेला,
कदे मेंले में, कदे अकेला,
काल था वो आज नहीं,
कद बागा दे बखत का रेळआ||
- जण-जण का बणाया राम,
जण-जण का दिया दान,
भामण बण्या मठाधीश,
खानदान की खुली दूकान||
- पाथर के तिलक लावें,
ये सारे करम के चोर,
ज्ञान का अन्धकार तेरे मेंह,
कद होवेगी भोर?
- मेरा स, वो तो मेरा स,
तेरा स, वो भी मेरा स,
क्यूँ कोळी भरे बावले,
जो तेरे धोरे, वो भतेरा स||
- जिहने लाग्गे बलध बेटे तें भी प्यारा,
अंगतोड़ मेहनती किसान म्हारा,
फसल पे धी ने ब्याहवे,
फसल बिगड़ी, फांसी खा जावे||
- जोहड़ में पाणी भरया,
जोहड़ आपे कोणी पीवे,
जीवन उह का धन्य,
जो समाज ने गेल ले के जीवे||
- शबद में स साच,
शबद में से झूठ,
जो ना समझे मर्म,
रह मूढ़ का मूढ़||
- उह कुवाड का के पहरा,
जिह की कोए चूळ नहीं।
वा बाड़ भी के काम की,
जिह में होवें शूळ नहीं॥
- पोतडा भी बिन गोझ का,
अर कफ़न भी बिन गोझ।
जिब्ब किम्मे गेल्याँ कोणी जाणा,
क्यूँ ठार्या मोह-माया का बोझ।।
- कहे में हो जावे,
अर मान्ने सारी नार|
उह बन्दे का घर सुरग,
सुख मिले अपार॥
- ग्यानी-ध्यानी संतां ने,
संसार दीखाया गूढ़।
पण्डे -पुजारी पाथर पूजें,
रहे मूढ़ के मूढ़॥
- आछा भुंडा किम्मे नि होंदा,
यु स सब बखत का फर।
एक बखत वो कुरडी दीखे,
दूजे बखत वो खात का ढेर।।
- सीधा माणस पिटे पहलम,
सीधा रूंख कटे पहलम|
सम्झन्निये की मर हो स,
धन उह का बंटे पहलम॥
|
- आज नि मान्ये ते सुण ल्यो,
तडके मुंह बाओगे,
आज "धी" की घेटी दाब,
तडके "बोहडिया" किथों ल्याओगे|
- तज बाबुल का दार,
में बालम घर आई|
कोए ना जाणे पीड़ नु,
कहवें पराई जाई||
- कित माता ने जनम दिया,
कित बाबुल ने लड़ाए लाड|
कित पीया ओढाई लुगडीया,
कित जा के खींड गे हाड||
- ना करण का तरपण,
ना ठाण के फूल,
किते भी बहवा दिओ,
रह धूळ की धूळ|
- लांडी धोती खुल्ली लान्गड़,
पाट रहे तेरे पासने,
भामण बाणीये ना भरोसिये,
ये दोनु सें चासने||
- इन् तिन्नां तें जग चले,
इन् तें-ए होवें सारे काम,
फेर भी ये घणी आछी कोणी,
मोह, माया और काम||
- साधू-साधू सब कहवें,
साधपणा ना कोए,
झोली ठाएँ मांगदे फिरें,
जो ना काट सके, ना बोये||
- ना धरती थी, ना था आसमान,
बस था, एक बिया बान,
उह ने थी अलख जगाई,
उस्से तें स ज्ञान-अज्ञान||
- टोक लागें जा टुक जा,
में कर दयूं टोकम-टोक,
तूँ श्याने ने भरमाया,
अक्ल तेरी दी स ठोक||
- पतरा साधें आगा दीखे,
फेर दुःख दरद में मीमावे क्यूँ ?
बालक तेरे हान्डें भीखते,
गाम गुहांड ने भाकावे क्यूँ ?
- बरत करे, भूखा मरणा,
जा न्यू पार हो बेतरणा|
फेर भीखारी जो भूखा मर्ज्या,
वो क्यूँ ऩा सीधा सुराग में जा?
