भादुवे के दोहे:
भादुवै का घाम जितना बैरी हो सै, इसकी घटा भी इतनिए तूफानी हों सें। पढिए भादुवै की घनघोर घटा पै चार दोहे:
- धन का कोठा भादुआ ज्यब बरसै मूसलधार,
ज्वार बाजरा धान की फसलां की झनकार|
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रुटिहारी स्यर पै धरे गई जुआरा खेत,
नौघड़ बरस्या आ गए हाली बलद समेत|
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उठी घटा किस खूँट तै होगे जलथल एक'
गाम दूर तै दीखते इब तो बड्खल लेक|
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घटा तलै करती चलें गीतां की गुञ्ज्यार'
राही-राही जा रही म्यरगाँ बरगी डार|
भादुवे के सवैये: भादुवै की रात की सुथराई भी चालेपाड़ हो सै। एक सवैया भादुवै की रात की सुथराई पै:
- घन मैं लसकै बीजली-सी जली रूप की जोत चमाचम जा,
जुगनूँ चसज्यां, बुझज्यां, ल्हुकज्यां इसी हो रहि खूब झमाझम या|
पल मैं तन घूँघट मैं ढक ले पल मैं फेर स्यान द्यखा थम ज्या,
रहि बाँध सणी के घुँघरू पग मैं करदी कित रात छमाछम जा||
भादुवे के लोकगीत:
गुग्गा से संबन्धित एक लोकगीत:
गुग्गो रै सूत्यो जाल तलै टमोटी ताण
वारी मेरा गुग्गा भल राहियो
वारी मेरा सायर भल राहियो
सरियल लिकड़ी पाणी नै लेगी दोघड़ आली माट
अरजन सूत्यो जाल तलै
सरजन सरवरिए की पाल, वारी मेरा गुग्गा भल राहियो
अरजन पकड्यो घूंघटो
सरजन मेरी छल्लै वाली नाथ
थम लागो मेरे देवर जेठ , राखो बहू की ल्हयाज़
सरियल गई गुग्गा के पास
तह सूत्या गुग्गा नींदड्ल्या
लूट्य ली री छल्लै वाली नाथ
कृष्ण-जन्म से जुड़ा एक लोकगीत:
जल भरण देवकी जय दसोदा रस्ते मैं म्यले हरे
के दुखड़ा बेबे सास ननंद का, के बाले भरतार बेबे के बाले भरतार
दसोदा रस्ते मैं म्यले हरे
ना दुखड़ा बेबे सास ननंद का, ना बाले भरतार बेबे ना बाले भरतार
दसोदा रस्ते मैं म्यले हरे
एक दुखड़ा बेबे कोख जली का, जिन मारया मेरा मान बेबे जिन मारया मेरा मान
दसोदा रस्ते मैं म्यले हरे
जै बेबे मेरै छोरा होज्या, गोकल दिये पहुंचाह बेबे गोकल दिये पहुंचाह
दसोदा रस्ते मैं म्यले हरे
जै बेबे मेरै छोरी होगी पुत्र का बदला चुकाह बेबे पुत्र का बदला चुकाह
मांगेराम की एक रागनी की टेक:
काली घाटा रै होई बरसण नै,
हम भटकां थे त्यरे दरसन नै
ले कै चाल पड्या क्यरसन नै
गोकल की राही
मांगेराम की ही इस से अगली रागनी की टेक:
आए ना भरतार,
लगा दी वार
दूर का जाणा
बरसे मूसलधार
कुँवर मेरा याणा॰
बाजे भगत की कृष्ण-जन्म की एक रागनी का एक अंश:
देवकी के जतन बणाऊँ मैं
इस बालक नै गोकल मैं किस तरहाँ पुचाहूँ मैं
वासुदेव जी चाल पड़े थे देवकी तै कह कै बात
भादवे की काली-बोली स्यर पै छाई आधी रात
बेटे के ही प्रेम मैं आपणा कोन्या समाझ्या गात
आगे चढ़ री जमना माई पाछै सेर बोल रहया
