निडाना के पहनावे:
जैसे कि नीचे दी गई प्राचीन चीजें आज भी प्रयोग में लाई जाती है इसलिए जहाँ-तहाँ इनको निमित्त किया गया है उसको वर्तमान में प्रयोगशील जोड़ा जाए| वर्तमान में पुरानी चीजों के साथ-साथ नई चीजों को भी लिखा गया है:
नियमित जीवन और निडाना की औरत की पहनावे की भूति का एक अद्भुत चित्रण:
बस यूँ ऐ
महिलाओं का पहनावा:
वर्तमान: सलवार-सूट, कुड़ता-कुडती-लहंगा, साड़ी, लहंगा-चोली, चुन्नी-जम्फर, पजामी-सूट-लोवर-टी-शर्ट, पेंट-शर्ट, जूते-सेंडल-जूती-चप्पल, आधुनिक सृंगारदानी
भूतकाल और वर्तमान दोनो: सितारे-घोटों वाली चुंदड़ी, कुड़ता-चुंडा-दामण, घोटा-सितारे-चेमक-ताणी-चेती हुई और फलियों वाली वायल, सूट-सलवार, जूती-चप्पल, प्राचीन सृंगारदानी
पुरुषों का पहनावा:
वर्तमान: पेंट-कोट, कुड़ता-पायजामा, जेकट, जर्सी, सफारी-सूट, जींस-पेंट, लोवर-टी-शर्ट, पेंट-शर्ट, जूते-सेंडल-चप्पल, टोपी-पगड़ी, विवाह विशेष (मोड़-सेहरा-टोपी-पगड़ी, धोती-शेरवानी-कोट-पेंट)
भूतकाल और वर्तमान दोनो: रेजे का कुड़ता, चद्दर, परणा, खेशी, जर्सी, धोती, खंडका, कुड़ता-पायजामा, जूती-चप्पल
पुरुषों के आभूषण:
वर्तमान: चेन, अंगूठी, कड़ा, बाली, घड़ी, बुजनी
भूतकाल और वर्तमान दोनो: गंठी, गुठली, हंसली, मुरखी, अंगूठी, बुजनी, तागड़ी, बाली
स्त्रियों के आभूषण:
वर्तमान: मंगल-सूत्र, हार, अंगूठी, छैल-कड़े, पाजेब, गंठी, गलसरी, ठुस्सी, लम्बा-हार, चेन, मटर-माला, झुमके, बाली, चौपस, बाजूबंद, नथनी, तिल्ली, कोका, तागड़ी, छल्ला, घड़ी, बिंदी, टिक्की, बुँदे, चूड़ी, कड़े, पायल, जूड़ा, चोटी, काजल
भूतकाल और वर्तमान दोनो: झांझर, रमझोल, पान, छैल-कड़ी, पैंडल, कडुले, हंसली, झालरा, गंठी, मोती-पाजेब, नाथ, दान्दे, माथे की सहर, बुजनी, दामण का पल्लू-नाड़ा-तागड़ी, कड़ी, छैल-कड़े, कम बजने वाली न्योरी, माला, तबीजी, रानी-हार, हाथ की ताड़, हाथ का गुलिबंद, जोई, जो-माला, मटर-माला, ढोल, पटरी, ॐ, सोने की घड़ी, डांडी, कोका, पुरली, हथफूल, अंगूठी, बोरला
निडाना की स्थानीय कला:
हस्तशिल्प एवं हथकरघा कला:
वर्तमान: गुलदस्ता, चिकनी मिटटी का मुखौटा, डिब्बा, शिकंजा, झोपड़ी, जहाज, कलमदस्ता, इहंडी, दरी, गलीचे, तोता, हाथी, फुलकारी, झूमर, फुलझड़ी, बिन्दरवाल, जर्सी, शाल, बटुआ, स्वेटर
भूतकाल और वर्तमान दोनों: चरखा, फुलकारी, तोता, हाथी, इहंडी, गुलदस्ते, दरी, गलीचे, झूमर, फुलझड़ी, बिन्दरवाल, बिजनी, बिजना, बटुवा, जर्सी, दूबला, कड़ाई, कातना, कुकड़ी, आंटी पे टेरना, रेजा बनाना, रजाई, दोल्ड़े, खेश |
|
भवन निर्माण कला संरचनाएं:
वर्तमान: बैठक-कोठी, घेर-दरवाजे, हवेली, बड़ी ईंट के मकान, पक्के मकान, मार्बल-चिप्स के फर्श, झांकी, शीशे, झोंपड़ी-नुमा अटारी-छत वाले मकान, कब्जे वाले किवाड़
भूतकाल और वर्तमान दोनों: डाट वाले दरवाजे, लोहे और पत्थर की चौखट, गुम्बदाकार हाल, छोटी ईंट के मकान, गोबर-मिटटी का फर्श, कच्चे मकान, मुंडेरें, छज्जे, मोर-धवज, आळी, पैंडी, झांकी, खूंटी, तोड्डी, दिवाला, ढेल, मोह्ग, बड़ा चौंक, पड़छत्ती, पड़साल, जस्ती, थांब, जाली का गेट, बगड़, घेर, दरवाजे, बैठक, हवेली, टांड, चूले वाले किवाड़, मूसल वाला बंद (ताला)
रसोई पाक कला:
वर्तमान: दिये, मटके, कुलड़ी, माट, चूल्हा, हारा, कढोनी-बिलोनी, लेम्प, काप्पन, अंगीठी, हांडी, रसोई के सब आधुनिक बर्तन और सामान
भूतकाल और वर्तमान दोनों: दिये, बुखारी, मटके, माट, मिरतबान, हथचक्की, चूल्हा, हारा, तोड्डी, चूल्हे का मोग्गा, पानी की झझरी, बिलोनी, कढोनी, बरोला, बरोली, हाथ की रई, थाली, बेल्ला, ढोइया, झेरनी, लौटा, मिटटी की डेग्ची, चाय की केतली, लालटेन, काप्पन, चुघ्ड़े, कुह्ल्ली, हांडी, अंगीठी, कुज्जे, ढक्कन, कांसी-पीतल के बर्तन
विशेष: वक्त के साथ इस विषय पर और जानकारी जोड़ी जाती रहेगी|