- सिद्धे ने चाहे सीधा दे,
चाहे कर आड्डा दे,
मुफ्त खोर सें वे नर,
चाहे भर-भर गाड़डा दे||
- लुगाई ना ज्ञान की,
ना सुन्दरता, स्वाभिमान की,
ना मर्द बलवान की,
लुगाई स बस धनवान की||
- जो तेरा स वो मेरा,
जो मेरा स वो तेरा,
इतना साझा कर ले बन्दे,
इह दुनिया में सुख भतेरा||
- पहाड़ उप्पर राम बिठाया,
हजार लाइ पौड़ी,
तले के उह का जी लागे कोणी,
क्यूँ जन-जन की कड़ तोड़ी||
- आपा पोखि ना देखे दोष,
काम में अंधा खोवे होंश,
चाप्लुश हक़ नु लेवे खोश,
निकरमा लावे दुसर्यां के दोष||
- हीरे माणक मोती चढ़ाए,
पाथर का बणाया भगवान्,
चोर डाकू सब ले गे,
रह ग्या वो-ए पाथर पाषाण||
- दोनु हाथ कमाइए,
खिंडआवे पूत कपूत,
आछी शिख्या दीजिये,
कमावे पूत सपूत||
- मरद जबान का,
घोड़ा लगाम का,
धणी कमाण का,
बलध बहाण का||
- यु भी मेरा, वो भी मेरा,
भर लिए बाषण बुखारी,
देहि तक गेल्याँ जावे कोणी,
क्यूँ कट्ठे करे, पाप तू भारी||
- जा एक पास्से घुम्मे मधाणी,
घी कोणी काढ्या जावे,
जा दुःख नाँ हों जींदडी में,
सुखका सुवाद कोणी आवे||
- थारे आई, सुपने ल्याई,
तज बाबुल का दार,
दोख लावे, पूत ना जाई,
पहलम आपणे खोट पे कर बीचार||
- जीत कुविस्वास जड़ जमा ले,
उड़े तर्क कति कम ना आवें|
समझदार बननिये आपापोखि,
पाथर ने लड्डू जिमावे||
- पाटी होड़ गोज हो से,
बेठे माणस ठाल्ली की।
सदा विपरीत बुद्धि चाल्ले,
असर पड़े ना सलाह,गाली की॥
- उह कुवाड का के पहरा,
जिह की कोए चूळ नहीं।
वा बाड़ भी के काम की,
जिह में होवें शूळ नहीं॥
- पंडा बधावे मठ,
कराड बधावे हाट।
खाती बधावे काठ,
खुड बधावे जाट।।
- हिम्मत बिन, हथियार,
बीरबानी, बिन भरतार।
धरम, बिन व्यहवाहर,
जा ये ना ते सब बेकार॥
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- कांवड़ ल्याएं बहु मिले,
पाणी चढ़ाएं भरतार|
बिटोडा फूंकें पूत मिले,
यु किस्सा करतार?
- कान पडाये, लत्ते रंगाये,
जटा-जूट, पाँ ऊभाणा|
इस्से नर बोझ बणे,
कहवें आपने-आप नु सयाना||
- उघडा फिरणा, बेहु रहणा,
यु स जनावर का काम|
जाट की कौम में जन्मे,
मत करिओ कौम ने बदनाम||
- पैर पिछाने मोचड़ी ( जूती),
मोर पिछाने मेह ( बारिश),
चोर पिछाने चोर ने,
नैन पिछाने नेह (प्रेम )||
- सूरज ने पाणी दे,
जा न्यू सूरज सीला हो जा,
फेर क्यूँ इन्दर रूसर्या,
क्यूँ ना खेत बखत पे बू ज्यां||
- माँ -बाप ने पाल्या पोश्या,
खंदा दिया तू लाम पे,
भाप्पे-भामण मौज करें,
भुंड खिंडावें तेरे नाम पे||
- एक्ला -एक्ला आया था,
एक्ला-एक्ला जाणा स,
कुछ दिन का यु मेला स,
कुछ दिन का यु बाणा स|
- ना सुर में, ना सुरा में,
ना स वो सुन्दरी में,
ना कंठी में, ना माला में,
ना कड़े छाल्कड़े मुंदरी में||
- कितना -ए चढ़ा लिए चढ़ावा,
कितने-ए ला लिए भोग,
कर्महीन का यु आडम्बर,
यु स एक धार्मिक रोग||
- घर की मूरत मरें भूखी,
मंदर धोक लिए सारे,
तेरी गेल भी भुंडी बणणी,
माडे से दिन थम जा प्यारे||
- पंडे तन्ने जिमाये चार,
चोराहे पे बाळी बात,
कपूत रहया कपूत का कपूत,
ना पंडे ने तजी जात|
- चाहे मुंडेर पे कागा बोले,
चाहे मुस्स जा तवे रोटी,
वीरा तेरा आवे कोणी,
ये सब बात भकाण की खोटी||
- घमंडी भोभरा, फुटट्या ढोबरा,
काम का नहीं, दुःख दिया करे,
माठठा बलध, निखठठु छोकरा,
इन् ने पाळनिया भूखा मरे||
- आपणी धी कमेरी लागे,
कहे में राखे स भरतार,
बहु बड़ी कुलच्छणी लागे,
दोगला क्यूँ करे व्यवाहर||
- आड़े सब का सर जावे,
जा जोए हाथ-पाँ हिलावे,
कीड़े पक्सी अर जानवर,
सब का टिंड भर जावे||
- कोए चढ़ावे दारु उसपे,
कोए बकरी अर म्हेंस,
किसा भूखा भगवान् यु?
