सवैंधानिक अधिकारों की डील नहीं हुआ करती मोदी जी, जो आप जाटों को आरक्षण देने के बदले उनसे कन्या-भ्रूण हत्या रोकने की मांग बैठे| यह मांगनी या अपील करनी ही थी तो जब पानीपत, हरियाणा में 22 जनवरी 2015 को "बेटी-बचाओ, बेटी-पढ़ाओ" योजना लांच की, वहाँ क्यों नहीं सारी खापों के साथ-साथ हर जाति-धर्मों की सामाजिक व् धार्मिक संस्थाएं भी बुला ली थी? वहाँ देते यह सन्देश!
प्रधानमंत्री निवास में बुला के यह कहना और फिर इसका पूरे देश में प्रचार करते घूमना तो ऐसे हो गया जैसे अडानी को 5000-7000 करोड़ का मुआवजा देने से पहले यह कहना कि जाओ पहले खेत में हल जोत के आओ फिर गैस प्लांट के लिए मुआवजा मिलेगा|
जनाब लैंड बिल के जरिये हमारी जमीनों को ले हमें पशोपेश में डाला हुआ है, जाट आरक्षण बारे सरकार की तरफ से 17 मार्च 2015 को कोर्ट में ठीक से पैरवी ना होने की वजह से हजारों जाट युवाओं की रोजी पर तलवार आन लटकी है, आपकी सरकार आने के बाद से फसलों के दाम ऐसे गिरे कि जाट समेत तमाम किसान जातियों से आत्महत्याओं की खबरें और उनकी करूणा-क्रंदन कानों में राद घोल रही हैं; अब ले-दे के यह एक बची-खुची जाट की इज्जत-शोहरत-गौरव का
(जाने या अनजाने) तो झुलूस मत निकालिये|
और नहीं तो मुज़फ्फरनगर में जाटों ने ही जिस सिद्द्त से आपकी संस्था आर.एस.एस. के धार्मिक एजेंडा को परवान चढ़ाया था, उसी की लिहाज कर लीजिये| अरे आर.एस.एस. में कोई जाट-बंधू हो तो मनाओ पीएम साहब को कि इतना भी हाथ-पैर-मुंह धो के क्या पीछे पड़ना एक जाति के; क्या आर.एस.एस. ने सिखाया नहीं मोदी साहब को कि "हिन्दू धर्म में एकता और बराबरी लानी और रखनी है?"
मान्यवर आपको बताना चाहूंगा कि देश का सबसे गौरवशाली इतिहास लिए हुए हैं हम जाट, कृपया कहीं तो हमारी समता और मर्यादा छोड़ दीजिये?
- हम नहीं होते तो 1025 A.D. में महमूद गजनवी से सोमनाथ मंदिर का खजाना कौन दादावीर जी महाराज बाला जाट और उनकी खाप आर्मी छीन के वापिस देश में रखती? (जिसके लिए हमें प्रोमिला थापर जैसी लेखकों से लुटेरे होने के खिताब मिले हैं, अब प्रोमिला जी क्या जानें कि लुटेरों को लूटने वाले लुटेरे नहीं, कौम-देश के रहनुमा हुआ करते हैं, .....खैर)|
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हम नहीं होते तो 1206 A.D. में कौन दादावीर जी महाराज रामलाल खोखर अपनी खाप सेना ले महाराजा पृथ्वीराज चौहान के कातिल मुहम्मद गौरी को सिंध के मैदानों में मार, देश की इज्जत का बदला लेते?
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हम नहीं होते तो आमेर की जोधा को ब्याहने वाले बादशाह अकबर तक तो कैसे कौन "35 जाट खाप" की बेटी "धर्मकौर" पे दिल आने और उसका हाथ मांगने पर उसको बेटी देने से मना करने की हिमाकत करता और अकबर मन-मसोस के चुपचाप बैठ जाता?
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हम नहीं होते तो 1669 A.D. में कौन दादावीर जी महाराज वीरवर गोकुला सिंह अपनी खाप आर्मी के साथ ब्राह्मणों तक पे जजिया कर लगाने वाले औरंगजेब के खिलाफ विश्व के भयानकतम युद्धों में शुमार तिलपत के युद्धों के मैदान सजा पहली विद्रोह की चिंगारी फूंकते?
