- छोटी सी छोरी, रामदेई ना |
चढ़ गी चोबारे, पाई-ए ना |
बताओ के?
- रघा चाले रघ-रघ
तीन मुंडी दस पग
- एक सींग की गा
घाले उतना ए खा
- आरड- मर्ड की लाकडी
अर्डाटा ठान्दी जा
राजा बुझे रानी नु
यो के जनावर जा
- हरी थी मनभरी थी,
राजा जी के बाग़ म दौशाला ओढें खड़ी थी
- चार झोट्टी
गल जोट्टी
तडके-ए तड़क
जोहड़ में जा लोटी
- दबी जावे
दबी आवे
घरां आण के
मुंह बावे
- बड़ रे बड़,
तेरी पाणी में जड़,
तेरी चोटि में आग,
तेरे लोग रहे लाग|
- साड़ी रात अडावे
तडके-ए काढ बगावे
- दो माँ बेटी,
दो माँ बेटी
चाली बाग़ में जाँ
तीन निम्बू तोड़ कें
साबत -साबत खाँ
- में आई थी लेवण,
तू लाग री थी देवण,
जा तन्ने दे ली हो तो,
में ले जाऊं|
- रात नु जा लुके,
दिन में लिक्डावे,
कती ना पेंडा छोड़े,
गेल्याँ चाले जावे|
- उप्पर तें गल घोट्या
तले तें दो मुंह छोटा
- चोमासे में अर्ड-मर्ड
ना में डांगर
ना में भरड
- पांणी तें में भर्या,
आसमान में, में तर्या,
जित चाहूँ, उड़ जाऊं,
दुनिया की तष बुझाऊँ|
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- तीतर के आगे दो तीतर
तीतर के पाछे दो तीतर
बताओ कितने तीतर
- चार मण के चार पाये
चालीस मण की खाट
अस्सी मण का कोठड़ा
सौ मण का जाट
- अंत कटे तो बनता कोआ
आदि कटे तो हाथी
मध्य काटकर काज बनालो
मैं हूँ सबका साथी
- काला बलध कलासिया,
महल तले के जा,
बारा नाथ घाल ली,
फेर भी अरडान्दा जा|
- बेठा साल में
पाँ पसारे गाल में
- सारे घर माँ के हंडआवे,
पड़ी रह तो बाल खींडआवे
- खाली जावे,
भर्या आवे|
- ऊंचे टिल्ले मेंहस अर्डावे,
उसका काढ्या सब्कोये खावे|
- या गयी, या आई|
एर तेरे धोरे-ए बताई |
- छोटी सी लुटिया
कोड़ियाँ की भरी
- सौ दांदा का जबाडा,
पर कदे ना चबाऊँ में|
फेर भी घिस जावीं तो,
नए कढ़वाऊँ में|
- अरड - मरअड़ की लाकडी,
आरडाटा ठाआँदी आवे|
जिह पे भी जा पड़े,
उहे का जी काढ बगावे|
- जो मेरा स नाम,
वो-ए मेरे बेटे का नाम,
जा तू बता दे,
बनज्यां सारे काम|
-
एक बल्यांत का मेरा शरीर,
भीतर भरी घणी तकरीर|
- उप्पर तें लट्ठ पड्या
भीतर तें चिडपड्या
|
- राह मै पड़ी जंजीर
क्यूकर ठाऊँ मेरे बीर
- अंगी -बांगी लाकडी ,
राह में जा पड़ी |
कोए ना उन्हें ठावे |
माडी वार में सूख जावे |
- कटोरै मैं कटोरा
छोरा बाप तैं बी गौरा
- एक खड़ी , एक पड़ी
एक पै चालै गिरड़ी
- चार खड़ी,
चार पड़ी |
दो-दो,
एक-एक ,
में जुडी |
- मै हूँ एक फकीर
मेरै पेट पै लकीर
आऊं सूँ मै खाण कै काम
मेरै बिन जीणा नहीं आसान
- में छोट्टा ,
तू कोड बड्डा |
मानने चुम्या ,
तू रो पड़्या |
- घाम लगै तो पैदा होज्या,
छायाँ मै यो मरज्या
काम करै तो बी उपजै,
हवा लगै तो मरज्या
- सरपट दोडै हाथ ना आवै
घंटा उसका नाम बतावै
- धौली प्लेट मै काला रसगुल्ला
- नाचूं में हो के मगन,
सर पे मेरे धरया ताज
पायां नु देखूं रो पडूँ
के स इहका राज
- बीस मंजिल का भवन खडया
सर पे हरया ताज धरया
- बाप भलो, बेटो भलो,
पोतो घनो सपूत,
पोता के बेटो हुओ,
चारो पीढ़ी ऊत!
- काली गाय कढ़ा में ब्वावे,
दूर खड़ा ने मारण आवे
- जाड्डयाँ में मोटी
गर्मियां में माड़ी
घेटी तलां कर कें
कट्ठी चालें सारी
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- छोटा सा छोरा,
कित जा गा?
--ताऊ आले खेत|
के खा गा?
-- बालू रेत|
- जोहड़ माँ ते लिकड़ा भड्रक-भू
चार पाच्छे एक मुह!
