लोकगीत:
लोकगीत मौके और मौसम के अनुसार गाये जाते हैं, इनको निम्नलिखित श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है: सांझी के गीत, बंदडे-बंदड़ी के गीत, जच्चा के गीत, जन्म-छटी के गीत, मृत्यु के गीत, हरियाणवी भक्ति-भजन, सावन के गीत, गूगा-पीर के गीत, कार्तिक-स्नान के गीत, होली-फाग के गीत और देश-भक्ति के गीत| नीचे इन उदाहरणों समेत वर्गीकृत कर संक्षिप्त में लिखा गया है:
- सांग-गाथाएं: विभिन्न गाथाएं और स्थानीय किस्से
- आल्हा (वीर-गाथाएं, महाकाव्य, वंशावली) - गठ्वाला खाप की वीर-गाथा आज भी स्थानीय लोक-गीत का हिस्सा है| जल्द ही इस गाथा को इस पृष्ठ पर डाला जायेगा|
- गूगा के स्व्ययें
- निहाल देह, नाहर सिंह
- बम-लहरी: भगवान् शिव-भक्ति गाथा - स्थानीय जोगियों और मीरासियों द्वारा गई जाती है,
उदाहरणत: हे जी! रामचंदर संग कथाभजन और हर के भजन करो पार्वती!
खोल-पलक बम देखो रे नाथ तेरी सेवा-भजन में कौन खड़ी!!
बम बम बम और बम-लहरी...!!!
- रागनियाँ: किस्से, फुटकार, देशभक्ति
- छन्न-स्व्ययें-उलाहने:
- कचरी: मीठी रे लागे री ज्वार तेरी राबड़ी, दळ-चक्की हांडी में गेरी, तलै दई लाकड़ी, रांद-रूंद कै खावण लाग्या ऊपर आग्यी पापड़ी, मीठी लागे रे ज्वार तेरी राबड़ी......
- छन्न: छंद पै छंद, छंद पै आंगी, एक तो लेगे ब्याही एक दे द्यो मांगी.....
- कचरी: कड़वी कचरी हे माँ मेरी काच्ची-काच्ची, कड़वे सास्सड़ के बोल, बड़ा दुहेला हे माँ मेरी सांसरा......
- आकस्मिक:
- रांझे: रांझे हारी-बीमारी या गाँव-डेरों के उजड़ने पे गाये जाते हैं और मर्द गायकों द्वारा गाये जाते हैं| भूतकाल में जोगी और मिरासी लोग इनको गया करते थे|
- मृत्यु (जग-गीत): उदाहरणत: - Maम्हारा बुढ़ा/बुढ़ी रंग चा ला गया हे ......
- मृत्यु (मंजिल-पहुँचाना): उदाहरणत: - हाय-हाय केला तोड़ लिया - हाय-हाय बण म शेर मारया......
- मृत्यु (सांपा-अपना दुःख रोना): एक जवान की आकस्मिक मृत्यु पर......
प्रासंगिक:
- ब्याह-शादी:
- दादा खेड़ा को मनाना: उदाहरणत: -
- पांच-पताशे लॉन्ग का जोड़ा, ले खेड़े पै जाईयो जी| जिस ढाली म्हारा खेडा बैठा , वा डाली झुक जाईयो जी.....
- साँझी: उदाहरणत: -
- देश जांदा हो दादा परदेश जाइए, म्हारी जोड़ी का वर ढूँढिये.....
- बान्ने: उदाहरणत: -
- युब्बन बनवाडा ए न्युदियो, घर फलाणयाँ कै यू जा......,
- हे समंदरां का तात्ता पाणी, हे फलाणे का बेटा नहाइयो.....
- भात-भराई: उदाहरणत: -
- कहियो री उस खाती के लड़के नै, पाटड़ा तो ल्यावै म्हारे लाल में......,
- मेरी जेठाणी के पांच भाई, हे री मेरी माँ का जाया एकला.......
- सींटणे:
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हमनै बलाए लांबे-लांबे, छोटे-छोटे आये री बछेरे!
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बाज्या-ए-नंगाडा फलाणे का, म्हारै बयाह्वण आये, आपणी बेबे नै छोड़ कें म्हारै ब्याहवण आये!
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बड़ा पढ़या ओ दादा बड़ा पढ़या, मार फलाह्री गधे चढ़या!
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फलाणे तेरी रे बेबे ब्याहिये, फेरां पै फूल बखेरिये!
