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Pan-Haryanvi cum Local to Nidana Proverbs
सम्बन्ध और भावार्थ के अनुसार पंक्तिबद्ध 615 कहावतें
Written according to Hindi alphabetical order |
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Haryanvi Idiom and Proverbs: Below is the list of famous proverbs spoken among locals not only in Nidana but in as in it is accent or slightly different accent across all Haryanvi speaking regions including Haryana, Western U. P., Dilli, Northern Rajsthan, and Haryanvi speaking belts of adjoining states like Punjab, Utrakhand, Himachal Pardesh and U. T. Chandigarh. Most of these are also spoken in Rangri speaking region of Pakistan (Rangri - the Pakistani format of Haryanvi language).
तले तारी होई वें बड्डी कहावतें सें जो न्यडाणे म्ह ए नहीं, थोड़े से हेर-फेर गेल हरियाणवी ढूंग के हरियाणा अर इसकी गेल लागते पश्चमी उत्तर प्रदेश, दल्ली, राजस्थान,पंजाब, उत्तराखंड, हय्माचल प्रदेश अर चंडीगढ़ में भी बोली जा सें| इनमे तैं गन्खरी पाक्य्स्तान के रांगड़ी बोली आळए हय्स्से म्ह भी बोली जा सें (रांगड़ी हरियाणवी का ए पाकय्स्तानी रूप सै)|
निम्नलिखित हरियाणवी कहावतें ना सिर्फ निडाना में बल्कि थोड़े-बहुत बदलाव के साथ सारे हरियाणा और पड़ोसी राज्यों पश्चिमी उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और केंद्र-शासित प्रदेश चंडीगढ़ के हरियाणवी-भाषी क्षेत्रों में भी बोली जाती हैं| इनमे से लगभग सभी पाकिस्तान के रांगड़ी-भाषी क्षेत्र में भी बोली जाती हैं| रांगड़ी, हरियाणवी का पाकिस्तानी प्रारूप है|
Writing pattern: " Haryanvi Proverb / Description in Hindi / Description in English ". Where ever "Description in Hindi and English is not available or written yet format for that proverb is " Haryanvi Proverb / ...... / ......" |
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न्यडाणा म्ह/पै मसूर होई कहावत / ...... / Famous proverbs about Nidana Village |
- ओ माँ कुहावणिया एय्डड़ दिद्याँ (बड़ी आँखों वाला) आळआ था| / ...... / ......
- के ध्याड़ पड़गी तेरे पै/ के ध्याड़ मारै सै तन्ने! / ...... / ......
- खेमा-खेड़ी (गोंसाई-खेड़ा) म राह नहीं, न्यडाणी म भा (भाव) नहीं अर न्यडाणे म उठा (हिम्माती) नहीं| / ...... / ......
- नए चाँद की राम-राम, दुधु-दळीया दियो राम! / ...... / ......
- ना मरया रे सींक-पाथरी, ना मरया उल्हाणएं-मदीणए, जा मरया रे बेटा गैभां के न्यडाणे! / ...... / ......
- न्यडाणा गाम तो "सांड छोड़ राख्या सै" मोढ़या नैं! / ...... / ......
- देख्या-ए-नी इह्सा धाय्ड मोड़णिया! / ...... / ......
- यू तै धारे था जो धोती पाड़ कै लिकड़ग्या! / ...... / ......
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आम ब्यौहार आळी कहावतें (स्याह्मी खड़े बाबत) - सामान्य दार्शनिक प्रत्यक्ष कहावतें (प्रथम पुरुष) - General Philosophical Direct Proverbs (First Person) |
- अक्ल बडी अक महास! / ...... / ......
- अकल बिना ऊंट उभाणे फिरैं / ...... / ......
- अपणी गाळ म्ह तो कुत्ता भी शेर! / ...... / ......
- अंधा बांडे सिरनी अर आप-आपणा नै दे! / ...... / ......
- अपणा हाथ बरकत साथ! / ...... / ......
- आखां कै आम्ब लाग ज्यां अर आम्बा कै आख! / ...... / ......
- आग्ला शर्मान्दा भीतर बड़ग्या-बेशरम जाणे मेरे तें डरग्या! / ...... / ......
- आंधे आग्गे रोवै अर आपणे नयन खोवै| / ...... / ......
- आपणी रहीयां नै ना रोंदी, जेठ की जाइयां नै रोवै| / ...... / ......
- आंधी पिस्सै कुत्ते चाटें| / ...... / ......
- आंधा गुरू आंधा चेला - कूंऐं में दोनूं ढ़ेल्लम-ढ़ेल्लां| / ...... / ......
- आग म्ह घी गेरणा! / ...... / ......
- आपणी जड़ आप्पे खोदणा! / ...... / ......
- आपणा मारै छाया में गेरै| / ...... / ......
- आप्पा देख – आग्गा देख! / ...... / ......
- आपणे पैरां पै कुल्हाड़ी मारणा! / ...... / ......
- आ बैल मुझे मार! / ...... / ......
- आप्पा-मारें बन्या किसने सुरग देखे! / ...... / ......
- आब-आब कहंदे मरया, सरहाणे धरया रह्या पाणी! / आब मतलब पानी / use the language that all understand
- आपणा चून, आपणा पुन| / ...... / ......
- इतनै हांडे बगड़-बगड़, इतनै पीस ले रगड़-रगड़! / ...... / Self help is the best resource.
- इबै किमै ना बिगङया, इबै तै बेटी बाप कै-ए-सै / ...... / Situation tensed but still under control
- ऊतां के नाम बदनाम अर घुन्ना नै खो दिए गाम! (कर जावै घूंघट आळी, नाम झुरमट आळी का) / ...... / someone does the mischief, blame goes to someone else
- उंगळी पकड़ कै पोहचा पकड़णा! / ...... / ......
- उपरान थूक्या होया खुद पै ए आ कै पड़े! / ...... / ......
- ऊँट के मुंह म्ह जीरा! / ...... / ......
- उल्टा चोर कोतवाळ नै डांटे! / ...... / ......
- एक आयंख का के खोलणा अर के मींचणा| / ...... / ......
- एक घर तै डाअण भी छोड़ दिया करै! / ...... / ......
- क्यूं खखावे नदी, मैं तेरे म्ह पाँ द्यूं-ना-द्यूं! / ...... / Confidence doesn't heed to bluff.
- क्यूं खखावे नदी, आवै तो पुळ कै तलै को गी! / ...... / Sky has the limit.
- कोठे ऊपर टूमड़ी, के देगी दुमड़ी! / ...... / ......
- कुल्हड़ी म्ह दाणे, कूद-कूद खाणे! / ...... / ......
- कुत्ते कै मार दिया मिराड़, बिजली नै देखै अर कुकावे! / ...... / ......
- कोल्ले की दलाली म्ह आपणे हाथ काले! / ...... / ......
- काला अक्षर, म्हास बराबर! / ...... / ......
- काग चल्या हंस की चाल, आपणी-ए-चाल भूल बैठ्या! / ...... / ......
- किसे का बुरा करणा चाहवे तै, बड्डयां कै स्याह्मी कर! / ...... / ......
- काबू साच्चा, झगड़ा झूठा! / ...... / ......
- कीमे लोह खोटा, कीमे लोहार खोटा! / ...... / ......
- कुँए का मंडक! / ...... / ......
- काम का प्यारा, चाम का के प्यारा| / ...... / ......
- काणी के ब्याह म्ह सौ जोखम (काणी के ब्याह म रास्से-ए-रास्से)| / ...... / ......
- कुल्ली म गुड़ फोड़ना| / ...... / ......
- कै बाबा रेल म कै जेळ म! / ...... / ......
- काँधे पै बैठ कें कान म मूतणा! / ...... / ......
- कुत्ते भोंके जां गाड्डी चाल्लें जा! / ...... / ......
- काम का न काज का, दुश्मन नाज का (ढाई मण अनाज का)! / ...... / ......
- कती नान्हा छानणा| / ...... / ......
- कर्मा के लेख उघाङ-उघाङ देख| / ...... / ......
- काबू साच्चा, झगड़ा झूठा| / ...... / ......
- काया रहै निरोग जो कम खावै- उसका बिगड़ै ना काम जो गम खावै / ...... / He who eats less remains healthy. He never fails who does not get depressed
- खीर सड़ी, तो के साग तैं भी पड़ी! / ...... / ......
- खा कै पछतावे, नहा कै नहीं पछतावे! / ...... / ......
- खेती-खसम सेती! / ...... / ......
- खड्या डरावे खेत म्ह, खावै न खाण दे! / ...... / ......
- खाई तैं बाहर-ए-बाहर बसै| / ...... / ......
- खिल्लाये का नाम नहीं होया करदा, रुवाये का हो जाया करै! / ...... / ......
- खाँ-तै-खाँ घी तैं ना तै जाँ जी तैं! / ...... / ......
- गरीब की बहु सबकी भाभी! / ...... / ......
- गाम बसया नहीं, मंगते पहल्या ऐ हांडगे! / ...... / Talking of profit without implementation of plan.
- गुस्से नै पी ज्या, गम नै खा ज्या अर अलिमी तै बोलै! / ...... / Politeness should be kept above anger and grief.
- गम खाणा, कम खाणा अर कम सोणा, बहुत बड्डी चीज हों सें! / ...... / ......
- गम ल्य्कड़ी अर बच्चा सुखी! / ...... / ......