किस तरियाँ जाणा चहिए राजा का द्यल डोल रहया
कंस के दुखाँ का तीर काल्जै नै छोल रहया
प्रभू जी त्यरा सुकर मनाऊँ मैं
यू लड़का तै बचणा चहिए बेसक मर ज्याऊँ मैं।
लेखक: प्रोफेसर राजेंद्र गौतम (11/08/2013)
भादवे के पारम्परिक लोक-गीत (विडियो-ऑडियो):
- तेरी झांकी के म्ह गोळआ मारूँ, बाँट गोफिया शण का,
एक न्यशाना चुकण द्यूँ ना, मैं छलिया बालकपण का video
(ऊँ तो भादवे के मिन्हे तैं इस रागणी का कोए लेणा ना, पर आडै इसनें ल्याया गया सै, इसके मुखड़े म्ह अय्सतेमाल हुये "गोफिये" शब्द के कारण, अर गोफिये के न्यशान्ने नैं प्यार की प्रकाष्ठा की अतिश्योक्ति मानण पै|)
- शंख-चक्र-गदा पद्म प्रभु कै, ग ळ मह वैजयन्ती माळआ video
- वृंदावन की राजकुमारी, मैं मथुरा रहणे आळआ सूं video
खेती अर किसान खात्तर भादवे की महिमा:
इस मिन्हे म्ह न्यसरण आळी फसल: इस मिन्हे म्ह जीरी अर बाजरे की फसल पै फळ आणा शुरू हो ज्या सै|
नुळआई: बाजरा, बाड़ी अर पछेते ईंख की नुळआई का मिन्हा सै भादवा|
खेती की रुखाळ: पछेते बाजरे नैं छोड़ कें, घनखरे बाजरे की फसल की निसरण
(फसल पै फळ आणा) का बख्त हो सै यू। बाजरे के फळ नैं सीरटी कह्या करैं जो अक जन्योर ज्युकर चडिया अर काब्बर नैं काच्ची-काच्ची भोत सुवाद लाग्या करैं। तै ज्यूँ-ए बाजरा निसरै यें जन्योर भी चले आँ सें, ब्यचारे क्य्सान की फसल म्ह आपणा ह्य्स्सा बंडवाण।
इन पंछी-ज्यनौरां तैं फसल की रुखाळ बाबत खेत के ब्यचाळए लाम्बे लाक्कड़, फूस अर ज्योडियाँ गेल फसल तैं ऊँचा ज्योंडा
(मचान, डामचा इसके दूसरे नाम सें) बणाये जाँ सें। यें मचान इतणे च्योड़े हों सें अक इसकै ऊपर चाहवै तो माणस राम करण तान्हीं लोट भी ज्या|
ज्यनौरां नैं उड़ावण के ऊजार पिप्पे-डंडा, गोफिये-चिकणी माट्टी के गोळए अर पटास-फास्फेट का पोडर: हरियाणे के जुण्से भी ह्य्स्से म्ह बाजरे की खेती हो सै, उडै-उडै ज्यनौरां नैं उड़ान तान्हीं यें-ए ऊजार अय्सतेमाल करे जाया करैं।
ज्यब गोफिये तैं गोळआ फूटो चहे पटास तैं बारूद इसतैं इतणा धमाका होया करै, जाणू तो बम पाट्या हो। अर फेर उसके धमाक्के तैं स्य्माणे की फसलां पै बेठे ज्यनौर उड़ ज्यां|
फसलां के भान्ने लिंडे देण का खेल मतलब फसलां म्ह भी खेल टोहणे (मित्र राकेश श्योराण की जुबानी): इन सीरटीयां ने देख के तो लींडे याद आग्ये. जब बाबु जी के साथ गाड़ी में बेठ के खेत में जाया करदे तो राह में लींडे टोहने खेल्दे जाया करदे
(लींडे मतलब एक सीरटी में ते डो तिन बन जाना).........जब गोफिये का तांदा आगे ते बहुत पतला होया करदा| जितना पतला हौंदा उतना ये खूड़का घना करा करदा...पर आज तो ये गोफिये किसी म्यूजियम मैं भी मस्सा मिलेंगे.....भाई वैसे मने भी बलदा के छींके अर गोफिये बाँटन कदे मेरे बाबू तै सीखे थे....बहुत बढ़िया भाई|