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हमनै बलाए भूरे-भूरे, काले-काले आए री पस्सेरे ठठ्ठे आये री पस्सेरे बछेरे!!
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के मौसा जी थामे गाम गए थे, के ब्हाओं थे गाड्डी हो, बन्दडा सुथरा, पुराणा शेहरा, डूब मरे थारे भाती हो!
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म्हारी बन्दड़ी इस्सी खड़ी जाणू महल्या म्ह राणी खड़ी, थाहरा बन्दडा ईसा खड्या जाणू कुर्डीयाँ म्ह गधा खड्या!
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खोल ऊतणी के कांगणा, खोल बेशां की कांगणा!
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खिंडगी काक्कर-खिंडगे रौड़, खिंडगी जणेतियो थारी मरोड़!
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चुग ले काक्कर-चुग ले रोड़, चुग ले मौसा तेरी मरोड़!
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धोळी ह्वेली म्ह मोग ए मोग, बन्दडे की बेबे के लोग-ए-लोग!
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धोळी ह्वेली मोग बन्या, बन्दडे की बेबे लोग बना!
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पटडी ए पटड़ी मुस्सी जा, बन्दडे की बेबे रूस्सी जा, कान पकड़ कै लयावांगे, म्हारे वीर कै ब्याह्वांगे!
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आधी रोटी खांड बन्या, सारे जनेती रांड बना!
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फलाणे बेबे नै समझा ले हो, काब्बळइ चाल्दी, साड्डे लाम्बे-लाम्बे तूत, तूतां पै चढ़ी!
- बोलियाँ (बारी-बरसी): उदाहरणत:
- बारी बरसी - कठण गया सी, कठ्के ल्यान्दा बेर, फलाणे गाम (दुल्हन के शहर-गाँव का नाम) की मोरणी नै ब्याहवण आया फलाणे गाम (दुल्हे के शहर-गाँव का नाम) का शेर.....
- बिदाई : उदाहरणत: -
- साथण चाय्ल पड़ी ए मेरे दब-दब भर आये नयन, आपणी साथड़ नै मैं चुंदड़ मँगा दयूं......,
- रे बीरा एक बै घेरां म्ह जाइए, आपणी मय्यड़ की धीर बंधाइये उसने रो-रो सुजा ली आँख , बेटी तो मेरी चाल पड़ी.....,
- मैँ तै गुड़िया भूली ओ बाब्बल तेरे आळए म.......म्हारी पोती खेलै हे धीयङ घर जा अपणै
- जच्चा: उदाहरणत: -
- कोए मांगी कढ़ाई ना दे, मेरा जी हलवे नै......
- जन्म: उदाहरणत: -
- रूईदार-म्हारै घाल्या री पालणा, जागे म्हारे भाग होया री म्हारे लालणा
......
- छटी: उदाहरणत: -
- जच्चा की जीभ चटोरी, घी-जलेबी माँगे हे......
- फर्ज और पेशे के उल्लास:
- देशभक्ति गीत : उदाहरणत: -
- वीर मेरे भर्ती हो ज्या रे, तेरे बहार खड़े रंगरूट.....
- पनघट: उदाहरणत: -
- सात-जणी का हे माँ मेरी झुमका, हे-री मेरी साथड़ राणी सातों पाणी नै जाँ......
स्थानीय तीज-त्यौहार:
- तीज: उदाहरणत: -
- लाख टके का हे माँ मेरी बीजणा, धरया री पुराणा हो......
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नीम्बाँ कै निम्बोळी लागी सामणीया कद आवैगा, जियो हे मेरी माँ के जाए कोथळी कद लावैगा......
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मीठी तो कर दे री मेरी माँ कोथळी बेबे कै ले कें जाऊं......
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आया तीजाँ का त्यौहार आज मेरा बीरा आवैगा......