मांश खून तें लेश||
- कोए लावे घोट भांग की,
कोए रगड़े राख ने,
दुनिया तजें मुक्ति मिले,
संसार लड्डू चाख ने||
- माँ ने आपणी धी प्यारी लाग्गे,
पीहर में वा लाड्डो राणी,
सासू ने बहु भुंडी लाग्गे,
सुसराड में वा खसमां खाणी||
- गरह बेठा दिए कुणआँ में,
फेर वा बताई मंगली स,
मूरख बणा खावे जो बन्दा,
वो अधम नीच जंगली स||
- एक रूंख पे लाग्गे पात,
पात-पात में फरक नहीं,
एक जड़ तें सींचे सारे,
बेटा-बेटी में, ठीक फरक नहीं||
- गंजा, काणा, कोतरा,
किहे की ओछी घेट्टी हो|
इन्ते बात जब करिओ,
हाथ में संटी हो||
- मोके की ना देखिये बाट,
बेरा ना मौका कद आवेगा,
चाल उठ, छोड़ दे खाट,
ना फेर पाछे पछ्तावेगा||
- पुत्री दुःख-सुख की साझी,
हर हालत में रहवे राजी|
पुत्र जानू मीठे मेवे,
रब सब नु देवे।।
- एक्ला चाल्ले आपा-पोखी,
ना पावे उह का कोए यार।
नाते-रिश्ते सारे छूटज्याँ,
कहे में रहवें ना पूत अर नार॥
- अरड -मरड की लाकडी,
जावेगी इक दिन बीझ।
बक्कल दीखे चीक्णा,
क्याँ पे रह्या स रीझ॥
- मन्ने तो वो पाथर दीखे,
उहने दीखे स भगवान्|
वो तो उहने मंदिर कहवे,
अर में कहूँ मंग्त्याँ की दूकान||
- सारे ढाल की जीनस होवें,
इस्सा मन का स यु खेत|
जिस्सा तू सींचे नलावे,
उस्से -ए भरें कठेत॥
|
- महा मुरख ,महा अज्ञानी,
झुट्ठी बनावें राम काहाणी|
मात पिता कुढ़-कुढ़ मरगे,
पाथर पे चाढावें सें पाणी||
- छोरा होया फोड़ी थाली,
छोरी होई घर तें ख़ुशी जा ली|
जा न्यू दुःख मनाओगे,
ते फेर ब्याहली किथों ल्याओगे||
- छोह आज्या, बुद्धि दब ज्या,
उप्पर चढ़ ज्या पारा|
इस्से बखत निरनय ना लीजो,
काम बिगड़ ज्या सारा||
- जाट ते जाट स,
जाट बरगा ना कोए|
सारी मेहनत जाट करे,
राज करे भों कोए||
- बाप मर्या, गाम जिमाया,
थू-थू करदा जा|
ठुआया कर्ज का टोकणा,
कदे रीता ना हो जा||
- ना गुण देख्या,
ना देख्या नाम,
इब्ब क्यूँ पछतावे,
जब्ब बुद्धि फिरि देख चाम|
- कर तें कर के खाइओ,
ना भरोसा कर लकीरां में,
काम चोर सें वे बंधू,
मंगते, रूप धरे फकीरां में|
- तेरी करणी, तेरे आगे,
जो करम करे, सो ओट,
चाहे किहे गेल, लाइए लो,
चाहे किहे गेल, मिलाइए जोट||
- वो माणस ना उट्ठे कदे,
जिह पे कर्जे की तकरार,
गाम में इज्ज़त होवे कोणी,
कहे में ना हो जिह की नार||
- कदे तू काग जीमावे,
कदे पण्डे ने देवे सिद्धा,
ज़िंदा जी ते बाप तेरा,
तर्सस्या रोटियाँ, पड्या मुदधा||
- मिन्डकी के ब्याहें तें,
जा इंद्र राजी हो जावे,