- गंडा पाड़ा अर खेत तैं बाहर! / ...... / ......
- गळ पड्या ढोल तो बजाणा ए पड्या करै| / ...... / ......
- गादड़ बन्या, झुण्ड म कौण हगे| / ...... / ......
- गंजे के सर पर नाख़ून नहीं होंदे| / ...... / ......
- घर आला घर नहीं, हमने किसे का डर नहीं! / ...... / Onwer needs to stand on work to ensure the best output.
- घणी स्याणी दो बै पोया करै! / ...... / ......
- घुह म्ह ढळआ मारै अर छींटम-छींट होवे! / ...... / ......
- घर की मुर्गी, दाळ बरोबर! / ...... / ......
- घर देख कें खावै अर पड़ोसी देख कमावै! / ...... / ......
- चोरी का माळ, मोरी मैं| / ...... / ......
- चै तो बोळी स्यर खुजावे नी अर खुजावे तो लहू चला ले| / ...... / ......
- चोरटी ब्यल्ली, छींकें की रुखाळी! / ...... / ......
- चोर नैं फसावै खांसी अर छोरी नैं फसावै हांसी! / ...... / ......
- चिकड़ान्दा चिक्कड़ म पडै! / ...... / ......
- च्यार खाई बास्सी-कुस्सी, च्यार खाई ताज्जी! / ...... / ......
- जिस थाली म्ह खावै उस्से म्ह मोरा करै! / ...... / ......
- जै राम जी की मेहर रही तै मौसी, लांडे-ए-खा कमावेंगे! / ...... / in rigorous clash rat replies to cat
- जुणसी जन्घाह का पाणी अर बाणी रच जावै, उत डेरा जमावै! / ...... / ......
- जब गादड़ की मौत आवे तो गाम काने भाज्जे! / ...... / ......
- जिसका जोरा, उसका गोरा| / ...... / ......
- जिस गाम म जाणा-ए-नी, उस गाम की राही क्यूँ चढिये (जिस गाम नीह जाणा, उस गाम के कोस क्यूँ गिणने)| / ...... / ......
- जिस लुगाई के ऊपर कै धरती दिक्खै वा खोटी हो सै| / ...... / ......
- जितनी धरती तैं ऊपर, उतणी ए धरती कै तळऐ| / ...... / ......
- ज्यब लग काणी का सयंगार होगा इतनै म तो मेळआ ए छूट लेगा| / ...... / ......
- जिसकै लागै, वोह-ए जाणै / ...... / only the wearer knows where the shoe pinches
- जणेती तै माँ ए जाम दिया करें! / ...... / ......
- झाल गिणु था अर भूल ग्या, रे येह तो और गिण लिए-भतेरी आवेंगी! / ...... / Don't sorrow about past, bigger history is waiting to be created by you.
- डरदा, अर हर-हर करदा! / ...... / ......
- ढेढ़ नै ढेढ़, गंगा जी पै टोह ले! / ...... / ......
- ढांडा ढाई का! / ...... / ......
- थोथे पिछोड़ना अर थोथा थूक बिलोणा, खामखा म्ह नाम खोणा! / ...... / ......
- थाळी का बैंगण! / ...... / ......
- दब के बाह ते राज के खा! / ...... / ......
- दिवे तले अँधेरा! / ...... / ......
- दूसरे का सुख घोलै, अपणा दुःख ना गोलै! / ...... / ......
- दो मुँहा सांप! / ...... / ......
- दूसरे की थाळी म घी घणा-ए दिखया करै! / ...... / ......
- दुबळए नैं दो साढ़! / ...... / ......
- धोबी का कुत्ता घर का ना घाट का! / ...... / ......
- नाम धरा लिया दरियाव सिंह अर थलियाँ पै तिसाया मरै! / ...... / ......
- न्यूं जागा दिल तै, ज्युकर भेड़ों के सर तै सींग! / ...... / ......
- नीत गैल्यां बरकत हुया करै! / ...... / ......
- नया नौ द्यन पराणा सौ द्यन| / ...... / ......
- नंगा, चोरां म्ह ऐ सोवे! / ...... / ......
- नंगी के घर हांडी, छिक्के धरूँ अक टांडी! / ...... / ......
- पूत के पाँ तै पालणे म्ह ऐ दीख जाया करें! / ...... / ......
- पापी के मन में, डूम का ढिंढोरा! / ...... / ......
- पर घर जाइए ना अपणा मान घटाइए ना! / ...... / ......
- पैर म्ह पड़ी खेती, किसे की ना होती! / ...... / ......
- पाटढ़े चढ़दें ए रांड होगी| / ...... / ......
- पूत कपूत तो के धन संचय, पूत सपूत तो के धन संचय| / ...... / ......
- पात्थर के बाट, जितणी बै भी तोलै उतणा-ए-घ्याट| / ...... / ......
- फूहड़ चाल्ले अर घर हाल्ले! / ...... / ......
- बगल म्ह छोरा, नगर म्ह ढिंढोरा! / ...... / ......
- बखत तै पहल्यां अर भाग तै घणा किसे न ना मिल्या! / ...... / ......
- बकरे की माँ, कद लग खैर मनावैगी! / ...... / ......
- बारह साल म्ह तै कुर्डी के भी भाग फिर ज्यां! / ...... / ......
- बेपेंदी का लौटा! / ...... / ......
- बरसाती मंडक! / ...... / ......
- बावळआ चलै तै चलें ए जा| / ...... / ......
- बिच्छू का काट्या तै नाग भी रोवै| / ...... / ......
- बेटी के म्ह कै, बहु नैं सुणावै| / ...... / ......
- ब्याह के गीत, सारे साच्चे ना होंदे! / ...... / ......
- बैरी ना हो तो पिस्से दे कें बणा ल्यो! / ...... / ......
- भाजदे नै भान एक सा! / ...... / ......
- भूलगी राग-रंग, भूलगी लकड़ी, तीन बात याद सें नूण, तेल अर लकड़ी! / ...... / ......
- भरी थाळी कै ठोकर मारणा! / ...... / ......
- भीड़ म डळआ फद्दु कै ए लाग्या करै| / ...... / ......
- भूख्खे की बौड़ आवै पर झूठ्ठे की ना बोडै| / ...... / ......
- माँ तो चौथी-चौथी नै फिरै, बेटा बिटोड़े बिशाह दे! / ...... / Love of mother is unconditional. One sided relation carry no respect from other side.
- माँ पै धी, पिता पै घोडा, घणा नहीं तो थोडा-थोडा! / ...... / ......
- मुस्से नै मिलगी हल्दी की गाँठ, खुद नै ऐ पंसारी समझ बैठा! / ...... / ......
- मंगळ खोलिए ना जूड़ा, बुध पहरिये ना चूड़ा| / ...... / ......
- मरदे माणस का हाथ पकड़ ले, बोलदे की जबान ना पकड़ी जा! / ...... / ......
- मरोड़ म तो करोड़ लाग्या करें! / ...... / ......
- मठ मार दिया/मर ग्या भाई/बै/रै/ए| / ...... / ......
- म्हारी बिल्ली, हमीं नै म्याऊं! / ...... / ......
- ये मुंह और मसूर की दाल! / ...... / ......
- या जुबान तो कह कें भीतर बड़ ज्या, फेर यू चाम बाहर पिटें जा| / ...... / ......
- रोंदा होया जावे अर मरे होए की खबर लावे! / ...... / ......
- राई का पहाड़ बनाणा! / ...... / ......
- रूप रोवै, कर्म खा| / ...... / ......
- राम उसका भला करै जो आपणा काम आप करै| / ...... / ......
- राड़ बधाणा| / ...... / ......
- रोयें ब्यना तै माँ भी दूध ना प्यावै| / ...... / ......
- ला कै बण म्ह आग, दमालो दूर खड़ी! / ...... / ......
- लकीर का फ़कीर! / ...... / ......
- लांबी टांग धड़ छोटा, इह्सा माणस खोटा| / ...... / ......
- लांडी बूच्ची, सान्भे ऊँची! / ...... / about ugly and pagli girl
- वही ढाग के तीन पात, चौथा होण न ना जाण न! / ...... / ......
- शेराँ के मुंह किसने धोये| / ...... / ......
- श्याणे आदमी की कमाई तीन पीढ़ी खाया करें| / ...... / ......
- समाई कह्वै रहिए दिल थाम, मैं तेरै रे काम आऊं! / दिल को धैर्य से बाँध कर रखो, अंत में यही काम आता है| / Patience is the key to command your heart and to prevail through any problem.
- सीला लोह तात्ते नै काट्टे! / ...... / Proactivity is the best weapon.
- सिंह ना सांड, गादड़ गए हांड! / ...... / ......
- सुक्का लाकड, आकड़-ऐ-आकड़! / ...... / ......
- सौ सुनार की, एक लुहार की! / ...... / ......
- सौ दिन चोर के एक दिन शाह का! / ...... / ......
- सुणो सबकी, करो चित की! / ...... / ......
- सूधी छ्य्प्कली, घणे माछर खाया करै! / ...... / ......
- सामण के आंधे नैं हरा-ए-हरा दिख्या करै! / ...... / ......
- हेरिये-बाबा-हेरिये, बच्चा आपणी-ऐ-छोडें फिरूँ! / ...... / Asking for help from already out from field.
- हथेळी पै सरसम निः उग्या करदी! / ...... / ......
- हाथ ना पल्ले, मियाँ मटकदा ऐ चल्ले! / ...... / An empty vessel sounds much.
