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शान-सम्पदा
 
बावल
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!!!......स्वंय या आसपास की सम्पदा-गाँव-राज्य या देश की प्राचीन व् आधुनिक दोनों तरह की विरासत, समृद्धि, गौरव-गाथाओं व् शौर्यों, छुपे हुए अध्याय एवं रहस्यों को जान कर व् हर बच्चे को जनवा कर ही, एक स्वच्छ व् सक्ष्म राष्ट्र की नींव रखी जा सकती है|......!!!
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बावल (रेवाड़ी) - हरियाणा
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चौरासी गावों का मुखिया - बावल
उच्चारण: बावळ (हरियाणवी), बावल (हिंदी), Bawal (अंग्रेजी)

वेबसाइट के इस भाग का उद्देश्य: प्राचीन विशाल हरियाणा (आज का हरियाणा, दिल्ली, पश्चिमी उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, उत्तरी राजस्थान) के गाँवों/सम्पदाओं/नगरों/रियासतों की सांस्कृतिक, लोकतान्त्रिक, ऐतिहासिक, कलात्मक, गौरव-शौर्य की विरासतों-गाथाओं को यथासम्भव अनुभवजन्य शैली अपनाते हुए चित्रित व् शब्दनीहीत कर प्रचारित व् प्रोत्साहित करना|
जय दादा नगर खेड़ा बड़ा बीर




लेखन व् फोटो: राजकिशन नैन

प्रकाशन: निडाना हाइट्स

प्रथम संस्करण: 02/07/2013

प्रकाशक: नि. हा. शो. प.

साझा-कीजिये
नि. हा. - बैनर एवं संदेश
“दहेज़ ना लें”
यह लिंग असमानता क्यों?
मानव सब्जी और पशु से लेकर रोज-मर्रा की वस्तु भी एक हाथ ले एक हाथ दे के नियम से लेता-देता है फिर शादियों में यह एक तरफ़ा क्यों और वो भी दोहरा, बेटी वाला बेटी भी दे और दहेज़ भी? आइये इस पुरुष प्रधानता और नारी भेदभाव को तिलांजली दें| - NH
 
“लाडो को लीड दें”
कन्या-भ्रूण हत्या ख़त्म हो!
कन्या के जन्म को नहीं स्वीकारने वाले को अपने पुत्र के लिए दुल्हन की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए| आक्रान्ता जा चुके हैं, आइये! अपनी औरतों के लिए अपने वैदिक काल का स्वर्णिम युग वापिस लायें| - NH
 
“परिवर्तन चला-चले”
चर्चा का चलन चलता रहे!
समय के साथ चलने और परिवर्तन के अनुरूप ढलने से ही सभ्यताएं कायम रहती हैं| - NH
© निडाना हाइट्स २०१२-१९