भूमिका: यू एक इह्से हय्के का ज्यक्र सै जो आज भी याद आ ज्या सै तो म्यरी रूह राम तैं जा मय्लण की आस करण लाग ज्या सै| एक इह्सी काह्णी जो हरियाणवी संस्कृति के पह्लुवां नैं-ए न करेळदी ब्यल्क इसके समाज्यक अर भावनात्मक मर्म के अर्श नै भी बाळक की ढाळ रोळ कें लिकडै सै|
परिवेश: उत्तरी भारत की खापलैंड कही जाने वाली धरती के दिल हरियाणा के 2 गाँव|
मुख्य पात्र:
गाँव का पंचायती भैंसा (गाम आळआ झोटा) - गाँव रामपुर का पंचायती झोटा - इसकी सुन्दरता और गुणवत्ता के कारण इसको
"रूंडा" भी कहते थे, तो आगे की कहानी में झोटे को
"रूंडा" भी कह के सम्बोधित किया जाएगा|
द्वितीय श्रेणी मुख्य पात्र:
2 तपा पंचायत (खाप पंचायत के निचले स्तर की संस्था)
2 पड़ोसी गाँव जिनकी एक-दूसरे से सीमा लगती है
(सामाजिक संवेदना एवं सोहार्द को ध्यान में रखते हुए दोनों गावों के असली नाम छुपा रहा हूँ लेकिन यह घटना सत्यता और वास्तिवकता पर आधारित है)| लेकिन कहानी को वास्तविकता का प्रारूप देने हेतु गावों के नाम रामपुर और श्यामपुर रख रहा हूँ|
चौधरी भानू प्रताप: गाँव के उस परिवार का मुखिया जिसके जिम्में गाँव के पंचायती झोटे का खानपान और देखभाल जिम्मे थी और इसी परिवार ने इस झोटे को गाँव का पंचायती झोटा बनाने को दिया था|
अक्षयवीर: चौधरी भानू प्रताप का बेटा जो शहर के कालेज से बी. एस. सी. की पढाई कर रहा था और "रुंडे" से बेहद लगाव था, ऐसा समझ लीजिये जैसा की एक भाई का दूसरे भाई से होता है या एक पिता के बेटे से होता है| जब तक रुंडे को दिन का चारा नहीं मिल जाता था वो शाम का खाना नहीं खाता था| और क्योंकि हरियाणा के गावों में पंचायती भैंसे और सांड को देवता की जगह पूजा जाता है, सबसे ज्यादा अन्न की भेंट इन्हीं दो प्राणियों को चढ़ाई जाती है| और अक्षयवीर पर इस विचारधारा का बहुधा मान भी था और उसको इस अपनी इस संस्कृति पर अभिमान भी था| इस अभिमान के और कारण ज्यों-ज्यों कथा आगे बढ़ेगी आप और भी अच्छे से समझते जायेंगे|
अन्य पात्र: ज्यों-ज्यों कहानी आगे बढ़ेगी, आपको एक-एक पात्र का परिचय साथ-साथ दिया जायेगा|
दोनों गावों का संक्षिप्त परिचय:
रामपुर: 4500 जनसंख्या का गाँव, गाँव जाट और कबीरपंथी
(धाणक) समाज गाँव की खाप के लिए गाँव स्तर पर बनाए गए गाँव के पहलवानी दस्ते के लिए मानव-बल देता आया था, सो गुलामी के वक्त की कई ऐतिहासिक लड़ाइयों में सहभागी रहे
{जाट मुख्यत: संसाधन (जैसे कि कपड़ा-लत्ता-हथियार-पहलवानों के लिए पौष्टिक आहार वगैरह) जुटाने में और पहलवान देने में धाणक समाज मुख्य रहे}| इसलिए आज देश की आजादी के 56 साल बाद भी जब गाँव पे कोई संकट आता है तो गाँव के धाणकों का अपनी गाम माँ नगरी के लिए माँ-भक्ति देखते ही बनती है| और जिस घटना पर यह कहानी लिखने जा रहा हूँ, मैं इसमें उनके इसी जज्बे का साक्षी भी बना| गाँव स्थानीय भाषा में गैभ
(एक जगह टिक कर मेहनत से कम के खाने वाले लेकिन हमला होने पर दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने वाले) कहलाता है|