- हरी ज्वार, घर-घर बार! / ...... / ......
- हाँसी-हाँसी म्ह, फांसी हो जाया करे! / ...... / ......
- हाण नै हाण प्यारा हो सै| / ...... / ......
- हिम्मती का राम हिम्मात्ती| / ...... / ......
- हांडी का छो:, बरोल्ली पै| / ...... / ......
- हारे होए कै दो लात फ़ालतू लाग्या करें! / ...... / ......
- हाथ नैं हाथ धोया करै! / ...... / ......
- हथेळी पर की तो भों तार ले, माथ्थे पर की तार कें द्य्खाओ| / ...... / ......
- खांड का पानी होना means करे कराये पे पानी फिरना| / ...... / ......
- झूठा खाणा, मीठे के लोभ मै| / ...... / ......
- जड़ै दीखै तवा-परांत, ऊड़ै गावैं सारी रात / ...... / To look for greener pasteurs
- जाट गंडा ना दे, भेली दे / ...... / Penny wise, Pound foolish
- जाट कहै जाटणी नै, जै गाम में सुखी रहना | कीड़ी खा-गी हाथी नै, हां-जी हां-जी कहना ।। / ...... / Jat says to his wife, "If you want to live happily in the village, then just say yes to every lie, even when someone says an ant has eaten an elephant
- जाम दिये बाळक गूंद के लोभ में| / ...... / ......
- जेठ के भरोसे छोरी ना जामना| / ...... / ......
- जै इतनी सूधी होती तै चाचा -ताऊ कै रहती / ...... / this is used and most suited to Muslims as they marry their daughters in close relations, hence this is used just to use utmost sarcasm for girls
- जिसी नकटी देवी, उसे-एऊत पुजारी|जिसकी खाई बांकळी, उसके गाये गीत (जिसका खावै टीकड़ा, उसका गावै गीतड़ा)| / ...... / ......
- जिसनै करी सरम, उसके फूटे करम| / ...... / ......
- ठाढा मारै...रोवण दे ना, खाट खोस ले...सोवण दे ना / ...... / Might Is Right, or The Survival of the Fittest
- ढ़ेढ नै ढेढ गंगा जी के घाट पै टोह ले| / ...... / ......
- ढूंढ में गधा लखावै - जिसकी छोटी आँख हो| / ...... / ......
- तीन पाव की 3 पोई, सवा सेर का एक । तन्नै पूत्ते 3 खाई, मन्नै चिन्दिया एक ।। / ...... / This one told by ladies
- तीतर पांखी बादळी, दोफाहरे के पणिहार - खातिण चाल्ली इंधण नै, तीनूं नहीं भलार| / ...... / ......
- तेरे चीचड़ ना टूटैं म्हारे तैं / ...... / we are unable to serve you
- तेरे जामे होड़ तै इसै पाहया चालैंगे / ...... / Good for nothing
- दूसरे की सौड़ में सोवै, वो फद्दू कहावै / ...... / ......
- दुध आली की तो लात भी उट जाया करेपकड़ण का ढ़ंग नहीं अर मारण की साई ले रहा| / ...... / ......
- पुलिस के पीटे का आर चमस्सेय के रेह्पटे का के बुरा मानना| / ...... / ......
- पैसा नहीं पास मेला लगे उदास| / ...... / ......
- फूहड़ के तीन काम हगे, समेटे अर गेरन जा| / ...... / ......
- फूफा कहे त कोए फुकनी ना दे| / ...... / ......
- बढिया मिल गया तो म्हारी के भाग ना तो मरियो नाई बाह्मन / पुराने टेम मे नाई और ब्राह्मन ही रिश्ते करवते थे / ......
- बहू तै सुथरी सै, पर काणी सै / ...... / ......
- ब्याहली आंवते ही सासू मत बणिये| / ...... / ......
- बोहड़िया का भाई, गाम का साळा| / ...... / ......
- बहू आई रीमो-झीमो, बहू आई स्याणी भोत - आवतीं-हें न्यारी हो-गी, पाथणे ना आवैं चौथ| / ...... / ......
- बेर खावै गादड़ी, ड़ंडे खावै रीझ / ...... / ......
- बावला या तो गाम जावे ना, जावे तो फेर आवे ना / ...... / ......
- बिटोड़े में तै गोस्से ए लिकड़ैंगे / ...... / ......
- बिन फेरयां का खसम / ...... / ......
- बुलध ना ब्यावै तै के बूढ़ा-ए ना हो? / ...... / ......
- बूढ़ा मरो चाहे जवान, हत्या-सेती काम / ...... / ......
- बिली ढूध की रुखाली / ...... / ......
- भूआ जाऊं-जाऊं करै थी, फूफा लेण आ-ग्या ! / ...... / ......
- भादवे का घाम अर साझे का काम देहि तोडा करे / ...... / bhadva i. e. desi calender month
- भीत में आला अर, घर में साला ठीक ना होते / ...... / ......
- मर-गी रांड खटाई बिना ! / ...... / To demand exceptional items
- मारते माणस का हाथ पकड़ ले...बोलते की जुबान ना पकड़ी जा / ...... / ......
- मार कै भाग ज्या, अर खा कै सो ज्या - कोई ना पकड़ सकै / ...... / ......
- मूसे नै पा-गी खाकी कात्तर, वो-ए थाणेदार बण बैठ्या / ...... / ......
- मूसे नै पा-ग्या सूआ, डाक्टर-ए बण बैठ्या / ...... / ......
- मूंगफली ऊपर पानी पी ल्यो, खांसी हो ज्यागी - काणे गैल्यां ब्याह कर ल्यो, हांसी हो ज्यागी / ...... / ......
- मान ले तो आपकी भी, ना मानै तो बाप की भी / ...... / ......
- मुल्ला की दौड़ मसिजद ताही / ...... / ......
- मीठे के लोभ में जम के गेर दिए / ...... / ......
- महकार कुन्धरे जितनी भी कोना नाम धरवालिया गुलाबो.महकार (Fragrance), कुन्धरे(kind of veg.) / ...... / ......
- माँ री मामा आया, बोला भाई तो मेरा ए ना है / ...... / ......
- मिन्द्की क जुखाम होना / ...... / ......
- रांड तै रंडापा काट ले, रंडवे काटण दें जिब ना| / ...... / ......
- लीपण का ना पोतण का, गू कुत्त्यां का! / ...... / ......
- लीख (ढेरे) तैं ले कै किमैं सीख - इसकी टांट नै गंजी कर दे! / ...... / ......
- लङै बरोबर रोवे बाध| / ...... / ......
- शराबी के दो ठिकाने - ठेके पै जावै या थाने| / ...... / ......
- आंगळीयां तैं नहु कद न्यारे होए| / ...... / ......
- एक हांडी म्ह दो पेट| / ...... / ......
- धोरा धर ज्याणा| / ...... / ......
- पूंजड़ पै पाँ धरणा| / ...... / ......
- सर होण नैं फिरै| / ...... / ......
- गई भांग कै भाड़ै! / ...... / ......
- सीख बिराणी, करै कुणबा घाणी! / ...... / ......
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हवालात्मक कहावतें (दूसरे सम्बन्धी) - हवालात्मक कहावतें (द्वितीय पुरुष) - Referential Proverbs (Second Person) |
- अगेती फसल बोवनिये अर अगेती मार करणिये की कदे हार नीह होया करदी| / ...... / ......
- अंधा न्योंदै दो बलावे अर तीसरा गैल्यां आवै| / ...... / ......
- अंधे की माख्खी राम उडावै! / ...... / ......
- अरै, क्यूकर ब्याह में नाई की तरियां हो रहया सै? / ...... / ......
- आगै-पाछै नीम तळै ("one and the same thing") / ...... / ......
- आंधा गुरु आंधा चेल्ला, कुए म दोनूं ढेल्लम-ढेल्ला! / ...... / ......
- आड़ की पड़छाड़ की, मेरे नाना की ससुराड़| / ...... / ......
- आपणा तो घर फुंक्या, पर मुस्सयाँ कै आँख होगी| / ...... / ......
- आजा बेटी ले-ले फेरे, देवर आँसू पोछें तेरे (करेवा: लत्ता-उढाणकीरीत)! / करेवा: लत्ता-उढाण की रीत / ......
- आंडीवारें दूध की मलाई, अध्बीलोई ल्हास्सी, बाखड़ा दूध अर दूध की धार की गोझी, इन्नै खाणिया-पीणिया, बणज्या मनमौजी! / ...... / ......
- आ गई बिल्ली, कबूतर नै आँख मींच ली जाणू तो वो बिल्ली नै दीखता ऐ कोनी! / ...... / ......
- आध्द्हले पै दे कै पळवाई म्हास कदे खसम का पेटा न्ही भर सकदी! / ...... / ......
- आँकल-झोट्यां का खाया कदे बेकार ना जाया करै| / ...... / ......
- ईब आया ऊँट पहाड़ तलै! / ...... / ......
- इह्से बावले भैंसवाळ म्ह पावेंगे जो नहा कें सान्नी काटैं| / ...... / ......
- इतनै काणी का सिंगार होगा, ईतणे म तै मेळा-ए बिछड़ ज्यागा| / ...... / ......
- इतणी चीकणी हांडी होती तै कुत्ते एना चाट लेते! / ...... / ......
- इसे पिलूरे ना पाळियो जो जाड्डे में रजाई मांगैं| / ...... / ......