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हम नहीं होते तो 1804 A.D. में इस देश में भरतपुर (रोहतक-दिल्ली से ले के जयपुर-अलीगढ़ तक फैली हुई) जैसी देश की एक इकलौती ऐसी रियासत कौन खड़ी करता जिसको अंग्रेज कभी नहीं जीत पाये और उन्हीं अंग्रेजों से जिनके राज में कभी सूरज नहीं छिपा करते थे "ट्रीटी ऑफ़ फ्रेंडशिप एंड इक्वलिटी" हम जाटों ने साइन करवाई; मान्यवर, उनके साम्राज्यों के सूरज के घोड़ों को हम जाटों ने ही लगाम लगाई थी|
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हम नहीं होते तो कौन महाराजा रणजीत सिंह (1780-1839 A.D.) होते जिनसे अफ़ग़ानिस्तान से ले के धुर बंगाल की खाड़ी तक अंग्रेज से ले मुसलमान तक कांपते थे और जीते जी कभी जीत नहीं सके|
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हम नहीं होते तो मुग़ल साम्राज्य के अंतिम बादशाह बहादुरशाह जफ़र किनकी खापों को 1857 A.D. की क्रांति की लीड लेने के लिए आधिकारिक पत्र लिख आग्रह करते?
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जनाब ऐसा चबूतरा जिस पर मुग़लों के तीन-तीन (रजिया सुल्तान - 1237 A.D. में, सिकंदर लोधी - 1490 A.D. में, बाबर - 1528 A.D. में) बादशाहों ने शीश नवाएँ और धन्यवाद दिए, वो इस देश में जाटों की सर्वखाप सोरम मुख्यालय का ही है| संज्ञान रहे मान्यवर, हमारी खापों के अलावा कोई ऐसा हिन्दू धार्मिक या सामाजिक दर नहीं इस देश में, जिसपे मुग़ल तीन-तीन बार शीश नवां के गुजरे हों|
जनाब यह तो कुछ मोटे-मोटे ऐसे तथ्य बताये हैं जो सिर्फ और सिर्फ हम जाटों के नाम दर्ज हैं, एक-एक लिखने बैठूं तो लेखनी अंतहीन हो जाये|
आपसे इतनी सी विनती है कि आपको आरक्षण देना है या ना देना है वो आपकी मर्जी परन्तु यह कन्या-भ्रूण हत्या रोकने के पाठ पढ़ाने हैं तो या तो पूरे देश को पढ़ाइये वरना हमें बख्श दीजिये| और दूसरी बात अगर आपको इतना ही लगता है कि सिर्फ जाट ही कन्या-भ्रूण हत्या करते हैं तो फिर क्यों नहीं आप इसके जातिगत आधार के आधिकारिक आंकड़े देश के सामने रख देते? डर लगता है ना जनाब, क्योंकि यह आप भी जानते हो कि शहरी जातियों की सेक्स रेश्यो देश में सबसे गई गुजरी है| अब आप तो यहां भी पक्षपात करते हैं, जिनको यह पाठ पढ़ाने चाहिए, उनको तो पढ़ाते नहीं और भोले-भाले अकेले जाट इसके लिए चुन लिए|
जनाब आप जरा आंकड़े उठा के देख लीजिये धुर 1901 से ले के आजतक हरियाणा में सिर्फ तीन ही बार सेक्स रेश्यो डाउन गई है, एक बार 1947 में जब पाकिस्तानी शरणार्थी भारत आये, दूसरी बार तब जब पंजाब से 1984 के आतंकवाद के चलते लोग पलायन करके हरियाणा के जीटी रोड पर बसे और तीसरी बार अब जब बिहार-बंगाल-आसाम का बासिन्दा बिना परिवारों के यहां रोजगार करने आ रहा है| जिससे इनके मर्द लोग तो हरियाणा में काउंट हो रहे हैं और औरत पीछे के राज्यों में, जो कि पहले से ही इस मुद्दे से जूझ रहे राज्य की इस रेश्यो को और डाउन कर देती है| इसलिए जनाब या तो यह सीख सबको दीजिये अन्यथा जाने या अनजाने से यह 'मनुवाद' मत फैलाइये समाज में|