श्यामपुर: करीब 2000 की जनसंख्या का गाँव, चोरों-डकैतों के लिए मुख्यत: जाना जाता है|
दोनों गावों के बीच 3 किलोमीटर का फासला, रामपुर से श्यामपुर के दक्षिण में और दोनों गावों के खेतों से राजकीय-राजमार्ग निकलता है जिसके 1 किलोमीटर इधर रामपुर तो 2 किलोमीटर उधर श्यामपुर है| इस तरह से राजकीय-राजमार्ग पर यह एक चौराहा बनता है जहां दोनों गावों का मुख्य बस-अड्डा भी है, जिसको
बडा अड्डा कहा जाता है|
अवसर: सन 2002 के दशहरे की काली रात|
नाट्य रूपान्तर्ण: अब इससे आगे कहानी की भाषा हरयाणवी रहेगी|
दृश्य 1: रामपुर में दशहरे का उत्सव - रामपुर गाम म्ह आसुज मास की विजय-दशमी का जश्न, चाँद की च्यांदणी रात म्ह एक ओड़ गाम के गोरे पै गाभरुआ के टोळ गींड खेलण लाग रे सै अर दूसरी ओड़ गाम की गाळआं म्ह छोरियां के टोळ सांझी की ब्यदाई खात्तर झोह्डा की ओड सांझी के गीत गांदी होई जाण लाग रही सें अर इन गीतां की गूँज दूर स्यमाणां म्ह पाणी देणीयां के कान्नां म्ह गूँजण लाग रहे सें|
दृश्य 2: गाम आळए झोटे के घायल होने की सनसनी का फैलना - |
|
दृश्य 3: गाँव के लोगों का क्रोध में आ जाना और पूरे गाँव का बडे अड्डे की तरफ भागना - Soon to be written...
दृश्य 4: हथियारों से लैश गाँव के धाणकों द्वारा गाँव के चौधरियों को ये आश्वासन देना कि "आप ऊपर की कार्यवाही देख लेना, श्यामपुर को रातों-रात उजाड़ आने का जिम्मा हमारा" और बडे अड्डे पर माहौल में उबाल आ जाना और गाँव के चौधरियों द्वारा युवकों के गुस्से को थामना - Soon to be written...
दृश्य 5: जिला प्रशासन और पुलिस आयुक्त को मामले की गंभीरता का पता लग जाना और पुलिस की टुकड़ियों का मौके पर पहुँच जाना - Soon to be written...
दृश्य 6: गाँव का घायल झोटे उठा ट्राली में डाल के लाना - Soon to be written...
दृश्य 7: अगली सुबह गाँव के पहलवानी दस्ते का बार-बार श्यामपुर की ओर जाना और बड़े चौधरियों द्वारा उनको वापिस मौड़ के लाना - Soon to be written...
दृश्य 8: श्यामपुर के साथ इस घटना का निबटारा ना होने तक हर तरह का लेन-देन बंद करने का ऐलान - Soon to be written...
दृश्य 9: अक्षयवीर द्वारा उसके पिता के साथ स्थानीय वेटनरी डॉक्टर से झोटे की हालत पे मेडिकल रिपोर्ट लेने जाना और डॉक्टर से वार्तालाप - Soon to be written...
दृश्य 10: अक्षयवीर द्वारा झोटे का सारा इलाज अपनी निगरानी में करना - Soon to be written...
दृश्य 11: रामपुर के तपे की खाप पंचायत के गावों को चिठ्ठी पड़वाना और दोनों गावों के तपों की खाप-पंचायतों की रामपुर गाँव में महापंचायत होना - Soon to be written...
दृश्य 12: खाप महापंचायत द्वारा दोनों गावों के बीच मामला सुलझवा, समझौता करवाना और श्यामपुर गाँव द्वारा माफ़ी माँगना और घायल झोटे के इलाज का पूरा खर्च उठाने का प्रस्ताव रखना और इस रामपुर गाँव का मना करना - Soon to be written...
Note: The story is under writing and will be updated in five parts, so bear with us to know and enjoy the full story.