- काला सूँ में काला सूँ
काले जंगल में रहूँ सूँ
लाल पांणी पीऊँ सूँ
धोल्ले अंडे दूं सूँ
- प्यार करूँ तो घर चमका दयूं
वार करूँ तो ले ल्यूं जान
जंगल मैं मंगल कर दयूं
कदे कर दयूं मैं गाम बिरान,
- एक चीज गजब की देखी
जिन्दै मैं तैं मुरदा लिकडै
अर मुरदै मै तैं जिन्दा
- मैं एक छोटी सी छोरी,
सबकै साथ मैं रोटी खाऊं
कोए मैंने ना रोक सकै,
ना ए मैं शरमाऊं
- पीली सूँ ,में पीली सूँ
माटी के बिल में रहू सूँ
बालकां के डले सहूँ सूँ
ना तो डस लूंगी कहूं सूँ
- सरसोली तें चाल्या,
माथोली पे आया,
च्यूंटकोली में पकड्या गया,
हाथोली में मार्या|
- एक नारी इस्सी देखि,
जो गोली खावे|
जिह पे भी थूके,
वो-ए मर जावे|
- तेरा भी वो मामा ,
मेरा भी वो मामा,
मामा का भी वो मामा,
यो रिश्ता कुकर जम्या|
- चार बांह ,एक शरीर,
लागे जब होवे पीड|
- राम दिया शाप
आँख गई फूट
काणा होया आप
कनाग्तां मचावे लूट
- पतला सूँ, जब चोटी बधाऊँ
करडा होज्याँ, जा सो जाऊं
खट्टा हो ज्यां, जब घर-घर मांग्या जाऊं|
- जाड्डयाँ में जड़ाई मरी,
गर्मियां में लुको धरी|
- एक जानवर इस्सा देख्या
जिह के पेट में तेल,
चोटी में लागरी आग
अन्धेरा होर्या रेल
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जबाब आडै रळए पड़े सें: धुम्मा, खेत जोंते-हाळी अर उसके बळद, हाथ आली चाकी, हवाई जहाज, मकई की कुकड़ी, रई, जूत्ती, होक्का, अरळी (काठ का मुस्सळ), नानी-माँ-बेटी, तीन, हाथी, कागज, ओळआ, ढोल, दीवा, भुवारी, रहट-टोकणी, चक्की, नजर, दांतों भरा मुंह, सांप, गोमूत्र, नारियल, इंधन के चूल्हे पे रोटियाँ, खाट, गंहू का दाणा, माछर, पसीन्ना, बख्त, आँख, कस्सी-ज्वार का दाना, रई, ढेरा, बल्ब, माक्खी, अंडा, भिरड़, ढेरा, बन्दूक, चाँद, भुवारी, परछाई, पजामा, मंडक, बादळ, दरांती, बिजळी, कय्ताब, गण्डा, मोर, गण्डा, गण्डा-गुड़-राब-शराब या दूध-दही-घी-छाय, बन्दूक, भेड़, सांटा, काग्गा, दूध, लाह्स्सी, बोत्तल आला दिवा |
- सिद्धा - खब्बा डोलूं
तेरी नक़ल कर बोलूं
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तीन भाण भाई
कट्ठे करें जुताई
ना कोए साळआ-साळी
रुखाळआ उनका हाळी
- नाण दे जिन्दगी
नाण दे मोत
एक हफ्ते का जीवन
बताओ ताव्ले, वार होगी भोत|
- बाजू सूँ, ना में ढोल,
गाऊँ सूँ, ना कोए मोल,
बालक बुड्डयाँ का में प्यारा
ना में बिन्जो, ना इकतारा|
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- हांडी सै सर मेरा
कुडता पहरावे जेठ
एक टांग पे शरीर मेरा
वो भी बिना पेट
- लटकमलोरी - लटकमलोरी
कड के उप्पर धारें छोरी
- हजार पायां का शारीर,
ना धारूँ कोए चीर
लोग मेरा काला भुंडा
पाछे ला राख्या लाल्टनिया टुंडा|
- बेठक मेरी आळी
में सूँ चम्भो-चाळी
बत्तीस मेरे रुखाळए
ना भाई, ना साळए
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- कदे ना बडूं
चाहे सामण
चाहे जेठ
पर में लिकडू
जब आवे जेठ
- गाभरू ने में छेड़ूँ ना,
बालक मेरा भाई,
बुड्ढे नु में छोडूँ ना,
चाहे ओढ़ ले रजाई|
- जिन्दगी मेरी काठ
खसम मेरा जाट
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- म्हारा जोड़ा बड़ा कसूत
हळवे-भारया नें देवें कूट|
- ना खाऊँ, ना खावण द्यूं
एर ना मुंह बावण द्यूं
- मेरा नाम
मेरे बाप का नाम
दादा, परदादा का भी
नाम एक समान
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जबाब आडै रळए पड़े सें: तोता, खेत म खड्या डराना पुतळआ, ओह्ल्ला, कुण्डी-सोटा (उखळ-मूसळ), फाळी-घोसुआ-कांय्त,
चोटी, जाड्डा, काटड़ू की छींकी, मींढी-चुंडा, रेल, खाती, आम्ब, रेडवा, जीभ |
जय दादा नगर खेड़ा बड़ा बीर
लेखन अर सामग्री सौजन्य: रविंदरजीत सिंह बल्हारा (रवि अतृप्त)
तारय्ख: 05/03/2013
छाप: न्यडाणा हाइट्स
छाप्पणिया: न्य. हा. शो. प.
ह्वाल्ला:
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