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नन्ही-नन्ही बूँद-पड़ें, गोडे चढ़गी गारया, लखमीचंद की टांग टूटगी सांग बिगड़ ग्या सारा|
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चौगरदे नें बाग़ हरया, घनघोर घटा सामण की......MP3
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नन्ही-नन्ही बुंदिया हे माँ मेरी पड़ रही री......MP3
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लाइए भाभी लाइए सासू का नांक तोड़ कें, और द्यूंगा झोटा मैं इबकै थोड़ी जोर तैं|.....MP3
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लाल चुंदड़ी दामण काळआ, झूला-झूलण चाय्ल पड़ी......MP3
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दो झूलें दो झोटे दे रही दो च्यार कड़ी थी जड़ म्ह|......MP3
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सामण का महिना कह तीजाँ का त्यौहार और पींघ-पाटडी था ले किताबो हो ले नै तैयार|......MP3
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बादळ उठ्या री सखी मेरे सासरे की ओर.....MP3
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तू राजा की राजदुलारी, मैं सिर्फ लंगोटे आळआ सूं.....MP3
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अगड़-बम-बम-बम और बम लहरी......MP3
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साम्मण बरसै जम कें रै गौरी, आजा छम-छम करकें......MP3
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अळी-ए-गळी मेरी नणदी मनड़ा फिरै, मनडे नै ले ली मेरी ज्यान, जूड़ा तै हाथी-दांत का|......MP3
- दशहरा-साँझी के गीत: उदाहरणत: -
- चाल्लो सांझड़ी भरथू घर चालां, हान्स-हान्स देगी ए बन्नो बैठणा.......
- दिवाली-कार्तिक स्नान के गीत: उदाहरणत: -
- राम अर लछमन दशरथ के बेट्टे, दोनूं बणखंड जाँ, हे जी कोए राम मिले भगवान.......
- फाल्गुन: उदाहरणत: -
- फागण आया रंगा भरया......,
- बुड्डी ए लुगाई मस्ती फागण म......
नाटकशाला (नाटक - कला):
- खुला मंच और रंगशाला दोनों: सांग, लोकगीत, रागनियाँ, आल्हे, बम-लहरी, नुक्कड़-नाटक, एतिहासिक गाथाएं और किस्से, नौटंकी, रामलीला,
- खुला मंच प्रारूप: सामान्य भजन, आर्य-समाजी भजन, बाद्दियों के तलवारबाजी और जान जोखिम में डालने वाले तमाशे, साईकल का खेल, डुगडुगिया का खेल, सांप का तमाशा, बन्धु वाला खेल, बंदरिया का खेल
- नृत्य: घूमर (फागुन में), धमाल (फागुन में), छटी के नाच, खोड़िया (बारात विदाई पे), गूगा नृत्य (बाधुआ के महीने में), घोड़ी-धोंसा नृत्य (ब्याह-शादी में केसुहड़े के आगे घुड़सवार का नगाड़ा बजाते घोड़ी को नचाते हुए आगे-आगे चलना)
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संगीत वाध्य-यंत्र:
- मुंह से बजाने वाले यंत्र: अलगोजा, बीन, बांसुरी, तुर्री, तूती, , पीपनी
- हाथ से बजाने वाले यंत्र: घड़वा, ड्रम, डुगडुगी, डेरू, ताशे, मजीरे-ढोल, नगाड़े, ढफली, ढफ, चिमटा, तुम्बा, खंजरी, कलारनेत, धोंसा, धोंस, तास्सा, खड़ताल
- तार के यंत्र: तारा, सारंगी, बेन्जू
- अन्य: घुँघरू, हारमोनियम, झुनझुने, टाल्ली-घंटी (जंगम जोगी)
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आधुनिक सिनेमा-रंगशाला:
- रंगशाला: स्थानीय विधार्थी भिन्न-भिन्न रंगशाला के कार्यक्रम और यूथ फेस्टिवलों में भाग लेते रहते हैं| इन कार्यक्रमों में सबसे मशहूर और लोकप्रिय हैं रत्नावली, जोनल-अंतर-जोनल और अंतर-विश्वविधालय हरियाणवी रंगारंग प्रतियोगिताएं, समय-समय पर हरियाणा सांस्कृतिक विभाग द्वारा आयोजित किये जाने वाले नुक्कड़-नाटक|
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फिल्म: हरियाणवी, हिंदी (बालीवुड), पंजाबी, अंग्रेजी (हालीवुड)
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टीवी कार्यक्रम: हर तरह के कार्यक्रम
विशेष: वक्त के साथ इस विषय पर और जानकारी जोड़ी जाती रहेगी|
जय दादा नगर खेड़ा बड़ा बीर
लेखक: पी. के. मलिक
प्रकाशन: निडाना हाइट्स
प्रथम संस्करण: 25/04/2012
प्रकाशक: नि. हा. शो. प.
उद्धरण:
- नि. हा. सलाहकार मंडल
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Sulochana Kundu
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Sunita Kundu
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Kusum Malik
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Darshana Malik
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Santosh Malik
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Vimla Devi
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Uday Sheokand
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