कृषि
 
वनस्पति व् जीव
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!!!......अगर आपने आज खाना खाया, तो देश के किसान का धन्यवाद जरूर करें|......जो अपनी ऐतिहासिक जड़ों व् संस्कृति को नहीं जानते, उनकी सामाजिक पहचान एक बिना पते की चिठ्ठी जैसी होती है; ऐसे लोग सांस्कृतिक रूप से दूसरों की दार्शनिकता के गुलाम होते हैं| यह एक ऐसी संस्कृति को समर्पित वेबसाइट है जो "हरियाणव" के नाम से जानी जाती है.......!!!
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डॉक्टर सुरेन्द्र दलाल कृषि-अर्थ सोधशाला

निडाना गाँव की वनस्पतियाँ, जीव एवं गोचर क्षेत्र

गाँव के जीव-जंतु:


जंगली बिल्ली
भैंसा
मोर
नीलगाय
झाया

श्रेणी
 प्रारूप
जीव
पालतू
शौक
बैल, सांड, घोड़ा, घोड़ी कुत्ता, बिल्ली, खरगोश
दूध
भैंस, गाय, बकरी
मांस
सूअर, मुर्गा
व्यापार
भैंस, झोटा, बैल, भेड़, खच्चर, गधे, बंदर 
जंगली
घातक किस्म
भेड़िया, जंगली बिल्ली, बाहरला बिल्ला
दब्बू किस्म
खरगोश, चूहा, नीलगाय (रोज), हिरन, गीदड़
धूर्त किस्म
बंदर, सुन्सुनिया
खुशनुमा किस्म
झाया  
धरातलीय
जहरीले
सांप, कानखजूरे, पाटड़ा-घो
बहु-टांगिय कीड़े  
बिच्छु, मकोड़े, कीड़ी, चींटी, गिजाई, सुंडी, छिपकली, दीमक, केंचुआ
खून चूसने वाले
नेवला, जोंक, ढेरे, जुएँ, चुरने 
आसमानीय
डंक मारने वाले
मधुमख्खी, मख्खी, मच्छर, डांस, चमगादड़
मन-भावन
जुगनू, तितली,  फटबिजना
पंछी
कौवा, बगुला, चील, टटीरी, कोतरी, खाती, कबूतर, चिड़िया, उल्लू, काब्बर, तीतर, कठफौड़ा, बाज, शील, गिद्ध, तोता
जलीय
धरा-जलीय
बगुला, हंस, मुरगाई, बत्तख, जोंक, कछुआ, मेंडक
जलीय
मच्छली




गाँव की वनस्पतियाँ एवं गोचर क्षेत्र:


कीकर
जाल
मंगल-वाला जोहड़
शीशम

श्रेणी
प्रारूप
वनस्पति
पेड़
वर्तमान
कीकर, शीशम, नीम, पीपल, बरगद, पोपुलर, केला, अमरुद, बेरी, आम, शहतूत, झाड़, सफेदा, बढबेरी, पलपोटन, जामुन, बांस, पपीता, पहाड़ी कीकर, बकायन, अरंड
विलुप्तप्राय
गूलर, जांडी, जंगली-जलेबी, सुखी जलेबी, जाल, सीरस, लह्सोड़े,कैर, पापड़ी, केंदु
लेट-डाबडे
वर्तमान
ब्राह्मणों वाला डाबड़ा: आज से पांच साल पहले तक भी गाँव में कई बनी और ढाबड़े होते थे परन्तु लोगों की अनदेखी और प्रकृति की तरफ लापरवाह हो चले नजरिये की वजह से इसकी सारी रख-रखाव शून्य सी हो गई है| ब्राह्मणों वाला ढाबड़ा ही एक मात्र ऐसी प्राकृतिक धरोहर बची है जो सबसे घनी और जीव-जंतु-वनस्पतियों से धनी है| इसका पूरा श्रेय गाँव की ब्राह्मण जाति को जाता है| यह धरोहर चार एकड़ जमीन में फैला हुआ है, इसके बीच में एक तालाब है जो की वनस्पतियों और पेड़-पौधों से घिरा हुआ है, जिसमें जीव-जंतु विचरते रहते हैं| 

बाग्गा वाला ढाबड़ा: बाग्गा वाला ढाबड़ा शायद उन चुनिन्दा ढाबड़ों में से एक ऐसा ढाबड़ा बचा है जिसको जाट जाति ने संभाल के रखा हो| वरना पुराने में ऐसे ढा बड़ों की संख्या दहाई के आंकड़ों में होती थी| यह गाँव के सुदूर पश्चिम-उत्तर में स्थित है| एक बहुत ही खूबसूरत, वन्य-जंतुओं  से भरा-पूरा छ एकड़ में फैला हुआ है| 

निडानी तरफ वाला ढाबड़ा: यह निडानी और निडाना के कच्चे रास्ते पर पड़ता है|
विलुप्तप्राय
सांझरण वाला डाबड़ा, डहरों वाली लेट, टोवे वाली लेट
जोहड़-पोखर-गोरे
विवरण
जोहड़ गाँव की संस्कृति और पशुपालन व्यवसाय का अभिन्न हिस्सा होते हैं| हरियाणा के किसी भी गाँव की तरह, निडाना के भी सभी जोहड़ गाँव की बाहरी परिधि के अंदरूनी भागों में बने हुए हैं|
वर्तमान
लाधवा-वाला, नाई-वाला, नागा-वाला, मंगल-वाला, देवी की जोहड़ी, ज़िडाणा
विलुप्तप्राय
बाख्खा, गुहड़ी
बणी
विवरण
बनी गाँव के छोटे-छोटे जंगलों के समूहों, जो की अक्सर पुराने जमाने में पाए जाती थी को कहते हैं| गाँव की आबादी के बड़ते दायरे की वजह से और जंगलों की कटाई की वजह से, आजकल ये इक्का-दुक्का छोड़ के लुप्त ही हो चुकी हैं|
वर्तमान
जानकारी जल्द आ रही है|
विलुप्तप्राय
जानकारी जल्द आ रही है|
समाणे-हेर-हरियाले खेत
विवरण
गाँव के चारों तरफ फैले खेतों के हिस्सों को हेर कहते हैं
वर्तमान
मौजां-वाली, टोवा,  कीकरवाला, लाध्वा-वाली, डहर, थली, लाल-वाले, देबी-वाले, लेट-वाले, सांझरण-वाले
विलुप्तप्राय
जानकारी जल्द आ रही है|
पाल-नाले-बिद्रो
विवरण
पाल पानी के बहाव को रोकने के लिए बाँधी जाती हैं और खेत में ऊपरी सतह की मिटटी को खेत के एक कोने में पहाड़ी-नुमा इक्कठा की हुई मिटटी के ढेर को भी पाल कहते हैं, बिद्रो बाढ़ के पानी की निकासी के लिए गाँव के तराई वाले क्षेत्र से निकाली जाती हैं|
वर्तमान
तीन बिद्रो: ललित खेड़ा की तरफ वाली, निडानी की तरफ वाली, ढिगाना की तरफ वाली
विलुप्तप्राय
जानकारी जल्द आ रही है|


विशेष: वक्त के साथ इस विषय पर और जानकारी जोड़ी जाती रहेगी|

जय दादा नगर खेड़ा बड़ा बीर




लेखक: फूल कुमार मलिक

प्रकाशन: निडाना हाइट्स

प्रथम संस्करण: 10/06/2012

प्रकाशक: नि. हा. शो. प.

उद्धरण:
  • नि. हा. सलाहकार मंडल

साझा-कीजिये
 
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कृषि संबंधी मुख्य लिंक्स
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