में ब्याहूँ मगरमछां नु,
मरू, समंदर हो जावे||
- ठाड़ा मारे, रोवण दे ना,
खाट खोस ले, सोवण दे ना,
आँख दिखावे ,जोहण दे ना,
काच्ची काट ले बोवण दे ना||
- बिना धणी की नार,
ज्यूँ हो हरर्या ढानढी,
बिना बाड़ के खेत ज्यूँ ,
चरें गाम गुहांडी||
- उसूल ते शूल सें,
बखत-बखत पे ल्यो बीचार,
कदे ये बंध कौम के,
कदे काम देवें बिगाड़||
- चाँद देख उमर बधावें,
लुगाई भूखी मर-मर जावें,
फेर वैद की जरूत के?
क्यूँ लोग मरदे जावें||
- कोए चाल्या केलाश ने,
कोए चाल्या हज,
किम्मे ना धरया इस हांड में,
मात-पिता ने भज||
- मुक्ति-मुक्ति सब रटें,
मुक्त होया ना कोए,
गुणी-दुर्गुणी तन आपणा,
सब भोगें सुख होए|
- लोग मरया, लुगाई सती,
गेल चिता चढ़, जल जावे,
लुगाई मरे, लोग ना चिता चढ़े,
तेहरामी ने दूजी ले आवे?
- भामण बुलाया, नाम क्ढाया,
नाम धरया उह का मंगल,
एक काम कदे सीधा ना कर्या,
रोज करे उह ने दंगल||
- दूर का बटेऊ फूल बरगा,
ताव्ला आणिया आधा,
घरजमाई ने कितना-ए रगडो,
यु इस्सा जाणु हो गधा||
- दाग, चाहे बेटा दे, चाहे दे बेटी,
दोनूं सें एक रूंख के बीज,
आखिर में स बाप ने दगना,
दोनुआँ पे एक सा रीझ||
- पीपल-बड़ के बांधे ताग्गे,
जा न्यू छोरे जम्मण लाग्गे,
सारी सरसटी बदल क धर दी,
भामण धरम आड़ में दुनिया ठाग्गे||
- में अज्ञानी गंवार,
क्यूकर लाग्गे बेड़ा पार।
दिवा ब़ले ज्ञान का,
परम सुखी होवे संसार ।।
- बद आछा बदनाम भूंडा,
पर सद्चरित्र का कोए मोल नहीं।
बद भीतर तें थोथा मर्ज्या,
सद का कोए तौल नहीं॥
- जिह के पांह में मोच,
अर जिह की माड़ी सोच|
आगे बध्ण की आस नहीं,
किहे गेल,आवे उह की रास नहीं||
- बिन पाणी, धान घटे,
मान्गनिये का मान घटे|
जिह घर में पड़ी फूट,
उह घर की आन घटे॥
- 'खा' आपणा हाजमा देख,
'ठा' आपणा जाथर देख|
'पहर' दुनिया की नजर देख,
'पसार' आपणा धोरा देख॥
|
- होवे जब अपार धन,
बणे घणेरे यार,
जिह दिन मुक़ जावे,
जावें सारे पार||
- कोए जावे दंडवत करदा,
कोए जावे लोटम लोट,
बिन करमां झोली भरदे,
फेर उस इस्वर में स खोट||
- कोए पहरे गंडा,
कोए लेर्या ताबीज,
कोए भस्म की पुडिया,
रहे मरीज के मरीज||
- राम मिलावे जोड़ी,
फेर क्यूँ होवे तकरार,
मन मिलन में से सिद्धि,
होवे बड़ा पार||
- नजर लगाएं लागे नजर,
नजर तारें उतरे नजर,
फेर के जरूत फौज की,
क्यूँ बनाए तलवार खंजर||
- आंधा, काणा, मुका,
बोना, काग अर नाइ,
इन् तें बच के रहिओ,
इनके एक नश बाध बताई||
