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गर्म चालती लू जळावैं, सूखें सरवर-ताल; हुळिया-अंधड़ के गुबार, प्रकृति का छोह विकराल, इह्सी बताई गति जेठ की, कर दे सबके चेहरे लाल
'जेठ'
बदळीया भूल गयी यू देस, बदळीया दूर गयी किस देस |
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Pronunciation: जेठ (Hariyanvi), ज्येष्ठ (Hindi), Jeth/Jyeshth (English)
बाबत: "साल के इस मिन्हे का हरियाणे (आज का हरियाणा, हरित-प्रदेश, दिल्ली अर उत्तरी राजस्थान) खात्तर के मतलब अर अहमियत हो सै" |
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जेठ का मिन्हा, हरयाणा अर अनुष्ठान-संस्कार:
हिन्दू वैदिक कलैण्डर के ह्यसाब तैं साल का तीज्जा मिन्हा हो सै पोह|
जेठ के तीज अर त्यौहार अर बड्डी तारयख:
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कविताओं-छंदों में जेठ का मिन्हा:
- मौसम का दरबेस
न्यँबोल़ी का काचा सै दूध
बदलिया भूल गयी यू देस
बदलिया दूर गयी किस देस
मास यू बीत चल्या आसाढ
पपीहे नै पाणी का लोभ
तप्या स्यबजी-सा भीना जेठ
उमा-सी झुल़सी कचिया गोभ
ढार दे इब तो रस की धार
छोड कै जोगण आल़ा भेस
टँगे खूंटी पै हल़ के राछ
स्यमाणा होया डरोणा भूत
पड़ी धरती की सुन्नी कोख
भरै या ताते साँस निपूत
दिये ना कुछ गंडे-ताबीज
किसा यू मौसम का दरबेस
तनैं ये बड़ पीपल अर नीम
बलावैं आपणे हाथ पसार
कदे टूटै ना इनकी आस
छेड़ दे इब तो राग मल्हार
घटा री हंसा की संग डार
उडै नै ले नल़ तक संदेस
बदलिया भूल गयी यू देस
बदलिया दूर गयी किस देस
लेख्क्क: प्रोफेसर राजेन्द्र गौतम
जेठ के पारम्परिक लोक-गीत (विडियो-ऑडियो):
खेती अर किसान खात्तर जेठ की महिमा:
जेठ के खानपान-मिष्ठान:
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जेठ का मिन्हा तस्वीरों म |
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जय दादा नगर खेड़ा बड़ा बीर
विशेष: जेठ के मिन्हे पै न्यडाणा हाइट्स की खोज लगातार जारी सै। म्हारी साईट के इस पद-भाग का उद्देश्य सै जेठ अर हरियाणवी का जो भी मेळ-मान-मनुहार-लाग-लपेट तैं यें एक-दूसरे तैं जुड़े सें वें सारी बात कट्ठी इस भाग म्ह संजोणा। जै थाहमनैं इस भाग म्ह किसे भी हिस्से म्ह कोए कमी नजर आवै, या कोए चीज छूटी होई दिख्खै तो हाम्नें इस पते पै जरूर ईमेल करें: nidanaheights@gmail.com हाम्में थाहरे नाम की गेल वा चीज इसे भाग म्ह प्रकाश्यत करांगे|
लेखन अर सामग्री सौजन्य:
- प्रोफेसर राजेन्द्र गौतम
- पी. के. म्यलक
तारय्ख: 17/06/2014
छाप: न्यडाणा हाइट्स
छाप्पणिया: न्य. हा. शो. प.
ह्वाल्ला:
हरियाणवी समूं अर उसकी लम्बेट
नारंगी मतलब न्यगर समूं, ह्यरा मतलब रळमा समूं
हरियाणवी तारय्खा के नाँ
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न्य. हा. - बैनर अर संदेश |
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“दहेज़ ना ल्यो" |
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यू बीर-मर्द म्ह फर्क क्यूँ ? |
साग-सब्जी अर डोके तैं ले कै बर्तेवे की हर चीज इस हाथ ले अर उस हाथ दे के सौदे से हों सें तो फेर ब्याह-वाणा म यू एक तरफ़ा क्यूँ, अक बेटी आळआ बेटी भी दे अर दहेज़ भी ? आओ इस मर्द-प्रधानता अर बीरबानी गेल होरे भेदभाव नै कुँए म्ह धका द्यां| - NH |
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“बेटियां नै लीड द्यो" |
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कन्या-भ्रूण हत्या ख़त्म हो! |
छोरी के जन्म नै गले तैं तले ना तारणियां नै, आपणे छोरे खात्तर बहु की लालसा भी छोड़ देनी चहिये| बदेशी लुटेरे जा लिए, इब टेम आग्या अक आपनी औरतां खात्तर आपणे वैदिक युग का जमाना हट कै तार ल्याण का| - NH |
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“बदलाव नै मत थाम्मो" |
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समाजिक चर्चा चाल्दी रहवे! |
बख्त गेल चल्लण तैं अर बदलाव गेल ढळण तैं ए पच्छोके जिन्दे रह्या करें| - NH |
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