- उख्खळ म स्यर दिया तो मुस्सळ तें के डरणा! / ...... / ......
- ऊँट पै चढ़ें भी कुत्ता काट ज्या| / ...... / ......
- ऊत न ऊत गंगा जी के घाट पै टकरा ज्या (ढेढ़ नैं ढेढ़ गंगा जी के घाट पै टोह ले) / ...... / ......
- ऐसा दीन होणा की घरों म्ह कबूतर बोल ज्यां! / ...... / ......
- एक घर तै डायण भी छोड दिया करै| / ...... / ......
- एक चप्प, सोवां नै हरावे! / ...... / ......
- एक भैंस सोवां कै गार लावै (एक सड़ी मछली सारे तालाब को गंदा करती है)| / ...... / ......
- कीमे तै बुआ जाण नै हो रीह थी, ऊपर तै फूफा लेण आ गया! / ...... / ......
- कुम्हार की कुम्हारी पै तो पार बसावे नहीं, जा गधे के कान खींचे! / ...... / ......
- काग बोल्या मंडेरे पै, बटेऊ आवै तरे डेरे पै! / ...... / ......
- कुत्ता बडग्या गाड्डी तल्ले, सोचे के गाडी तेरे ऐ ताण चाल रही से! / ...... / ......
- कुल्हड़ी म गुड़ फोड़ना! / ...... / ......
- काग पढाया पिंजरै, पढ़ ग्या चारूं बेद, समझाया संझ्या नहीं, रह्या ढेड का ढेड! (You cannot educate a crow like a parrot even if you teach him in a cage, he will not understand anything just like a foolish man will remain foolish and wont change.) / ...... / ......
- कुत्याँ कै घी हजम नीह होया करदा| / ...... / ......
- कमीनाँ का बाळक तोय्हार के द्यन रुस्या करै| / ...... / ......
- काम चुडैलां के, मय्जाज परियां के| / ...... / ......
- कुणबा खीर खा आर द्योता राजी हों (कनागत)! / ...... / ......
- काणे-टुंडे अर लंगड़े म एक ऐब (रग) फ़ालतू होया करै! / ...... / ......
- कद मरी मेरी सास्सू - कद आये मेरै आंसू! / ...... / ......
- कदे कदे तै गधे की बी ग्यास आया करै| / ...... / ......
- काठ की आहंडी, श्यात-श्यात म ना चढ्या करदी! / ...... / ......
- के नांगी नहावैगी अर के निचोडैगी! / ...... / ......
- करबळए का पीर, साबुदाणे की खीर अर रयवाड़ी का हीर, हमेशा सेधे| / ...... / ......
- कुत्ते अर ईंट की यारी| / ...... / ......
- कर्जा (debt) भला ना बाप का, बेटी भली ना एक / ...... / ......
- कुत्ते कै लट्ठ मारया किसे और नैं अर कुकाया म्हारे बारणे आगै आ कें| / ...... / ......
- काका के हाथ में कस्सी हळवी (हल्की) लाग्या करै| / ...... / ......
- काका के हाथ में कुलहाङी पैनी लाग्या करै| / ...... / ......
- काका कहे त कोए काकडी ना दे| / ...... / ......
- कान्नाँ के कीड़े से झड़ ज्यांगे| / ...... / ......
- काणे की आंख में घाल्या घी अर न्यू कह मेरी-ए (फोडण चाल्या था) फोड दी| / ...... / ......
- काणे की अर तेरी बणे नही, काणे काणे ब्यन तनै सरे नहीं| / ...... / ......
- खाती का छोल्या अर बुढ्ढे का बोल्या, कदे मिटेगा नहीं! / ...... / ......
- खाग्गड़ बुड्ढा होग्या तै के बळधां तैं भी गया! / ...... / ......
- खेत खुडाळआ अर कपटी रुखाळआ, दुःख दे ज्या| / ...... / ......
- गाम बसया नहीं मंगते पहल्यां ए हांड ग्ये! / ...... / ......
- गाम अर गौत म्ह सब भाण-भाई, बाकी सब असनाई! / ...... / ......
- गऊ गार म्ह धंसणा! / ...... / ......
- गई म्हास पाणी म| / ...... / ......
- गुड़ दिखा कें डळआ मारै| / ...... / ......
- गधे की लात का अर बीर की जात का कोए भरोसा नीह होंदा| / ...... / ......
- गधे की आँख म घाल्या घी - ओ बोल्या अक मेरी तै फोड़ ए दी| / ...... / ......
- गादड़ की तावळ म कदे बेर नी पाक्या करदे| / ...... / ......
- गोह (पाटड़ा गोह) के जाम्मे सारे खुर्द्हरे| / ...... / ......
- गध्याँ कै जुखाम हो रे सं! / ...... / ......
- गादड़ी का कान ना तै छोडडें बनै ना पकड़ें! / ...... / ......
- गधे आळए ढाई द्यन सब म्ह आया करें! / ...... / ......
- गादड़ की तोळ तैं बेर निः पक्या करदे| / ...... / ......
- घर की खांड किरकरी, चोरी का राळआ भी मीठा! / ...... / ......
- घर देख कै खावे, पडोसी देख कमावे! / ...... / ......
- घना स्याणा काग्गा, घूं म मुंह मारया करै! / ...... / ......
- घूं कुत्याँ का, लीपण का न पोतण का! / ...... / ......
- घर तो जलै-ए-गा पर मुस्सयाँ कै तो आँख हो जांगी! / ...... / ......
- घी सुधारे साग अर बड्डी बहु का नां! / ...... / ......
- घोड़ी नैं ठुकवाई तमाल, तो मींडकी नें भी टांग ठाई! / ...... / ......
- घर की बही, काक्का लिखणिया| / ...... / ......
- घर हीणा टोह दे पर वर हीणा निह होणा चहिये| / ...... / ......
- घोड़े कै तनहाळ लाग्गै थी अर पाँ मिंडकी नै भी ठा लिया| (Some people always look for encashing opportunities and try to make benefit thinking that they are as great as others are) / ...... / ......
- घी खावै देशी अर ट्रेक्टर बाह्वै मेस्सी| / ...... / ......
- चतुर तै बैरी भी ठीक, पर मुर्ख भला ना मीत, कह ग्ये स्याणे कदे ना करिये मुर्ख गेल प्रीत! / ...... / ......
- चढ़दे सूरज की पूछ, डूबदे की ना पूंछ भी! / ...... / ......
- चैत मैं चिड़िया, कातक मैं कुतिया, माघ मैं बिलाई, ब्याह मैं लुगाई ..... रिफ्फली रिफ्फली हांडया करैं| / ...... / ......
- चालते हाथी पै कुत्ते भोंक्या ए करें! / ...... / ......
- चोर के मन म डूम का ढांडा| (चोर की ढाहडी म्ह डीकड़ा!) / ...... / ......
- छाज तो बाजै, छाल्णी भी के बाजै जिसमें बाह्त्तर छेद! / ...... / ......
- छट्टी का दूध याद आणा! / ...... / ......
- जब चिड़िया चुग-गी पैर, फेर क्याह का रोणा! / ...... / ......
- जोगी का फटकारा अर बीर का दुत्कारा, कदे चैन तै ना रहवे! / ...... / ......
- जो मोर हो मंडेर, घर की शोभ्या शेर! / ...... / ......
- जो उल्लू घर के छिपदे कान्या बोले, घर की किस्मत के दरवाजे खोलै! / ...... / ......
- जमीन जोर-जोई की, जोर घटी होई और की! / ...... / ......
- जणेती तै माँ-ए-जाम दिया करैं! / ...... / ......
- जै ईस गाम मैं सुखी रहणा, चींटी खा गयी हाथी नै, हांजी-हांजी कहणा! / ...... / ......
- जिसनै चलणी बाट, उसनै किसी सुहावै खाट| / ...... / ......
- जिसका चौड़ा हो बाक अर पतळइ नाय्ड, इस्सी म्हास बिसाओ जजमान! / ...... / ......
- जिसी संगत उस्सी रंगत! / ...... / ......
- जले पै नूण रगड़णा! / ...... / ......
- जिसने नहीं देखी दिल्ली वो कुत्ता न बिल्ली! / ...... / ......
- जोब्बन लुगाई का बीस कै तीस - अर बलध चले नौ साल, मर्द अर घोडा कदे ना हों बुड्ढा, जै मिलती रह खुराक! / ...... / ......
- जड़े दिखे तवा-परांत, उड़े गावै सारी रात! / ...... / ......
- जूती तंग अर रयस्तेदार नंग, सारी जन्घा सेह्दै| / ...... / ......
- झोटयां की लड़ाई म, (भोझडयां (झाड़ियाँ) का खोह! / ...... / ......
- झोटे तले दूध की बाल्टी धरणा! / ...... / ......
- ठाडे की बहु सबकी दादी अर माड़े की सबकी भाभी| / ...... / ......
- तैड़काये चार तै छह बजे तक कुदरत नूर टपकावे, जो तू नूर का दीवाना तो क्यूं सो कै मौका गवावें| / ...... / ......
- तड़के का मींह अर सांझ का बटेऊ टाळया नीह करते| / ...... / ......
- तेल देखो-तेल की धार देखो! / ...... / ......
- तेल्ली नैं तेल की, मसुद्दी नैं खाल की! / ...... / ......
- थोथा चणा, बाज्जे घणा! / ...... / ......