- धनाँ में धन, ज्ञान धन,
इह तें बड्डा ना कोए,
ना कोए खोश कें ले जा,
ना यु चोरी होए||
- चाँद देखें उमर बधे,
फेर बधया क्यूँ नि संसार,
रोज क्यूँ बलें छले,
क्यूँ रोवें दुखी परिवार||
- यु भी गया, वो भी गया,
जावेगा सारा संसार,
फेर भी क्यूँ चिपटर्या,
ना गेल्याँ जा कबीला परिवार||
- मुस्से पे हाथी बिठाया,
फेर हाथी नारी तें जन्माया,
कहवे आपणे आप नु श्याणा,
झुट्ठ बोल्दा नि शरमाया||
- वो आया ते थाली फुट्टी,
वा आई ते दादी रुस्सी,
दोनु "जी" में के फरक पाया,
माँ की कोख एक सी चिस्सी||
- कोतरी बोलें आवें यमदूत,
मोर बोलें चोर,
बिल्ली रोवे अपशकुनी,
कद आवे ज्ञान की भोर||
- गाम बसाया, बणआई धोक,
बाकी बताये सब पाखण्ड,
म्हारे पुर्खयाँ की रीत रिवाज,
कौम रहवे सदा अखंड||
- बधे वा जिन्दगी,
घटे वा उमर,
आड़े सब का सरे:,
जो स उह में कर सबर||
- बिन लागत का धंधा यु,
माणस होया आंधा क्यूँ,
मुफतखोर ने दूकान जमाई,
मन का स गंदा यु||
- कोए जावे उलटे पायां,
कोए जावे लोटम लोट,
उसने तू टोहवे कित?
भीतर वो तेरे ,जित सें खोट||
- माला फेरी, राम रटया,
गंजा होया, सर घुट्या,
पाखंडीयाँ का यु दिखावा,
ना इश मिल्या, ना जग छुटटया||
- जो लुकोवे गाम, जात, गोत,
उह बन्दे में स बड्डा खोट,
इस्सा ना किहे काम का,
बेपेंदे का,बेरा ना त्ड्कें सांझ का||
- कोए लेर्या नाम ने,
कोए बांधे गण्डा,
आगे धर के ले काम ने,
मरज का ठोड पाटे झंडा||
- सब के सामी बियाह के ल्याया,
बांध्या था तन्ने सर पे मोड़,
उह का तेरे में जी बसे,
दिए मतना कदे उह का साथ छोड़||
- नाम बड्डा स सागर का,
पंछी तशाया मर जावे|
सागर तें नदी भली,
जग की त्यश बुझावे||
- सारी दुनिया का पेट भरे,
खाली पेट, अर पाँ ऊभाणा,
हाथां हल, कड़ पे तलवार,
जाट ने तड़प-तड़प मर जाणा||
- तड़प-तड़प के जग मर्या,
ना पाया ओर -छोर।
क्यूँ मोह माया में भालाखिये,
जिंदडी तें जिंदडी जोड़ ॥
- रह्डुआ स प्रेम परिवार,
दो बरोबर इह के चाक।
धोरी टूटी इक पास्से,
उलटी मारे डांक॥
- कोए चढ़ावे फूल चितर पे,
कोए चढ़ावे चाद्दर मजार।
मरे ने सुगंध कदे ना आवे,
ना कदे हाड मरें जड्डार॥
- "वा "ना रहवे निर्धन की,
परजा ना, हारे राजन की|
पखेरू ना, रूंख बिन भोजन के,
बटेउ, बिन खुशामद भाजन के॥
- तम खुदा ने मंड के टोह ल्यो,
में ते खुद ने टोहूँ सूँ|
तम भलाखे कल्प बरख के,
में ते रूँख आम के बोउँ सूँ॥
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