क्योंकि जनाब आपने दिल्ली में जाट डेलीगेशन को बंद कमरों में कही सो कही, इसको सारे देश में गाते हुए घूमने में आप कौनसी जाट कौम की इज्जत को चार-चाँद लगा रहे हैं| इस बात को लेकर जिस तरह के आपके तेवर लग रहे हैं, उससे तो यही लग रहा है कि आप इसको अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी कहीं उदाहरण बना के बोलने ना लग जाएँ| जनाब इतना रहम कीजियेगा विश्व की सर्वोत्तम नस्लों में आने वाली, वैभवशाली, गौरवशाली और कभी-कभी धर्म के अस्तित्व को बचाने जैसी जरूरत पड़ने पर आपके ही आर.एस.एस. जैसे संगठनों और धर्मगुरुओं द्वारा हिन्दू धर्मरक्षक पुकारी जाने वाली इस जाट कौम पर|
मान्यवर, एक तो आप और ऊपर से आपकी बात पे एक की दो बना के लिखने वाला यह मीडिया| जरा देखिये तो सही जनाब आपकी बात का क्या बतंगड़ बना के पेश कर रहे हैं यह लोग| और नहीं तो कम से कम इतना ही कन्फर्म कर दिया कीजिये कि आप जो बात कहें वो मीडिया के माध्यम से समाज में ज्यों-की-त्यों जाए| नीचे दिए लिंक की रिपोर्टिंग पढ़ के कोई यह संदेश नहीं लेगा जो शायद आपने शुद्ध नीयत से दिया होगा| सभी इस लेख से यही लेंगे कि जाट-कौम तो पूरे देश में एक-अकेली ही ऐसी है जो बेटियों की हत्यारी है|
और जहां तक बात खापों की है तो देश के अंदर सबसे बड़ी मुहीम अगर कन्या-भ्रूण हत्या के खिलाफ कोई छेड़े हुए है तो वो सिर्फ खापें ही हैं| ना मालूम हो तो 2012 में बीबीपुर की सर्वखाप पंचायत से हुए इसके आगाज से ले के आजतक की रिपोर्ट्स पढ़ लीजिये| वो अलग बात है कि आपके सामने उस दिन डेलीगेशन का कोई भी खाप या जाट चौधरी भावावेश आपको यह जानकारी देना भान में ना रख पाया होगा|
सर्वविदित है कि आदिकाल से हरियाणा युद्धों और विस्थापनों की धरती रही है, जिसकी वजह से यहां सेक्स रेश्यो हमेशा डांवाडोल रही| अब हम संभाल रहे हैं, और सिर्फ जाट ही नहीं सारे खापलैंड के बाशिंदे इसको ले के सजग हैं| और ऐसे में आप अगर सिर्फ एक जाति को चिन्हित करेंगे तो निश्चय ही इससे जाति के आत्मबल पर सकारात्मक नहीं नकारात्मक प्रभाव जायेगा| जाट एक पल को इसको सकारात्मक तौर पर ले भी लें तो बाकी के समाज और देश-विश्व में जहां तक आपकी यह बात जाएगी वो इसको जाट समाज पे सकारात्मक शायद ही लें, जैसे कि यह इंडियन एक्सप्रेस वाले मीडिया ने किया|
हाल-ही के आंकड़ों से पता चला है कि आपके गुजरात में सेक्स रेश्यो डाउन जा रही है, तो वहाँ इसको सुधारने हेतु जाटों की भांति किसी एक जाति को मत पकड़ लीजियेगा, क्योंकि यह पौराणिक चरित्र शिवशंकर जी की भांति जहर पीना भी सिर्फ जाट ही जानते हैं मान्यवर, सब नहीं झेल पाएंगे ऐसी छांट के निशानदेही|
क्या जनाब मुझ जैसे हर वक्त हर जाति-धर्म को साथ ले के चलने की बात करने वाले को भी आज आपके रूख ने जातिगत स्पष्टीकरण किस्म का नोट लिखने पर विवश कर दिया| एक हिसाब से आपको धन्यवाद भी देना चाहूंगा मान्यवर, क्योंकि आपके बहाने ही सही, मुझे हम जाटों के गौरवशाली इतिहास और वैभवी विरासत की यादें ताजा हो आई; जो मेरे अंदर एक नई ताजगी और स्फूर्ति का आभास जगाये जा रही हैं| इसके लिए आपका धन्यवाद!