- द्य्ल्ली की दलाल्ली मुंह चिकणा पेट खाल्ली! / ...... / ......
- दूध का दूध पाणी का पाणी! / ...... / ......
- दान की बाछ्ड़ी के दांद निह गिणया करदे| / ...... / ......
- दूध म्ह कितणीये रई चलाओ, फेर भी मख्खन देगा, गुणि का कितणा-ऐ-मखौल उड़ाओ, आदर फेर भी करा लेगा| / ...... / ......
- दूसरे की थाळी म्ह घी घणा लगया करै! / ...... / ......
- दही के भळआ म कपास खा ज्याणा (To take any action, thinking of something good but without estimating the underlying risk and danger) / ...... / ......
- दो पिस्से की हांडी गई, पर कुत्ते की ज्यात तै पिछणगी| / ...... / ......
- दान्दले खसम का ना रोंदे का बेरा पाटे ना हान्सदे का! / ...... / ......
- धुंध म गधे की ढाळ लखाणा! / ...... / ......
- नाई के म्यरे बाळ कोड्ड-जजमान ईब तेरै आगे-ऐ-आ ज्यांगे! / ...... / ......
- ना पाय्न्द ना सरहाणा, आपस म लड़-लड़ मर जाणा| / ...... / ......
- नहर तळए का अर शहर त ळ ए का माणस खतरनाक हो सै| / ...... / ......
- नान्नी याद दुवा देणा! / ...... / ......
- नांगलोई − तू क्यूं रोई, मैं न्यूं रोई − मुंडके की मन्नै सारी ढोई / ...... / ......
- नानी फंड करै, द्योहता दंड भरै (नानी खसम करे द्योता दंड भरे)| (someone does the mischief and punishment goes to someone else) / ...... / ......
- न्यू रोवैगा ज्युकर कुत्ता मार बणजारा (लख्खी) रोया था| / ...... / ......
- न्यू मुंह लटकारह्या जाणू भातियाँ गेल फालतू आ रह्या| / ...... / ......
- नहर तले का अर शहर तले का माणस खतरनाक हो सै| / ...... / ......
- नाइयां की बरात म सारे ठाकर, हुक्का कूण भरै| / ...... / ......
- नीम पै तो निम्बोळी एलागैंगी| / ...... / ......
- पाणी म पाद्दे अर बुलबुले ना उठें! / ...... / ......
- पाणी कान होण म्ह अर नहांदे हाँण जो बार लगावे, वा लुगाई बढ़िया ना, अर जो मर्द खाणा खांदा हुया बार लगावे वो मर्द सच्चा ना! / ...... / ......
- पाणी के खाळ का, माटी की पाळ का, अर डाबड़े की छाळ का, कोए शानी ना! / ...... / ......
- फलदार पेड़, धुधारू डोका, उपजाऊ धरती, शर्म आला माणस अर लाज आळी लुगाई, जित भी हों, बाशिंदा पै आवे ना करड़ाई! / ...... / ......
- पाक्के होए फळ, सबतें पहल्यां खाए जाया करें! / ...... / ......
- पक्या होया फळ ही सबते पहल्यां गिरया करे! / ...... / ......
- फलां तै लदे रूख कै ही सबतें घणे पत्थर लाग्या करें! / ...... / ......
- पेंट की क्रीज खराब कोन होण देंदा अर घर म मुस्से कुलाबादी मारें| / ...... / ......
- पाणी का पाड्या, ऊपर आणा ए आणा| / ...... / ......
- बहु इसी आई सास्सू भली कहवाई! / ...... / ......
- बंटवारा-तागड़ी अर पगड़ी! / ...... / ......
- बया दोयाँ का, धापै सारा गाम! / ...... / ......
- बगल म्ह छुरी मुंह म्ह राम-राम! / ...... / ......
- बुढ्ढा खागड अर ज्ञानी मानस, गाम का कौला हो सें! / ...... / ......
- बड़ी बहु बड़े भाग, छोटा बंदड़ा घणे सुहाग! / ...... / ......
- बाड तै बाहर पड़ी खेती, राह चालते की होती! / ...... / ......
- बंध्या मुंह गिन्दोड़ा सा, खुल्या मुंह बिटोडा सा! / ...... / ......
- बाप नै मारी तीतरी, बेटा तीरंदाज| / ...... / ......
- बेईमान की रुखाळ अर आयंख म बाळ, दोनूं करड़े काम सें| / ...... / ......
- बक्करवारा − सदा कंवारा, / ...... / ......
- बांदरां बीच गुड़ की भेली फेंकणा| / ...... / ......
- बटेऊ खांड-मंडे खा, कुतिया की जीभ जले| / ...... / ......
- बोळी गादड़ी के पकड़े कान, ना छोडें बने ना पकड़े राखें| / ...... / ......
- बांदर नैं सलाह दे अर बैया आपणा-ए घर खो ले| / ...... / ......
- बहु हाथ चोर मरावे, चोर बहु के भाई! / ...... / ......
- बुलहद सींग का, मरद लंगोट का! - दादा लखमीचंद / ...... / ......
- बकरा आपणी ज्यान तैं गया अर खाण आळऐ नैं सुवाद भी ना आया! / ...... / ......
- बिल्ली के भागां, छींका छूटणा! / ...... / ......
- भगत बाऊ नाई – बुलहद काँध का, मरद जुबान का! / ...... / ......
- भाजदे चोर की लंगोटी ए सही! / ...... / ......
- भोई-रे-भोई, तन्ने रही-सही भी खोई! / ...... / ......
- भेड़ नैं के बेर ब्यनोळआ के भा का (भेड़ के जानै, बिन्दोल्याँ की शाह)| / ...... / ......
- भगवान की लाठी म्ह आवाज ना होंदी! / ...... / ......
- म्हास के आगै बीन बजाना, मुर्ख ताहीं बात समझाना अर माटी म्ह सर मारणे म्ह कोए फर्क नहीं! / ...... / ......
- मुंह-अँधेरी टटीरी (कोतरी) का टटाणा, माणस पै खतरा मंडराना! / ...... / ......
- मैं करोळी नहीं दुपत्ती, के चुगैगी कुपत्ती! / ...... / ......
- मींह अर बेट्याँ तैं, कौण धाप्या सै! / ...... / ......
- म्हास आपणा रंग ना देखै, ऊँट नै देख कें बिदकै! / ...... / ......
- मींह म मुसळ का के भीजणा! / ...... / ......
- माणस तीन ढाळ के, निम्बू (खाट्टे), निम्बोळी (बाहर तें मीठा, भीतर तें कड़वा) अर शहद (जमा ए मीट्ठा)! / ...... / ......
- म्हास तळए धोण दूध, काटडे का के! / ...... / ......
- माँ पै धी, प्यता पै घोड़ा, घणा नहीं तै थोड़ा-थोड़ा| / ...... / ......
- मार पाछै किह्सी पुकार| / ...... / ......
- रयोड़ तै कदे के लद लिए-टांडे तै कदे के पाट लिए! / ...... / ......
- रांड वाये जिसके भाई मरज्यां, खसम तै और भी कर ले! / ...... / ......
- लेखा नहीं बहु-बेटी, बख्शीशाँ लाख-लकेति / एक बै जो घर की बणगी, वो बीरबानी जुए या पैसे के बदले नहीं दी जा सकदी| / ......
- लान्डा पुचकारी ऐ चाहवे था! / ...... / ......
- शर्म आला मानस अर फलां तै लद्या रूख ही झुकण जाणा करैं! / ...... / ......
- शय्कार के बख्त कुतिया हगाई| / ...... / ......
- श्यकारी शिकार करै, फद्दु गोसे ठाएँ फिरै| / ...... / ......
- सूत-ना-पूणी, जुलाहे गैल्यां लाठ्म-लाठा! / ...... / ......
- सफ़र बाहरली बिल्ली का, भाड़ा भरवा दे दिल्ली का! / ...... / ......
- साज्झी का काम मारे अर भादवे का घाम! / ...... / ......
- सौ धोती और एक गौती! / ...... / ......
- सदा रही सं सदा रहंगी, झगड़े की जड़ तीन, जर-जोरू अर जमीन! / ...... / ......
- सांप तैं जहरी सपोळआ! / ...... / ......
- साझे का काम, भादवे का घाम, भीत म आळआ, खुंडा फाळआ, खराब ताळआ, गंदा नाळआ, भूरा चमार, बाह्मण काळआ, धनवान जमाई, कंगाल साळआ, यें सब सेधया करें| / ...... / ......
- सांप भी मारया जा अर लाठी भी ना टूटै! / ...... / ......
- सुक्के लाक्कड़ अर हौसला छोड़े हुए माणस नै, चाहे लाख घी म्ह गाढ़ दे पर वें भौड़ कै हरे न्हि होवें! / ...... / ......
- सदा रही सें-सदा रहन्गीं झगड़े की जड़ तीन, जर-जोरू अर जमीन! / ...... / ......
- सम्मूं कुणसी आच्छी, बल्या बीत ज्या जुणसी वाहे आच्छी! / ...... / ......
- सोन्ने पै सुहागा! / ...... / ......
- सूखा रोळआ - काम न एक तोळआ / ...... / ......
- साझे की होळी नै भों कोए जळआ ज्या| / ...... / ......
- हाळी का पेट, सुहालियें नहीं भरया करदा! / ...... / ......
- हाथी तै झूमते ए चलेंगे अर ऊँट रिडान्दे ए लदेंगे! / ...... / ......
- हिरै-फिरै गादड़ी अर गाजरां म्ह को राह! / ...... / ......
- हिरणकूदणा − बुलहद मूतणा! / ...... / ......
- हाथी घोड़े बह्गे अर गधी पूछै पाणी कितणा! / ...... / ......
- हेजली का बाळक निः खयलाणा चहिये अर च्यातर का काम नहीं करणा चहिये! / ...... / ......
- हांसी-हँसियाँ म्ह हसनगढ़ बस गया| / ...... / ......
- काळे-काळे - सारे मेरे बाप के साळे| / ...... / ......
- काळे सिर आळे का कदे ना भरै (Human beings are never satisfied with their wealth) / ...... / ......
- काटड़े की मां तलै 9 मण दूध, पर काटड़े का के? / ...... / ......
- काणे दादा पॉ लॉगू, वो-हे लडाई के लच्छन| / ...... / ......
- खाद पड़ै तै खेत, नांह तै कूड़ा रेत| / ...... / ......
- खच्चरी मरी पड़ी सै, भाड़ा सोनीपत का| / ...... / ......
- डंडा सी पूंछ, भदाणी का राह (एकदम सीधा रास्ता)| / ...... / ......
- ठाल्ली डूम ठिकाणा ढूंढ़ै...ठाल्ली नयाण, काटडे मुँदै! / ...... / ......
- ठाडे की बहु सबकी दादी अर माड़े की सबकी भाभी| / ...... / ......
- टांग लम्बी धड छोटा वो ही आदमी खोटा| / ...... / ......
- ठाल्ली बैठे, नूण कै मांह हाथ| / ...... / ......
- घणी स्याणी दो बार पोवै - अर भूखी सोवै| / ...... / ......
- घणी सराही ओड़ कुतिया मांड में डूब्या करै| / ...... / ......
- घर बेशक हीणा टोह दे, वर हीणा ना होणा चहिये| / ...... / ......
- घर में सूत ना पूणी अर जुलाहे गैल लट्ठम-लट्ठां| / ...... / ......
- घी होगा तै अंधेरे म-ए चमक ज्यागा| / ...... / ......
- घोड़ी नै ठुकवाई तनहाळ, तो मींडकी नै भी टांग ठाई| / ...... / ......
- गंजे रै गंजे टेरम-टेर, लाठी ले कें डांगर हेर| / ...... / ......
- गू खाओ तो हाथी का जो पेट भी भरै,बकरी की मिंगन का के खाया जो जाड़ भी ना भरै| / ...... / ......
- गोद्दी म छोरा अर गांम में ढयंढोरा| / ...... / ......
- गादड़ ब्यन झाड़ी म कूण हागै? / ...... / ......
- गादड़–गादड़ी का ब्याह, सूसा भात न्यौन्दण जा| / ...... / ......
चिड़िया गीत गाती जा, लौबाँ लाकड़ी चुग ल्या।। (this one is children's favourite) / ...... / ......
- गादड्डी की मौत आवै जय्ब गाम कान्नै भाज्या करै| / ...... / ......
- गां (गाय) की लात खाली कोन्या जा| / ...... / ......
- गंजी की मौत आवै जब वा कांकरां में कुल्लाबाद्दी खाया करै| / ...... / ......
- गोह के जाए, सारे खुरदरे| / ...... / ......
- सूखा कसार खा-कै तै इसे-ए सपूत जामे जांगे / ...... / ......
- सू-सू ना कहै, सुसरी कह दे (Please be straightforward) / ...... / ......
- सयाना कौआ गू खाया करे / ...... / ......
- साची कहना सुखी रहना, झूठ बोले खीचा खीचा फिरे / ...... / ......
- हाग्या जा ना पेट पीटे / ...... / ......
- सगार गेल सगार नी बणया जाया करदा| / ...... / ......
- मोर चन्दा दे-चन्दा दे, धज दे, कटारी दे, ना तै ऊपर बिठा सवारी दे| / ...... / ......
- खीर के बळोखै रूई खा ज्या| / ...... / ......
- बकरी के जाणै ब्य्नोळयाँ का भा| / ...... / ......
- के गुंजाइस काटड़े की, जो खा ज्या माळ कसाइयां का! / ...... / ......
- कुल्हड़ी म्ह गुड फोड़ना! / ...... / ......
- बादळ देख घघरी तोड़ना! / ...... / ......
- कोड्डे हो कें ऊंटा की चोरी नी होया करदी! / ...... / ......
- जो मोर हो अटेर, घर की शोभ्या शेर! / ...... / ......
- जिनके मर ज्या बादशाह रोते फिरें वजीर! / ...... / ......
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समुदाय ब्यशेष कहावतें - सामुदायिक विशिष्ट कहावतें - Community Specific Proverbs |
- जाट रांडा मरे वो दुर्भागा, ब्राह्मण भूखा मरे वो दुर्भागा / ...... / ......
- अनपढ़ जाट पढ़े जैसा, अर पढ़या जाट खुदा जैसा! / ...... / ......
- अकल मारी जाट की, रांघड़ राख़या हाळी, वो उस नै काम कह, वो उस नै दे गाळी! / ...... / ......
- आग्गम बुद्धि बाणिया, पाच्छ्म बुद्धि जाट! / ...... / ......
- इह्सा भाज्दा हंडे सै, ज्यूँ गहण म चूड़ा! / ...... / ......
- ओच्छा बाणिया, गोद लिया छोरा, ओच्छे की प्रीत, बाल्लू की भींत, कदे सुख ना दें! (A cunning money lender, adopted son, cruel love and a sand-wall will never give happiness) / ...... / ......
- कविता सोहै भाट की, खेती सोहै जाट की! / ...... / ......
- कुम्हार गधे पै फल्लारे मारै| / ...... / ......
- काटे जाट का, सीखै नाई का! / ...... / ......
- काश की खेती,साँस की ब्यमारी, बीर तैं बैर अर हीर तैं यारी कदे ना निभै! / ...... / ......
- काळआ बाह्मण, धोळआ चमार, तिलकधारी बाणीया अर कैरे जाट तें बच कें रहणा चहिये! / ...... / ......
- खेती जट्ट की, बाजी नट की! / ...... / ......
- खागडा की लड़ाई म्ह, भेड़िये की चतराई म्ह अर जाट की बुराई म्ह कदे नी फहना चाहिए! / ...... / ......
- गूमड़ा अर जाटडा, बंधे ही भले! / ...... / ......
- गाम के चौराहे पै, जाट गावै राहे पै! / ...... / ......
- गूमड़ा अर जाटड़ा बांधे ही भले! / ...... / ......
- गुज्जर के सौ, जाट के नौ अर माळी के दो किल्ले बराबर हो सें| / ...... / ......
- चूड़ा रग देख कें लठ मारया करै| / ...... / ......
- जाट बाहरने (दर) पै आये के घर तक बसा दे! / ...... / ......
- जाट ने हारया तब जाणिये, ज्ब कह पुराणी बात! / ...... / ......
- जाट छिक्या अर राह रुक्या! / ...... / ......
- जाटडा अर काटडा, आपणे नै ऐ मारें! / ...... / ......
- जाट-जाट का दुश्मन, ज्यांते जाट की 36 कौम दुश्मन! / ...... / ......
- जाट-जाट के साठे करदे, घाले-माले! / ...... / ......
- जाट जब तक साथी, हाथ म्ह होवै लाठी! / ...... / ......
- जाण मारे बाणिया, पिछाण मारे जाट! / ...... / ......
- जाट बलवान जय भगवान! / ...... / ......
- जाट कै लागी हंगाई, म्हास बेच कै घोड़ी बिशाई! / ...... / ......
- जाट अर सांप म्ह तै पहल्यां किसने मारे,
सांप नै जाण दे अर जाट नै समारे! / ...... / ......
- जाट, बैरागी, नटवा, चौथा राज-दरबार,
यें चारों बांधे भले, खुल्ले करें बिगाड़! / ...... / ......
- जाट जब दुश्मन पिछानना अर मंत्रणा करणी शुरु कर दे, तै सब काहें नै कूण म्ह धर दे! / ...... / ......
- जाट एक समुन्दर सै अर जो भी दरिया (जाती) इसमै पड़ती है वाः समुन्दर की बण ज्या सै! / ...... / ......
- जाट एक दमड़ी पै लहू-लुहान, बाणिया सौ पै भी ना खींचा-ताण! / ...... / ......
- जाट जितना कटेगा, उतना ही बढ़ेगा! / ...... / ......
- जाट सोई पांचों झटकै, खासी मन ज्यों निशदिन अटकै! / ...... / ......
- जाट जाट को मारता यही है भारी खोट,
ये सारे मिल जायें तो अजेय इनका कोट! / ...... / ......
- जाट नै मरया जद जाणिये जब उसकी तेरहँवी हो ले| / ...... / ......
- जाट नै कै तै जाट मारै अर नहीं तै भगवान| / ...... / ......
- जाट तैं यारी अर शेर की सवारी - एक बात हो सें| / ...... / ......
- जाट को मारै जाट या फिर करतार| / ...... / ......
- जाट की मरोड़ भला कब दे तोड़| / ...... / ......
- जाटनी कदे विधवा ना होती / प्राचीन विधवा-विवाह प्रचलन की वजह से)| / ......
- जाट कै तो खा कै मरेगा कै बोझ ठा कै मरेगा| / ...... / ......
- जाटां का बुड्ढा, बुढापे मै बिगड़या करै| / ...... / ......
- जाट नाट्या अर कर्जा पाट्या| / ...... / ......
- जाट रै जाट, खड़ी करदे तेरी खाट,
बीज खोस ले बोण नी दे|
सोड़ खोस ले सोण नी दे,
डोग्गा मारै रोण नी दे|| / ...... / ......
- जै बाणिया बणज्या हाक्क्म, तो गजब खुदा! / ...... / ......
- दो पाटा के बचाल्ये साबत बच्या ना जाट! / ...... / ......
- देखी भाळी डूमणी, गावै औल-पचौल! / ...... / ......
- नट विद्या आ जावै पर जत विद्या कोनी आवै| / ...... / ......
- नयी-नयी मुसल्लमानणी, अल्लाह-ए-अल्लाह पुकारै| / ...... / ......
- नाईयां के ब्याह म्ह होक्का कूण भरे| / ...... / ......
- न्यूं बोअळआ होया हाँडै जाणु बिगड़े ब्याह म नाई! / ...... / ......
- पात्थर म्ह घुणाई कोन्या, जाट म्ह समाई कोन्या! / ...... / ......
- परहेज पुगाण बाणिया सबतें पक्का बताया अर बाह्मण, नाई अर लुगाई सबतें कच्चे बताये| / ...... / ......
- बिन जाटां किसने पाणीपत जीते! / ...... / ......
- बावन बुद्धि बाणिया अर छप्पन बुद्धि जाट! / ...... / ......
- ब्राह्मण भूखा भी बुरा तो धापा भी बुरा! / ...... / ......
- ब्राह्मण खा मरे, तो जाट उठा मरे! / ...... / ......
- बीर, बाणिया, पुलय्स, ड्रेवर, बच्छ्यु, सांप, गव्हेरा, जिसकै मारैं डंक गात में, दीखे घोर अँधेरा| / ...... / ......
- बणिया हाकिम, ब्राह्मण शाह, जाट मुहासिब, जुल्म खुदा। / ...... / ......
- भूरा चमार, काला जाट अर कानी लुगाई, काले भीतर आले बताये! / ...... / ......
- भरा पेट जाट का, हाथी को भी गधा बतावे! / ...... / ......
- भरा पेट जाट का, अम्बर म्ह मओहरे करे! / ...... / ......
- भूले ब्राह्मण भेड़ खाई, अर फेर खाऊं तो राम-दुहाई! / ...... / ......
- माँगे तो, जाट दे ना गंडा भी, ब्यन मांगे दे दे भेल्ली| / ...... / ......
- मति मरी जाट की, रांगढ़ राख्या हाळी!
वो उसनै काम कहे, ओ दे उसने गाळी!! / ...... / ......
- मकौड़ा, घोड़ा और जठोड़ा पकड़ने पर कभी छोड़ते नहीं! / ...... / ......
- लोभ लाग्या बाणीया, चून्दें लाग्या गौका (गाय), रुकें तै रुके रहं ना तै चाल्ले-ए-जाँ! / ...... / ......
- जाट मर्द साठा ते पाठा| / ...... / ......
- एक नट की कला की गहराई मापी जा सकती है लेकिन एक जाट की बुद्धि की कभी नहीं| / ...... / ......
- मिट्टी के बर्तन म्ह धरया घी, हिन्दू की दाड़ी, कई बेटियों वाले पिता और जाट को दिए कर्ज का कभी भरोसा नहीं करना चाहिए| / ...... / ......
- जाटां का समूह, अळसु-पळसु बाताँ का ढूह| / ...... / ......
- जाट जब आप्पे तैं बाहर हो ज्या तो खुदा-ए उसनें थाम सकै| / ...... / ......
- जाट की हांसी आम आदमी की पसली चटका दे| / ...... / ......
- जै जाट किसे-नैं घी-दूध खुवावैगा, तो थारे गळ म रस्सा डाल कें| / ...... / ......
- सफ़ेद कपड़े पहनने वाले और मांस (चिकन) खाने वाले जाट की ऋणदेन पर कभी विश्वास नहीं करना चाहिए| / ...... / ......
- गाम बसाये थाणीये,पार पड़ै तो जाणिए| / ...... / ......
- ऐकले जाट कै फसियो ना, इनकी पंचायत तैं डरियो ना! / ...... / ......
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अय्तिहासक कहावतें - ऐतिहासिक कहावतें - Historical Sayings |
- तीर चलें तलवारें चलें, कटारें चलें इशारों तें!
अल्लाह मियाँ भी बचा नहीं सकदा, जाट भरतपुर आळे तें!!
- गाभरू जो ना कर सके, ओ करया काम बीर निराळी नै!
लई बचा लाज देश की, धन-धन तेरी जामण आली नै!!
- गाती थी यही दिल्ली सारी, डग-डग पे बल्लू जाट का राज!
हिन्दू-मुस्लिम की एकता, यही था उसके सपनो का समाज!!
- डोइए रे डोइए तू टीकम-टिका अर भरी हांडी म्ह तै आवे रीत्ता!
जै याह सास्सू दाब्बे डंडी, सोहर लाऊं साड़ी हंडी!!
- परस-गाम का दर्श, चौपाल-गाम की चाल!
- उस शोंक तै बद्कै खुदकुशी जो बुजुर्गां की पगड़ी उच्छाळ दे!
करदार इस्सा नभाओ जिसकी जमाना मय्शाल दे!!
- डाबडे-बणी, काल्लर-गोर अर ढंगोसरे-ल्हास,
नए जम्मान्यों म्ह बढती आई इनकी तलाश!
- अर्जन मारया बड़ तले, सर्जन सरवर की पाळ!
- हुई मसल मशहूर विश्व में, आठ फिरंगी नौ गोरे।
लड़ें किले की दीवारों पर, खड़े जाट के दो छोरे। / भरतपुर की लड़ाई (1805) पर प्रचलित एक दोहा / .....
- सहयो भले ही जटनी जाय अरिष्ट अरिष्ट|
जापर तस रविमल्ल हुवे आमेरन को इष्ट||
- यही भरतपुर दुर्ग है, दूसह दीह भयंकार|
जहाँ जटन के छोकरे, दीह सुभट पछार||
- पूरा जोधड़, उदैपुर, जैपुर, पहूँ थारा खूटा परियाणा।
कायरता से गई आवसी नहीं बाकें आसल किया बखाणा ॥
बजियाँ भलो भरतपुर वालो, गाजै गरज धरज नभ भौम।
पैलां सिर साहब रो पडि़यो, भड उभै नह दीन्हीं भौम ॥
- अड़ कुटिल कुलिस-सा प्रबल प्रखर अंग्रेजों की छाती में गढ़,
सर-गढ़ से बढ़-चढ़ सुदृढ़, यह अजय भरतपुर लोहगढ़।
यह दुर्ग भरतपुर अजय खड़ा भारत माँ का अभिमान लिए,
बलिवेदी पर बलिदान लिए, शूरों की सच्ची शान लिए ॥
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हरियाणवी चुपाये - ...... Haryanvi Four-liners |
- तन तैं उज्ल्या मन तैं काळआ, बुगले जिह्सा भेष,
इस्तैं तै काग्गा भला, बाहर-भीतर एक!
- चालणा राह का- चाहे फेर क्यूं ना हो,
सफ़र रेल का- चाहे देर क्यूं ना हो! खाणा घर का- चाहे जहर क्यूं ना हो, अर बैठणा भाईयाँ का- चाहे बैर क्यूं ना हो!
- कुंवारी लड़की हो कै सिंगार करै, ब्राह्मण हो कै चाबे पान!
क्षत्री हो कै रण तै भाजै, तो जाके पड़े नरक की खान!!
- दानी काळ परखिये, गा नै फागण माह,
बहु उस दन परखी जा जद धन पल्ले ना!
- ज्ञानी गेल्या ज्ञान लड़े, कह ज्ञान की बात!
अर मुर्ख गैल्यां मुर्ख लड़े कै घुस्सा कै लात!!
- घामड़ गाय का बाछ्डू, कलिहारी का पूत!
तीनू चीज रले नहीं जुनसा लोगड़ का सूत!!
- जिस घर बड़ा ना मनिये, ढोरे पड़े ना घास,
सास-बहु का हो लड़ना, उज्जड हो ज्या बास! / A house where elders are not respected, cows are not fed well, where mother-in-law and daughter-in-law fight, that house can never flourish
- तीतर पंखी बादळी, विधवा काजल रेख!
वा बरसै याह घर करै, याह मरी नहीं बिसेख!!
- वें भरे सरवर सूख ज्यां, जुणस्यां म्ह बुगले रह्या करें,
नगर-डेरे उज्जड हो ज्यां, जड़े लोग कोर्ट म्ह फ्हया करें! ठीक ना वें पंचायत जड़े, बैठ पंचायती बहया करें, समझणियाँ की मर हो ज्या, मुर्ख सयाणी कहया करें!!
- सांठी-चौळ, लाघ्ड़ म्हास, घर कुलवंती नार!
चौथे तरंग घुड़सवारी की, येंह सुर्ग निशानी चार!!
- डूम बदल ज्यां-खूम बदल ज्यां, खू ज्यां बैठक-बेरे!
अर बुरे बख्त की भाल म्ह रह ज्यां उज्जड डेरे!!
- गंडे तै गंडीरी मीठी, गंडीरी तै मीठा लाळआ!
भाई तै भतीजा प्यारा, भतीजे तै प्यारा साळआ!
- द्रोही-मित्र बणे न्ही, चाहे बैठ थाळी जीमा ले,
गधा-गऊ नहीं बण सकदा, चाहे सौ बर गंग नहवा ले! सर्प जहर नै तजै न्ही, चाहे कितणा इ दूध पिला ले, ये त्रिया अपणी ना होती, चाहे कितणे लाड-लडा ले!! - "दादा लख्मीचंद“
- भाई-भणोई-भाणजा अर भोपाल,
ईन चारुवाँ नै छोड़ कै, किते करो ब्योपार!
- भोळा बूझै भोळी नै – के रांधैगी होळी नै,
मोठ बाजरा सब दिन रन्धैं, सक्कर चावळ होळी नै!
- गादड़–गादड़ी का ब्याह, सूसा भात न्योंदण जा,
चडिया गीत गांदी जा, लौबाँ लाकड़ी चुग ल्या!
- काया रह न्यरोग, जै कम खाया,
उसका बिगडै ना कीमे, जो गम खाया!
- मंगळ करै दंगळ अर बुध बिछोवा हो,
जुम्मे रात की खीर खा कें जुम्मे को जाणा हो|
- गू खाओ तो हाथी का, जो पेट भी भरे,
बकरी की मिंगन का क्ये खाया, जो जाड़ भी ना धरे|
- जिस घर बड़ा ना भजिये, दिवा जळऐ ना साँझ,
सो घर उज्जड जाणिये, जिस घर त्रिया बाँझ! / In homes where elders' opinions are not valued, where lamp is not lighted in the eveningस, where women are barren, know that such a house is almost finished
- भांग माँगै भूगड़ा, सुल्फा माँगै घी,
दारु माँगै खोंसड़ा (जूत), तरी ख़ुशी हो तै पी!
- मन लोभी मन लालची, मन चंचल मन चोर,
मन के मति ना चालिए, मन पल-पल म और!
- गधा कुरडियें रजैं|
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जी-ज्यनोरां के सुब्हा पै - ...... - Pertaining to characteristic uniqueness of animals and birds |
- बकरी दूध देगी पर मिंगण करकें|
- झोटे- दो भी खोट्टे, खागड़- पंद्रहा म्ह भी ना रागड़!
- ब्याई होई रोजणी, चिंगरा हुया ऊँट अर बुर्काया हुया म्सोहका!
नाकाँ चने चबवा दें जो इनको जा कै टोक्या!!
- गोरखनाथ का पिछोका, गौका देखै ना म्सोहका!
- काटडे नै आगे तै खींचना, बाछ्छ्ड़े नै पाच्छे तै धकाना इस्सा जानू ऊँट रेल म्ह चढाणा!
- जो घर म्ह झाये का हो साया, सांप अर मुस्से का हो ज्या सफाया!
- बांदर नै सलाह दे, अर बैया आपणा ऐ घर खो ले!
- गादड़ का रोणा, कुत्ते का कुकाना, गाय का रम्भाना,
रात नै बता दे गाम नै कुण्से राह जाणा!
- बिल्ली अपणे बच्चे तै निन्यानवे गुर सख्या कै सौवां आपणे धोरै राख्या करै!
- शेर का भाई भगीरा, ओ कुद्दै नौ तो ओ कुद्दै तेरां!
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बख्त के हालातां की दुहाई - स्थितीय आलोचना - Situational Critics |
- और दिनां का जिक्र नहीं, वो दिन था ख़ास दवाळी का!
आंख्यां के म्ह पाणी आग्या जब घर देख्या मन्ने हाळी का!
- जमाने की सचाईयाँ पै, शर्म बेच दी लुगाइयाँ नै!
उपरान ना देखियो लोगो, नंगी नार याह घूम रही, ना टूम रही ना झूम रही!!
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सीधी खेताँ की ढयोळ तैं - सीधा खेतों से - Direct from the fields |
- खाद पड़ै तै खेत, नांह तै कूड़ा रेत!
- बोवो गेहूं काट, कपास, ना हो डळा ना हो घास!
- पग पग पै बाजरा, मींडक कूदणी जवार
न्यूं बोवै जब कोए, घर का भरै भंडार
- ट्रक्टर की धुर्र-धुर्र, इंजन की टुक-टुक, कुदरत खेताँ म्ह गावें कूह्क-कूह्क!
- टराल्ली के कडयाँ की टनं-टनं अर उसकी चकली की चरण-चरण!
झोल्ला लर्जाती चल्ले जब, मानस का काळजा हिल्ले तब!!
- पूर्वा चालै फरळ-फरळ, ईखां म्ह कै सरळ-सरळ,
गात म्ह झरणाटा उठै, मन नाचै उमड़-उमड़!
- पींघ पै ऊँचा झोटा चढा कै सास्सू का नाक तोड़णा,
होळी पै कोरडयां आळी भाभियाँ कै आगै हो कै भाजणा! मेले-सांग-दंगलां म्ह ठाडहू-ठाडहू किलकी मारणा, संस्कृति छाळ मारे उड़े, जड़े इतना अल्ल्हड़पणा!!
- खेती करो तो हल जोतो, आधी करो तो साथ रहो|
घर बैठे जै पूछोगे, तो बैल दे कें छूटोगे||
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एक हल हत्या, दो हल काज|
तीन हल खेती, च्यार हल राज||
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जिस घर काळी (यानी भैंस), रोज दिवाली|
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वूह जमीन खूब, जिस में होवै दूब,
वूह जमीन आध, जिस में होवै डाभ|
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और घास जल जायेंगे, दूब रहगी खूब|
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ज्यब चमकै पच्छम-उत्तर की ओर, तब जाणो पाणी का जोर|
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मोटा ब्याज सहकर नैं खोवै, औरत नैं खोवै हांसी|
अलस-नींद किसान नैं खोवै, चोर नैं खोवै खांसी|
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झड़ लाग्या जो चैत, ना घर ना खेत|
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चैत चिरपड़ो और, सावन निर्मलो|
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गिरता मींह, पच्छेता पाळआ, यें कय्सान का गाळआ|
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गेहूं खाणा चाह था, साढ़ म क्यूँ ना बाह था|
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जिसनें बिज्जी पोह, और घर बैठे रो|
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पाणी आया मंगसर, गेहूं आया रंगसर|
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मंगळ लावा बुध बढ़ावा|
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तीज-त्यौहार के मौके की - तीज-त्यौहार संबंधी - Pertaining to Festivals and Weathers |
- आई तीज बोगी बीज
- आई होळी भर लेगी झोळी
- आया मंगसर, जाड्डा (winter) चाल्या रंग-सर,
आया पौह, जाड्डे कै होया छोह|
आया माह, जाड्डा चाल्या राह-ए-राह,
आया फागण, जाड्डा चाल्या हाग्गन||
- सास्सु का नाक तोड़ ल्याणा / इतनी ऊँची पींघ झूलने की हिम्मत की पींघ पेड़ की टहनियों में जा लगे| / .....
- साढ़ सूखा ना सामण हरा!
- जब राम चौगरदे कै एक-सा निसर ज्या, मींह जोर का बरस ज्या!
- मंद बूँदा की झड़ी, मरी खेती भी हो ज्या खड़ी!
- जय्ब चींटी अंडा ले चलै, चिड़िया नहावे धूळ मैं,
कहें स्याणे सुण भाई, बरसें घाग जरूर! / When ants carry eggs, sparrows play in sand - then it should be presumed that rains are very near
- हीड़ो रै हीड़ो, आज गरड़ी तड़कै दवाळी हीड़ो रै हीड़ो|
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बाळकां के खेल के बोल - ...... - Childhood cherishing slangs |
- क − ख − ग − घ − ड़
खाती खिड़की ना घड़ै
दो मारै चार घड़ै
- गंजे रे गंजे टेरम टेर, लाठी ले के डांगर हेर|
- बौड़ा रै बौड़ा हांडी−रौड़ा
हांडी धरी कसाइयां कै
बौड़ा नाचै नाइयां कै
- बुड्ढी धांडी धा पे चड़ी,
धां धां कर के धे पड़ी....
- शांति ए शांति, गधे चरान्ती, एक गधा लंगड़ा ओ हे तेरा बंदड़ा!
- A B C D – ऐबियाँ की सीढ़ी
मारूँगा कान पै
जावैगा दुकान पै
खावैगा रेवड़ी
हागैगा जेवड़ी
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Jai Dada Nagar Kheda Bada Bir
Note:बख्त की गेल याड़े और भी कहावत जोड़ी जांगी| /// विशेष वक्त के साथ इस विषय पर और जानकारी जोड़ी जाती रहेगी| /// List is on continuous growth, more and more proverbs will be added to list with research and time.
उद्घोषणा: नीचे लिखी गई कहावतें समाज में समय के अनुसार चलन और प्रचलन में आई जमीनी स्तर की कह्वातों पर आधारित हैं| इसलिए इस प्रस्तुती की हर कहावत को सिर्फ एक सांस्कृतिक प्रतिबिम्ब ही माना जाए, बजाए उसमें एक समूह-विशेष या किसी अन्य तरह के आक्षेप समझने के| यह आपको अपनी संस्कृति से परिचित कराने मात्र यत्न है अन्यथा कुछ भी नहीं| |
Author: P. K. Malik
Publication: NHReL
Reference:
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